जयपुर: राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) में एक विभाग ऐसा भी है, जो शायद अनाथ है. विभाग में पिछले 2 साल से निदेशक का पद रिक्त चल रहा है. लंपी स्किन डिजीज के प्रकोप के दौरान भी यह पद भरा नहीं जा सका. और जब पशुओं में इस रोग का प्रकोप कम हुआ तो सरकार ने विभाग के पूर्णकालिक सचिव का पद भी छीन लिया. कर्मचारी ऐसे कि पिछले 6 साल से उन्हें पदोन्नति नसीब नहीं हुई. ऐसे में यह महकमा भगवान भरोसे ही चल रहा है.
प्रदेश में 5 करोड़ 68 लाख पशुधन की देखभाल का जिम्मा संभालने वाले पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) की हालत 'आगे नाथ न पीछे पगहा' मुहावरे जैसी है. विभाग को लेकर राज्य सरकार की संवेदनशीलता इस बात से समझी जा सकती है कि जब गौवंश में लंपी स्किन महामारी फैली हुई थी, उस कठिन समय में भी विभाग में कोई स्थाई मुखिया नहीं था. पशुपालन विभाग में पिछले तीन साल से पूर्णकालिक निदेशक नहीं है.
आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2019 को अंतिम पूर्णकालिक निदेशक डॉ. शैलेश शर्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद पशुपालन विभाग को नया स्थाई निदेशक नहीं मिल सका है. फरवरी 2020 से 27 जुलाई 2021 तक पशुपालन विभाग में उप शासन सचिव पद पर कार्यरत डॉ. विरेन्द्र सिंह मीणा को ही निदेशक बनाया हुआ था. हालांकि वे आरएएस पद पर थे, ऐसे में उन्हें निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा हुआ था. 27 जुलाई 2021 को डॉ. विरेन्द्र सिंह मीणा का स्थानांतरण होने के बाद से यह पद पूरी तरह से रिक्त पड़ा हुआ है.
पशुपालन विभाग के निदेशक पद पर सेवा नियमों में पशुपालन विभाग से पदोन्नत अधिकारी या फिर IAS को लगाने का प्रावधान है. लेकिन अतिरिक्त निदेशक से निदेशक पद पर पिछले 6 वर्षों से पदोन्नति नहीं हो सकी है. कार्मिक विभाग हर साल समयबद्ध तरीके से पदोन्नति करने के लिए विभागों को निर्देश देता है, लेकिन पशुपालन विभाग में कार्मिक विभाग के नियमों की पालना नहीं हो पा रही है.
कैसा मुख्यालय, यहां किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं ?
- विभाग के स्थाई सचिव पीसी किशन का पिछले माह तबादला हुआ
- अब पशुपालन सचिव का IAS कृष्ण कुणाल को दिया गया अतिरिक्त प्रभारी
- कुणाल के पास पहले से ही निर्वाचन विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
- विभाग में अतिरिक्त निदेशक के प्रभार बगैर पदोन्नति ही दे दिए गए
- परेशान कर्मचारी समस्या लेकर निदेशालय पहुंचते हैं, लेकिन चेम्बर्स खाली दिखते हैं
- जिलों में विभागीय पशु चिकित्सा संस्थाओं में दवाओं की सप्लाई की कमी
- केवल कागजी खानापूर्ति कर की जा रही है इतिश्री
पशुपालन विभाग में बिना पदोन्नति के ही कार्मिक रिटायर हो रहे हैं. उन्हें पिछले 6 साल से पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है. आपको बता दें कि समयबद्ध तरीके से पदोन्नति नहीं होने से विभाग में रोजगार के नए मौके भी नहीं मिल पा रहे हैं. विभाग में पशुधन सहायक से पशुचिकित्सा सहायक के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है. पशुधन सहायक से पशुचिकित्सा सहायक के बैकलॉग की पदोन्नति भी नहीं हुई. पशुचिकित्सा सहायक से सहायक सूचना अधिकारी के पदों पर पदोन्नति नहीं हुई है. इसी श्रेणी में बैकलॉग की पदोन्नति भी नहीं हुई है.
विभागीय कर्मचारियों की यह है स्थिति:-
- पशुधन सहायक के कुल स्वीकृत पद हैं 8809
- इनमें से करीब 8000 पद भरे हुए
- बचे रिक्त पदों के लिए पशुधन सहायक भर्ती-2022 प्रक्रियाधीन
- करीब 500 से अधिक पदों पर आगामी दिनों में स्थाई नियुक्ति संभावित
- पशुचिकित्सा सहायक के कुल स्वीकृत पद 1644
- इनमें से 934 पद भरे हुए, 710 पद हैं रिक्त
- सहायक सूचना अधिकारी के कुल स्वीकृत पद 393
- इनमें से मात्र 24 पद भरे हुए, 369 पद हैं रिक्त
विभाग में पदोन्नति नहीं होने को लेकर पशुचिकित्सा तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष बनवारी लाल बुनकर का कहना है कि पशुपालन विभाग राजस्थान सरकार के निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहा. जिस कारण पशुपालन विभाग के कर्मचारी पदोन्नति का लाभ लिए बिना ही विभागीय पद से रिटायर हो रहे हैं. साथ ही बेरोजगार युवाओं को समय पर रोजगार के अवसर भी नहीं मिल पा रहे. इन्हीं वजहों से अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, उपनिदेशक, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी आदि पदों पर पद विरुद्ध अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं.