नई दिल्ली: राफेल सौदे में विपक्ष का आरोप झूठा, दसॉ Aviation ने खारिज किया डील में दलाली का दावा, कहा- इतनी कड़ी निगरानी थी कि गड़बड़ी का चांस ही नहीं

राफेल सौदे में विपक्ष का आरोप झूठा, दसॉ Aviation ने खारिज किया डील में दलाली का दावा, कहा- इतनी कड़ी निगरानी थी कि गड़बड़ी का चांस ही नहीं

राफेल सौदे में विपक्ष का आरोप झूठा, दसॉ Aviation ने खारिज किया डील में दलाली का दावा, कहा- इतनी कड़ी निगरानी थी कि गड़बड़ी का चांस ही नहीं

नई दिल्ली: भारत-फ्रांस के बीच हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे में विपक्ष ने दलाली देने के आरोप लगाए थे. फ्रांस के एक पब्लिकेशन ने दावा किया था कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉ को भारत में एक बिचौलिये को एक मिलियन यूरो बतौर गिफ्ट देने पड़े थे. फ्रांसीसी मीडिया के इस खुलासे के बाद एक बार फिर दोनों देशों में राफेल की डील को लेकर सवाल खड़े किए थे. उन दावों को दसॉ एविएशन ने खारिज करते हुए कहा है कि कडी निगरानी में हुई इस डील में गड़बड़ी का चांस ही नहीं है.

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदने की डील की:
फ्रांस की एक न्यूज वेबसाइट ने राफेल डील में दलाली का दावा करके इस पुरानी बहस को फिर से ताजा कर दिया है. इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से मायूसी मिलने के बाद कांग्रेस पार्टी की बांछें दोबारा खिल गईं. कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ मोदी सरकार के अन्य आलोचकों ने भी ट्विटर पर ऐसा हंगामा बरपा दिया मानो फ्रांस की वो न्यूज वेबसाइट का खुलासा तो संदेह से बिल्कुल पर है. इस बीच राफेल फाइटर जेट बनाने वाली फ्रेंच कंपनी दसॉ एविएशन (Dassault Aviation) ने कहा है कि उसकी तरफ से दलाली देने का दावा बिल्कुल आधारहीन है. ध्यान रहे कि भारत ने फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदने की डील की है जिसमें से 14 विमानों की आपूर्ति भी हो चुकी है.

विमानों की आपूर्ति और ऑफसेट के ठेके नियमानुसार तय किए गए: दसॉ
दसॉ ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि भारत के साथ हुई राफेल डील पर कई स्तर की निगरानी रखी गई थी. फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधी एजेंसी ने भी इसकी पड़ताल की और किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई गई है. कंपनी ने कहा कि वो बीते दो दशकों से अपनी तरफ से काफी कड़ी आंतरिक प्रक्रियाओं का पालन करती आई है ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगी रहे. दसॉ के प्रवक्ता ने कहा कि फ्रेंच ऐंटि-करप्शन एजेंसी समेत कई आधिकारिक संगठनों ने कई नियंत्रणकारी कदम उठाए. भारत के साथ 36 राफेल के ठेके में कोई गड़बड़ी पकड़ में नहीं मिली थी. कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि राफेल डील भारत और फ्रांस के बीच सरकारों के स्तर पर हुई थी. विमानों की आपूर्ति और ऑफसेट के ठेके नियमानुसार तय किए गए और इन्हें पूरी पारदर्शिता से अंजाम दिया गया.

मीडियापार्ट के दावे से फिर मची सनसनी:
 फ्रांस के मीडिया पोर्टल मीडियापार्ट ने दावा किया है कि भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुशेन गुप्ता नाम के एक दलाल को दसॉ और उसकी सहायक कंपनियों की तरफ से दी गई रकम की जांच की ही नहीं. पोर्टल ने कहा कि गुप्ता ने रक्षा मंत्रालय से महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए थे जिन्हें उसने दसॉ एविएशन को सौंप दिए गए है. इन दस्तावेजों ने भारत की गुप्त नीति को कंपनी के सामने उजागर कर दिया. इस कारण दसॉ को अपने राफेल जेट बेचने में मदद मिली.

कौन है सुशेन गुप्ता:
दिलचस्प बात यह है कि सुशेन गुप्ता अभी ऑगुस्टावेस्टलैंड VVIP चॉपर डील में दलाली के आरोपों के कारण मुकदमेबाजी झेल रहा है. यह डील कांग्रेस नीत UPA सरकार में हुई थी. ED ने 2019 में गुप्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि दुबई में रहने वाले उसके चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) राजीव सक्सेना के पास से मिली एक डायरी से पता चला है कि उसने किसी 'RG' को 50 करोड़ रुपये दिए हैं.

बहरहाल मीडियापार्ट का दावा है कि दसॉ और उसकी सहयोगी कंपनी थेल्स ने गुप्ता की जान-पहचान के लोगों को भारी-भरकम रकम दिए. कंपनी ने साल 2000 की शुरुआत में ही हायर कर लिया था जब भारत ने 126 युद्धक विमान खरीदने की इच्छा जताई थी. इस फ्रेंच मीडिया पोर्टल ने दावा किया है कि ED की केस फाइल में दर्ज सबूतों के आधार पर यह साफ कहा जा सकता है कि गुप्ता को 15 सालों तक यूरो के रूप में कई करोड़ रुपये दिए गए. गुप्ता ने फर्जी कंपनियों के जरिए दसॉ दलाली की रकम ली. उसने अगुस्टावेस्टलैंड से भी दलाली के पैसे इसी तरह लिए थे.
 

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