नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) में बजटीय आवंटन बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा कि देश की सभी प्रमुख नदियां गंगा नदी के समान ही प्रदूषित हैं और उन पर समान रूप से ध्यान देने और उपचारात्मक उपायों की आवश्यकता है.समिति ने इस विषय पर सरकार के जवाब को अस्वीकार कर दिया. लोकसभा में मंगलवार को पेश जल शक्ति मंत्रालय- जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग की अनुदान के लिये मांगों (2022-23) पर 15वें प्रतिवेदन में अंतर्विष्ट सिफारिशों पर सरकार द्वारा की गई कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट में यह बात कही गई है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद परबतभाई सवाभाई पटेल की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि वर्ष 2022-23 के लिये राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में अन्य बेसिन के लिये 250.68 करोड़ रूपये रखे गए हैं जो नमामि गंगे मिशन की दो परियोजनाओं के तहत गंगा नदी के लिए निर्धारित 2800 करोड़ रुपए के बजट की तुलना में एक मामूली राशि है.
इस संबंध में जल संसाधन एवं नदी विकास विभाग ने बताया कि यदि जरूरी हुआ तब संशोधित अनुमान में अतिरिक्त आवंटन की मांग की जायेगी. रिपोर्ट के अनुसार, समिति इस तथ्य पर विचार करती है कि राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना ने अब तक देश के 16 राज्यों में फैले 77 शहरों में 34 नदियों के प्रदूषित हिस्सों को कवर किया जाता है, ऐसे में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केवल 250.68 करोड़ रूपये के अल्प आवंटन से वह संतुष्ट नहीं है.
इसमें कहा गया है कि समिति यह मानने को बाध्य है कि विभाग ने इस अति महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए बजट आवंटन बढ़ाने के अपने प्रयासों में कठोर उदासीन रवैया प्रदर्शित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति का यह सुविचारित मत है कि देश की अन्य सभी प्रमुख नदियां गंगा नदी के समान ही प्रदूषित हैं और उन्हें समान रूप से ध्यान देने और उपचारात्मक उपायों की आवश्यकता है. इसलिये समिति, विभाग से संशोधित अनुमान चरण, अनुपूरक मांग चरण में इस कार्यक्रम के लिये बजट आवंटन में वृद्धि करने हेतु सक्रिय कदम उठाने की सिफारिश करती है. समिति ने इस प्रतिवेदन को प्रस्तुत किये जाने के तीन महीने के भीतर विभाग द्वारा उठाये गए कदमों के बारे में जानकारी देने को भी कहा है.
जल शक्ति मंत्रालय ने समिति को बताया था कि प्रदूषित नदी क्षेत्रों के साथ चिन्हित शहरों में प्रदूषण उपशमन कार्यो/योजनाओं के प्रस्ताव राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत समय-समय पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों से विचारार्थ प्राप्त होते हैं जिन्हें उनकी प्राथमिकता और राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के दिशानिर्देशों के अनुरूप निधियों की उपलब्धता के आधार पर स्वीकार किया जाता है. मंत्रालय ने कहा कि संशोधित अनुमान के स्तर पर समिति की सिफारिशों के अनुपालन में अतिरिक्त निधियों की अनुपूरक मांग की जा सकती है.
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें केंद्र और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों के बीच पूंजीगत व्यय को साझा किया जाता है तथा परिचालन व्यय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा 100 प्रतिशत वहन किया जाता है. मंत्रालय ने बताया कि वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक 5 वर्ष की अवधि के लिये कुल परिव्यय 1,252 करोड़ रुपए है जिसका औसत वार्षिक परिव्यय लगभग 225 करोड़ रुपए है. इसके साथ ही, नमामि गंगे मिशन-2 के मामले में पूंजीगत और परिचालन व्यय दोनों राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा वहन किया जाता है.(भाषा)