जयपुर: भगवान कृष्ण की भक्ति में लीन हुई जयपुर के गोविंदगढ़ के पास नरसिंहपुरा गांव में एक युवती ने अनोखी शादी रचाई. 16वीं शताब्दी ने मीराबाई ने श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मान लिया था तो अब नरसिंहपुरा गांव की पूजा सिंह ने भी कुछ इसी तरह ठाकुरजी के लिए अपने जीवन को समर्पित करने की ठान ली. 30 साल की पूजा सिंह ने गांव के मंदिर में विराजमान भगवान ठाकुरजी से शादी कर ली.
पूजा सिंह ने 300 बारातियों की मौजूगी में मंत्रोच्चार और मंगल गीत के बीच अग्नि के 7 फेरे लिए और चंदन से अपनी मांग भरी. इस अनूठी शादी के फैसले की वजह यह थी कि पूजा सिंह ताउम्र अविवाहित नहीं रहना चाहती और किसी पुरुष के साथ सामान्य तरीके से शादी नहीं कर पाने का कारण पूजा की सोच है, जिसे उसने मीडिया के साथ बातचीत में शेयर की है.
शादी के बाद पूजा अपने घर पर ही रहती हैं और ठाकुरजी मंदिर में सवेरे भोग बनाकर ले जाती हैं. उनके लिए पोशाक बनाती हैं और शाम को दर्शन के लिए जाती है. यह अनोखी शादी 8 दिसंबर को हुई. साथ ही विवाह के बाद युवती अब अपने कमरे में ही छोटा सा मंदिर बनाकर ठाकुरजी की मूर्ति की पूजा कर रही है. उनके सामने ही जमीन पर सो रही है. वो कहती हैं कि ठाकुरजी से विवाह करके मैं अब हमेशा के लिए सुहागन हो गई हूं.
इस शादी में मेहंदी, वरमाला से लेकर कन्यादान व विदाई तक की सारी रस्में भी निभाई गई। पूजा सिंह भी दुल्हन की तरह सजी. शादी में पिता नहीं आए तो मंडप में उनकी जगह तलवार रखी गई. पूजा सिंह पॉलिटिकल साइंस से एमए कर रही हैं. पूजा सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने ननिहाल में तुलसी विवाह देखा था. उसी वक्त से उनके मन में श्रीकृष्ण के रुप ‘ठाकुरजी’ को लेकर आसक्ति बढ़ी. इसके बाद ठाकुर जी से विवाह करनी की सोची. इस बारे में परिवार के एक पंडित से जानकारी ली. पंडित ने भी हरी झंडी देते हुए मीराबाई की श्रीकृष्ण भक्ती की कथा सुनाई और कहा कि ऐसा हो सकता है.
पूजा सिंह ने अपनी शादी को लेकर कहा कि मेरी शादी को लेकर घर में अक्सर रिश्ते आते रहते थे, लेकिन मेरा मन इसके लिए तैयार नहीं था. मैंने बचपन से ही देखा है कि बेहद मामूली बात पर पति-पत्नी के बीच झगड़े हो जाते थे, विवादों में उनकी जिदंगी खराब हो जाती थी और इनमें महिलाओं को बहुत ही बुरी स्थिति का सामना करना पड़ता था. इसी के चलते मैंने शादी नहीं करने का फैसला किया.
भगवान तो अमर होते हैं, इसलिए मैं भी अब हमेशा के लिए सुहागन हो गई हूं:
फिर बाद में मैंने अपने ननिहाल में तुलसी विवाह देखा तो मेरे मन में भी विचार आया कि मैं क्यों नहीं ठाकुरजी से विवाह कर सकती. मैंने इस बारे में पंडित जी से बात की तो उन्होंने भी हां कर दी. इसके बाद मैंने शादी के लिए मां को मनाया तो वो मान गई लेकिन पापा को बताया तो वे नाराज हो गए और साफ मना कर दिया. इसी नाराजगी के चलते वो शादी में भी नहीं आए. इस शादी को लेकर कई लोगों ने सपोर्ट किया तो कईयों ने मजाक भी उड़ाया, लेकिन मुझे इस बात की परवाह नहीं थी. दो साल से मैं यह विवाह करने का विचार कर रही थी, लेकिन यह आखिरकार अब जाकर हो सका. मैंने परमेश्वर को ही अपना पति बना लिया है. लोग कहते थे कि सुहागन होना लड़की के लिए सौभाग्य की बात होती है. भगवान तो अमर होते हैं, इसलिए मैं भी अब हमेशा के लिए सुहागन हो गई हूं.