श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि घाटी में तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को आतंकवादियों द्वारा लक्षित हमलों के मद्देनजर उनकी जान बचाने के लिए अस्थायी रूप से जम्मू स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए. आजाद ने कहा कि स्थिति के अनुसार एक निर्णय लिया जाना चाहिए. जब स्थिति में सुधार हो, तो उन्हें (कश्मीरी पंडित कर्मचारियों) को वापस आना चाहिए. लेकिन वर्तमान में, इन कर्मचारियों के मन में डर है. फिलहाल, उन्हें जम्मू स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए, ताकि उनकी जान बचाई जा सके.’’
आजाद यहां से 55 किलोमीटर दूर अनंतनाग जिले में एक रैली के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे. आजाद ने कहा कि पिछले एक साल में लक्षित हत्याओं की घटनाओं के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि यहां तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारी नहीं रहना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में अन्य कश्मीरी पंडित वापस कैसे आएंगे? आजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कश्मीरी पंडितों के लिए प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत 6,000 पद स्वीकृत किए गए थे. उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान जगती टाउनशिप बनी, बडगाम और अन्य जगहों पर आवास भी ‘डबल शिफ्ट’ काम के तहत बनाए गए.’’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा के प्रभाव पर आजाद ने कहा कि वे जो कर रहे हैं उन्हें करने दें, हम अपना काम करेंगे. हम भी एकजुटता के लिए भी काम कर रहे हैं. हम बर्फ से ढके पर्वतों में चलते हैं. कुछ लोग आसान काम लेते हैं, हम कठिन काम लेते हैं.’’
इससे पहले रैली को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा कि आतंकवादियों से निपटने के लिए एक अलग नीति होनी चाहिए, जिसे आम लोगों तक विस्तारित नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हर कश्मीरी को शक की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए. आजाद ने कहा कि लोगों की दो श्रेणियां हैं. एक आतंकवादी है, जो पाकिस्तान में या यहीं हथियारों का प्रशिक्षण प्राप्त करता है. उनसे निपटने के लिए हर सरकार की एक नीति होती है. मैंने यह नहीं कहा है कि उन्हें माफ कर दिया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसे सामान्य लोग हैं, जिनका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए. सोर्स- भाषा