जयपुर: गौवंश को बचाने में जुटे पशुपालन विभाग का पिछले 6 माह में जैसे अन्य पशुओं और उनके रोगों पर ध्यान ही नहीं है. पशुपालन विभाग गाय-भैंसों में साल में 2 बार किए जाने वाले एफएमडी टीकाकरण को भी भूल बैठा है. नवंबर माह तक के विभागीय प्रोग्रेस रिपोर्ट के आंकड़ों में विभाग की स्थिति खराब नजर आ रही है.
पशुपालन विभाग की विभागीय योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट में बदहाल स्थिति सामने आई है. बात चाहे पशुओं के टीकाकरण की हो या फिर अन्य प्रकार के कैम्प लगाने की, पशुओं के उपचार से जुड़े इस महकमे की स्थिति बदतर नजर आ रही है. दरअसल, पशुपालन विभाग इस साल गौवंश की लंपी स्किन बीमारी से जूझ रहा है. जून माह से ही गौवंश का प्रकोप दिखना शुरू हो गया था और विभागीय अधिकारी अक्टूबर माह तक इसे नियंत्रण में लाने में सफल हुए हैं.
बड़ी संख्या में गायों की मौत के बावजूद पशुपालन विभाग के चिकित्सकों और अन्य सहायक स्टाफ की मदद से लाखों गायों को मौत के मुंह में जाने से बचा लिया गया है. लेकिन गौवंश को बचाने में जुटे विभाग का अन्य पशुओं से जैसे ध्यान हट गया है. यही कारण है कि पशुओं में साल में 2 बार लगाए जाने वाले खुरपका-मुंहपका रोग के टीके भी नहीं लगाए जा सके हैं. इसके अलावा कुल टीकाकरण के लक्ष्य में भी पशुपालन विभाग पिछड़ा हुआ नजर आ रहा है. हालांकि विभाग ने सलेक्टेड एरिया में लगाए जाने वाले हीमोरेजिक सेप्टीसीमिया, ब्लैक क्वार्टर, ब्रूसेलोसिस आदि बीमारियों से बचाव के लिए किए जाने वाले टीकाकरण में अच्छा लक्ष्य हासिल किया है.
पशुपालन विभाग की 4 फीसदी परफॉर्मेंस !
- खुरपका-मुंहपका वैक्सीनेशन में बुरी तरह फिसड्डी साबित पशुपालन विभाग
- जबकि गाय-भैंस जैसे पशुओं में साल में 2 बार वैक्सीनेशन करना जरूरी
- इस वित्त वर्ष के लिए 7 करोड़ 37 लाख पशुओं में किया जाना है वैक्सीनेशन
- इनमें से नवंबर माह तक 3 करोड़ 90 लाख पशुओं को लगाए जाने थे टीके
- लेकिन पशुपालन विभाग अब तक केवल 17.87 लाख पशुओं को ही टीके लगा सका
- यानी निर्धारित लक्ष्य की तुलना में महज 4.57 फीसदी ही हुआ FMD वैक्सीनेशन
- पशुओं के कुल वैक्सीनेशन में भी बुरी तरह पिछड़ा पशुपालन विभाग
- इस वर्ष 10.96 करोड़ पशुओं को सभी तरह के रोगों के लगाए जाने हैं टीके
- जबकि नवंबर तक 5.81 करोड़ पशुओं को लगाए जाने हैं टीके
- नवंबर तक महज 1.45 करोड़ पशुओं को ही टीके लगाए जा सके
- इनमें लंपी स्किन डिजीज के समय लगाए गए 98 लाख टीके भी शामिल
- यानी लक्ष्य की तुलना में 25 फीसदी भी नहीं किया जा सका वैक्सीनेशन
गाय-भैंस और अन्य बड़े पशुओं के उपचार से जुड़े कुल 37066 शिविर लगाए जाने थे, जिनमें से अब तक 32744 शिविर लगाए जा चुके हैं. बकरी और भेड़ों के उपचार से जुड़े एंडो पैरासाइट और एक्टोपैरासाइट के उपचार में भी पशुपालन विभाग अपने लक्ष्य के आधे पर ही अटका हुआ है. भेड़-बकरियों के टीकाकरण के मामले में भी विभाग काफी पीछे है. यहां पर विभाग नवंबर माह तक अपने लक्ष्य का केवल 23 फीसदी लक्ष्य ही अर्जित कर सका है. यानी टीकाकरण के अभाव में आने वाले दिनों में भेड़-बकरियों में यदि बीमारियां बढ़ती हैं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.
इन टारगेट में भी पीछे पशुपालन विभाग:-
- 50.08 लाख पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान का था लक्ष्य
- नवंबर तक 26.54 लाख पशुओं का किया जाना था कृत्रिम गर्भाधान
- लेकिन विभाग अब तक केवल 15.78 लाख ही कर सका
- बधियाकरण के लक्ष्य में तो विभाग और भी पीछे
- 5 लाख है कुल लक्ष्य, नवंबर तक 2.75 का करना है बधियाकरण
- पशुपालन विभाग केवल 87 हजार का ही कर सका बधियाकरण