Navratri Special: करौली में घटस्थापना के साथ शारदीय अनुष्ठान आज से, कैला देवी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Navratri Special: करौली में घटस्थापना के साथ शारदीय अनुष्ठान आज से, कैला देवी मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

करौली: जिले से 21 किलोमीटर दूर त्रिकूट पर्वत पर कैला मां का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है. उत्तर भारत प्रसिद्ध कैलादेवी आस्थाधाम में विराजित कैला मां का मंदिर शक्तिपीठों में शामिल है. शक्ति स्वरूपा कैला मां करौली (Karauli) राज परिवार और जादौन वंशी राजपूतों की कुलदेवी है. कैला माता के समीप चामुंडा देवी विराजित है. जिनको बांसी खेड़ा गांव से सन् 1150 मे कैला माता के समीप स्थापित किया गया था. 

माता के दरबार में सभी जाति वर्ग के लोग राजस्थान ही नहीं दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सहित अन्य राज्यों से अपनी मनौती मांगने पहुंचते हैं. कैला माता का मंदिर करीब 1000 वर्ष पुराना है. गागरोन रियासत के खींची वंश के राजा मुकुल दास ने कैला देवी (Kaila Devi Temple) के मंदिर का निर्माण सन्  1432 में करवाया और वर्तमान स्वरूप का मंदिर सन् 1730 में तत्कालीन शासक गोपाल सिंह ने बनवाया. 

इतिहासकार यह भी बताते हैं कि कैला मां प्राकट्य से पहले वसुदेव और देवकी की आठवीं कन्या के रूप में जन्मी थी. कंस ने जब उन्हें पछाड़ कर मारा तो कन्या अंतर्ध्यान हो गई और फिर पृथ्वी पर कैला मां के रूप में अवतरित हुई. कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट प्रबंधन के कार्यकारी अधिकारी और साहित्यकार किशन पाल सिंह जादौन बताते हैं कि कैला माता का मंदिर ग्यारह हजार ग्यारह सौ वर्ष पुराना है. 

सन् 1432 में गागरोन रियासत के राजा मुकुंद दास ने कैला माता के मठ का निर्माण कराया. सन् 1449 में यदुवंशी राजा चंद्रसेन ने कैलादेवी मठ को अपने कब्जे में कर लिया था. लेकिन दौलताबाद पर विजय नहीं हो पा रही थी. तत्कालीन विद्वानों ने विजय के लिए कैला मां की मनौती का सुझाव दिया. इस पर चंद्रसेन ने अपने पुत्र गोपाल दास को युद्ध में विजय प्राप्त हुई. गोपालदास ने युद्ध विजय के बाद सन् 1723 में कैला माता के मंदिर का निर्माण शुरू कराया जो 1730 में पूरा हुआ. उसी समय से कैला माता यदुकुल की कुलदेवी मानी गई.

घटस्थापना के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान शुरू:

राज पंडित प्रकाश चंद्र बताते हैं कि यूं तो हर बार ही कैला माता के दरबार में श्रद्धालुओं की आवक बनी रहती है लेकिन वर्ष में दो बार चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्रों पर श्रद्धालुओं की अधिक आवक होती है. उन्होंने बताया कि शारदीय नवरात्र (Sharadiya Navratri) में घट स्थापना के साथ नौ दिवसीय देवी अनुष्ठान शुरू. उनके सानिध्य में विद्वान शतचंडी पाठ दुर्गा सप्तशती सहित अन्य पाठ करेंगे. राज परिवार प्रमुख केसी पाल घट स्थापना हुई. नवमी को हवन के साथ अनुष्ठान का समापन होगा और कन्या लांगुरिया का जीवन कराया जाएगा.