जयपुर: विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी की पहल ऐसी रही कि आज कश्मीर से लेकर नागपुर तक के नेता वो भी अलग अलग विचारधारा के फिर भी एक जाजम पर थे. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी पार्टी सति सभी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा है कि समस्या सबके साथ है, पार्टी के भीतर और बाहर सब जगह समस्या है, हर कोई दुखी है.एमएलए इसलिए दुखी है कि मंत्री नहीं बने.मंत्री बन गए तो इसलिए दुखी हैं कि अच्छा विभाग नहीं मिला और जिन मंत्रियों को अच्छा विभाग मिल गया वे इसलिए दुखी हैं कि मुख्यमंत्री नहीं बन पाए.मुख्यमंत्री इसलिए दुखी हैं कि पता नहीं कब तक रहेंगे.
गडकरी सोमवार को विधानसभा में संसदीय लोकतंत्र और जन अपेक्षाएं विषय पर सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.गडकरी ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष रहते मुझे ऐसा कोई नहीं मिला जो दुखी न हो.मुझे एक पत्रकाार ने पूछा तो कहा कि आप मजे में कैसे रह लेते हैं.मैंने कहा कि मैं भविष्य की चिंता नहीं करता, जो भविष्य की चिंता नहीं करता वह खुश रहता है.वन डे क्रिकेट की तरह खेलते रहो.मंने सचिन तेंलुकर और सुनील गावस्कर से छक्के चौके लगाने का राज पूछा तो बोले कि यह यक स्किल है, इसी तरह राजनीति भी एक स्किल है.
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पक्ष और विपक्ष में बेहतर सांमज्य से जनता को फायदा होता है.मैंने हमेशा इसका ध्यान रखा.मैंने वो टिप्स केवल एक व्यक्ति अटल बिहारी वाजपेयी को बताए थे.नरसिम्हा राव के समय हम दो लोगों ने सदन चलाया.हर तीन दिन में कभी वाजपेयीजी का खाना मेरे यहां होता था, तो मेरा खाना वाजपेयीजी के यहां होता था.वाजपेयी विपक्ष के नेता थे और मैं संसदीय कार्य मंत्री था.जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो पहला फोन उन्होंने मुझे किया, मैं तो विपक्ष में था और उससे पहले ससंदीय कार्य मंत्री रह चुका था.
नितिन गडकरी ने कहा कि हमें तो जीवन में लड़ना है.कभी कभी हम सत्ता में होते हैं कभी विपक्ष में, यह चलता रहता हैं.जो ज्यादा विपक्ष में रहते हैं वे सत्ता में जाकर भी विपक्ष जैसा व्यवहार करते हैं और ज्यादा सत्ता में रहने वाले विपक्ष में रहकर भी सत्ता जैसा ही व्यवहार करते हैं.उनकी आदत पड़ जाती है.गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सबसे प्रगाढ़ता रही है.पक्ष विपक्ष के नेताओं के बीच अच्छे संबंधों का फायदा सदन चलापने से लेकर बिल पास होने तक हर जगह होता है।मैंने इस बात का हमेशा ध्यान रखा.अभी भी कुछ ऐसे संबंध थे तो लोगों ने कहा कि बीजेपी में जा रहा है.जब नेताओं के बीच अंडरस्टेंडिंग नहीं होगी तो लोकतंत्र नहीं चलेगा.दोनों प्रमुख वक्ताओं ने लोकतंत्र की मजबूती के लिए अनेकों उदाहरण दिए .लेकिन सबसे अहम रही नितिन गडकरी की दलील कि आप नेत्रदान कर सकते हो लेकिन विज़न नहीं .गडकरी और आजाद ने साफ कहा कि जन प्रतिनिधि तभी जन अपेक्षाओं पर खरा उतर सकता है जब वो रोल मॉडल बने.
...फर्स्ट इंडिया के लिए योगेश शर्मा की रिपोर्ट