जयपुर: सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म की मिसाल बने जयपुर में एक और लेपर्ड सफारी शुरू करने की राज्य सरकार की मंशा पर उसके ही अधिकारी पानी फेरने में लगे हुए हैं. अफसरों की आपसी अदावत में आमागढ़ पूरी तैयारी के बाद भी लेपर्ड सफारी शुरू नहीं हो सकी है इससे तीन तरफा नुकसान हो रहा है. अपेक्षित पर्यटन नहीं बढ़ सका, जिन्हें रोजगार मिलना था वह रोजगार से विमुख हो रहे हैं और सरकार को मिलने वाला राजस्व भी नहीं मिल पा रहा.
गालव ऋषि की तपोभूमि गलता क्षेत्र से सटे आमागढ़ के जंगलों में 15 से 20 लेपर्ड का विचरण है. यहां की सुरम्य पहाड़ियां और घना जंगल वन्यजीवों की प्राकृतिक शरण स्थली रहा है. झालाना वन क्षेत्र से सटे होने के कारण यहां झालाना से निकलकर लेपर्ड अपना बसेरा बना रहे हैं. झालाना में करीब 45 लेपर्ड है तो आमागढ़ में इनकी संख्या 15 से 20 के आसपास है. वन विभाग के वाइल्डलाइफ की जानकारी रखने वाले कुछ अफसरों की मंशा रही है कि झालाना से सरिस्का तक लेपर्ड कॉरिडोर विकसित किया जाए. जिससे न केवल वाइल्डलाइफ टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा वरन हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और प्राकृतिक संतुलन को भी बनाया रखा जा सकेगा. इसी मंशा को ध्यान में रखते हुए वन विभाग के पीसीसीएफ हॉफ डॉक्टर डीएन पांडे और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर आमागढ़ में लेपर्ड सफारी शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया था. इसी के तहत आमागढ़ में 4 सफारी ट्रैक तैयार किए गए यहां पर एक पग मार्क की शेप में बड़ा ही आकर्षक वाटर पॉइंट बनाया गया इसके अलावा पांच अन्य वाटर पॉइंट भी तैयार किए गए हैं. वाटर पॉइंट बनने के बाद यहां लेपर्ड की जोरदार साइटिंग भी हो रही है. खुद पीसीसीएफ हॉफ डॉक्टर डीएन पांडे, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर, डीएफओ अजय चित्तौड़ा सहित अन्य अफसर यहां कई बार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं और निर्माण कार्यों का जायजा ले चुके हैं.
यहां लेपर्ड सफारी शुरू करने के लिए करीब एक पखवाड़े पहले राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भिजवाया गया था, जिसमें सरकार के 3 वर्ष पूर्ण होने पर 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री के हाथों लेपर्ड सफारी की शुरुआत का प्रस्ताव भी था. लेकिन यह फाइल सचिवालय जाकर अटक गई. उद्घाटन तो दूर इस फाइल से मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत तक नहीं कराया गया. जानकारों का कहना है कि आमागढ़ में लेपर्ड सफारी शुरू होने से राजधानी जयपुर में सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा. इससे सालाना एक लाख से ज्यादा पर्यटकों की बढ़ोतरी होगी.पर्यटकों की आवक बढ़ने से सरकार को राजस्व प्राप्त होगा. यही नहीं लेपर्ड सफारी शुरू होने से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार भी मिलेगा. लेकिन अफसरों की आपसी अदावत में सब कुछ तैयार होने के बावजूद यहां लेपर्ड सफारी शुरू नहीं हो रही है. इससे लगता है कि कुछ अफसर रणथंभौर की लॉबी को संतुष्ट करने के लिए सरिस्का ही नहीं वरन जयपुर के सिटी वाइल्डलाइफ टूरिज्म को भी ब्रेक लगवाना चाहते हैं.