दूसरों के प्रति शत्रुता हिंदुत्व नहीं, विवेकानंद का हिंदुत्व सर्वसमावेशी- शशि थरूर

दूसरों के प्रति शत्रुता हिंदुत्व नहीं, विवेकानंद का हिंदुत्व सर्वसमावेशी- शशि थरूर

कोलकाता: कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि दूसरों के प्रति शत्रुता की भावना हिंदुत्व नहीं है और उनके पसंदीदा हिंदू प्रतीक स्वामी विवेकानंद का हिंदुत्व सर्व-समावेशी था. हिंदुत्व पर दो किताबें लिख चुके थरूर ने बृहस्पतिवार को कहा कि कई दक्षिणपंथी नेता ‘स्वामी विवेकानंद के संदेशों की समग्रता’ की अनदेखी करते हुए चुनिंदा उद्धरण देकर उनकी विरासत को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं.

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हम देख रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेता विशेष रूप से स्वामी विवेकानंद के संदेशों का जिक्र करके यह जताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे उनके बताए रास्ते पर चल रहे हैं, लेकिन जिस किसी ने भी उनके संदेशों को समग्र रूप से पढ़ा है, वह समझ जाएगा कि स्वामी विवेकानंद एक सर्व-समावेशी और सर्वग्राही धर्म की सीख देते हैं. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि दक्षिणपंथी 19वीं सदी के उत्तरार्ध के धार्मिक सुधारक (स्वामी विवेकानंद) का ‘इस्तेमाल’ अपने राजनीतिक आंदोलन के लिए एक प्रतीक के रूप में करने का ‘प्रयास’ कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की कल्पना ‘ऐसे हिंदू धर्म की नहीं थी, जो असहिष्णु है. रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद की 160वीं जयंती इस साल की शुरुआत में मनाई गई थी. थरूर ने कहा कि वह यह देखकर हैरान हैं कि लोग हिंदुत्व के नाम पर ‘अपनी आस्था को हथियार’ बना रहे हैं, जो ‘दूसरों के प्रति शत्रुतापूर्ण और आक्रामक’ है, लेकिन ‘यह वास्तव में हिंदुत्व नहीं है.’

लोकसभा सदस्य थरूर, जिनके बाएं पैर पर प्लास्टर चढ़ा हुआ है, एपीजे कोलकाता साहित्य महोत्सव के तहत आयोजित एक कार्यक्रम से इतर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि इस देश में पलने-बढ़ने के दौरान हममें से अधिकतर हिंदुओं को यह नहीं सिखाया गया था. कांग्रेस सांसद ने जोर देकर कहा कि ज्यादातर हिंदू अपने धर्म को एक ऐसे साधन के रूप में नहीं देखते हैं, जिसे ‘दूसरे धर्म के लोगों के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. थरूर साल 2018 में हिंदुत्व पर अपने विचारों को ‘व्हाय आई एम ए हिंदू’ शीर्षक वाली किताब में बयां कर चुके हैं. इसके अगले साल हिंदुत्व पर उनकी दूसरी किताब ‘द हिंदू वे : एन इंट्रोडक्शन टू हिंदुइज्म’ प्रकाशित हुई थी. सोर्स- भाषा