जैसलमेर: राजस्थान का राज्यपक्षी गोडावण के संरक्षण के लिए करोड़ो खर्च किए जा रहे लेकिन गोडावण के कुनबा बढ़ने के साथ दुखद खबर है कि गोडावण का पलायन शुरू हो गया है. जिससे वह भारत को छोड़ पडोसी मुल्क पाकिस्तान जा रहे है. हाल ही में पाकिस्तान के रहीमयारखान जिले के चोलिस्तान इलाके में तीन मादा गोडावण नजर आई है. पिछले कई सालों से पाकिस्तान में गोडावण नजर नहीं आ रहे हैं.
ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह मादा गोडावण हाल ही में भारत से पाकिस्तान की तरफ पहुंची है. क्योंकि चोलिस्तान इलाका पाकिस्तान में मरुस्थलीय इलाका है, वह पहले भी गोडावण का विचरण क्षेत्र रह चुका है. अत्यधिक शिकार के कारण पाकिस्तान में पिछले कुछ दशकों में गोडावण की आबादी लुप्त हो गई. लेकिन जैसलमेर से गोडावण पाक पहुंच रहे हैं. तीन गोडावण के जैसलमेर से पाकिस्तान के चोलिस्तान पहुंचने की पाकिस्तान के फोटोग्राफर ने तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल की है.
गोडावण लगातार माइग्रेशन कर रहा:
विशेषज्ञों के अनुसार गोडावण लगातार माइग्रेशन कर रहा है. इंसानी आवाजाही, अवैध खेती, ऊर्जा कंपनियों की हाइटेंशन बिजली की लाइनें इसकी मुख्य वजह है. चोलिस्तान में मादा गोडावण नजर आई है, इस वजह से जैसलमेर के सलखा, मोकला, पारेवर, तेजपाला, बड्डा, भुट्टेवाला से होकर मादा गोडावण सरहद पार पहुंची है. वर्ष 2019 में केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑन माइग्रेटरी बर्ड्स में पश्चिमी राजस्थान से गोडावण के चोलिस्तान जाने की बात बताई थी और एक रिपोर्ट पेश की थी.
2019 तक 63 गोडावण अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पहुंचे थे:
इस रिपोर्ट के अनुसार जैसलमेर में इंदिरा गांधी नहर के कारण बढ़ी कृषि गतिविधियों के कारण पिछले कुछ दशकों में 25 मादा गोडावणों के चोलिस्तान जाने और वहां प्रजनन करने की पुख्ता जानकारी विशेषज्ञों को मिली थी. इसके साथ यह भी बताया गया था कि पाकिस्तान के इस इलाके में 2019 तक 63 गोडावण अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पहुंचे थे. जिनमें से 49 का शिकार हो गया था. 2021 में भी वहां 2 गोडावण के शिकार की न्यूज मिली थी. जानकारी के अनुसार पाकिस्तान के वन्यजीव फोटोग्राफर सैयद रिजवान महबूब ने अपने ट्विटर हैंडल पर चोलिस्तान में हाल ही में नजर आई तीन मादा गोडावण की तस्वीरें साझा की है. इससे पहले भी वहां के एक वन्यजीव विशेषज्ञ ने इसकी पुष्टि की थी.
भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता किया गया था:
वन्यजीव संरक्षण पर काम कर रहे सुमित डऊकिया बताया कि सरहद के उस पार बेलगाम शिकार की वजह से अब वहां गोडावण नजर ही नहीं आ रहे हैं. 2020 में गांधीनगर में प्रवासी पक्षियों पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता किया गया था कि गोडावण का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण किया जाएगा. उसके बाद से पाकिस्तान में गोडावण के शिकार पर पाबंदी पर जोर दिया जाने लगा है. वही वन्यजीव प्रेम पार्थ जगाणी ने बताया कि यह खुशी के साथ चिंता का भी विषय है कि हमारे गोडावण पक्षी पाकिस्तान उड़ कर पहुंच रहे हैं. कुछ महीनों पहले पारेवर में हाइटेंशन तारों की वजह से एक नर गोडावण मारा गया था. ऐसे 8 केस हो चुके हैं. पाकिस्तान में शिकार पर रोक सख्ती से रही तो मादा गोडावण बच सकती है नहीं तो उन पर शिकार का खतरा मंडराता रहेगा.