जयपुर: सड़क हादसे के घायलों को नजदीक के अस्पताल पहुंचाने वालों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षक योजना को जल्द ही गति मिलेगी. योजना को लागू हुए करीब एक साल होने को है, लेकिन जटिल सरकारी प्रक्रिया के चलते महज 21 लोगों को ही "भले आदमी" का तमंगा मिला है. ऐसे में चिकित्सा विभाग ने योजना को डि-सेन्ट्रलाइज्ड करते हुए पुलिस और उपखण्ड अधिकारियों को भी प्रस्ताव भेजने के लिए अधिकृत किया है. क्या है योजना और इससे हादसे में घायल होने वालों को कैसे लाभ मिलेगा.
किसी भी सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को ग़ॉल्डन ऑवर्स में अस्पताल पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बस सकती है. गहलोत सरकार ने घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए आमजन को प्रेरित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना शुरु की है. योजना में घायल को समय पर अस्पताल पहुंचाने वाले भले व्यक्ति को 5 हजार रुपए और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है. लेकिन योजना की प्रक्रिया में कई तरह के पेंच होने के चलते महज 21 लोग ही इसका लाभ ले पाए है.
ऐसे में पिछले दिनों चिकित्सा सचिव डॉ पृथ्वी ने योजना की समीक्षा की और फिर खामियों को दुरूस्त करने के लिए योजना के आवेदन की प्रक्रिया को डि-सेन्ट्रलाइज्ड किया है. चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक(चिकित्सा प्रशासन) डॉ सुनील कुमार परमार ने भी माना की अभी तक योजना सेन्ट्रलाइज्ड थी, जिसमें सभी प्रस्ताव मुख्यालय पर आ रहे थे. लेकिन अब योजना को एक तरफ जहां सीएमएचओ कार्यालय तक डि-सेन्ट्रलाइल्ड किया गया है, वही दूसरी ओर पुलिस और उपखण्ड अधिकारियों को भी प्रस्ताव भेजने के लिए अधिकृत किया गया है.
अधिकारी पूल बजट प्रणाली से भले आदमी को प्रोत्साहन राशि का भुगतान कर सकेंगे:
इस योजना में घायलों को अस्पताल पहुंचाने वाले एक से अधिक भले व्यक्ति होते हैं तो प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार राशि समान रुप से विभाजित की जाएगी. ताजा व्यवस्था में जिले में सीएमएचओ ही सभी प्रस्तावों का भुगतान देकर निस्तारण कर सकेंगे. अधिकारी पूल बजट प्रणाली से भले आदमी को प्रोत्साहन राशि का भुगतान कर सकेंगे. जिसके लिए चिकित्सा विभाग ने विस्तृत आदेश जारी किए है. चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त निदेशक(चिकित्सा प्रशासन) डॉ सुनील कुमार परमार ने बताया कि योजना में कम लाभार्थियों के पीछे का कारण ये भी है कि यदि 108 एम्बुलेंस से कोई मरीज को लाता है तो उस स्थिति में किसी को भी प्रोत्साहन राशि नहीं दी जा रही है. दुर्घटनाओं में अधिकांश मामले ऐसे होते है, जहां 108 एम्बुलेंस से ही मरीज अस्पताल लाए जाते है.
अभी तक योजना के क्रियान्वयन की रफ्तार कम रही:
दरअसल, हादसे में घायल व्यक्तियों को अक्सर अस्पताल पहुंचाने में देरी हो जाती है, जिसके कारण कईयों को तो जान से हाथ धोना पड़ता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए "भले आदमी" को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षक योजना शुरू की गई है. हालांकि, अभी तक योजना के क्रियान्वयन की रफ्तार कम रही है, लेकिन उम्मीद है कि ताजा व्यवस्था के बाद अब न सिर्फ जन जन तक योजना पहुंचेगी, बल्कि अधिक से अधिक "भले आदमी" प्रोत्साहित भी होंगे, ताकि सड़क हादसों में मरणासन हालत में पहुंचने वाले पीड़ितों को समय पर उपचार के जरिए नई जिन्दगी मिल सके.