जयपुर: ERCP के तहत राजस्थान के दो बांधों में परियोजना कार्य तेज गति से जारी है. ये दो बांध है ईसरदा बांध और हाड़ौती का नौनेरा बांध. किसान महापंचायत की टीम मंगलवार को ईसरदा बांध परियोजना स्थल पर पहुंची. महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के सपने को साकार होते देखने का अपना आनंद है. जाट ने गहलोत सरकार के प्रयासों के लिए आभार जताया.
इसी साल के जुलाई में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि इस ERCP में इसको किसी भी कीमत पर बंद नहीं करूंगा चाहे इस मामले में भी केंद्र ED भेज दे लेकिन हम डरने वाले नहीं है, योजना का काम आगे बढ़ेगा. मैं घोषणा करता हूं कि अगर भारत सरकार ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करती है तो राजस्थान सरकार इस योजना का पूरा काम करेगी. सीएम गहलोत ने बजट के तहत भी 9600 करोड़ इस परियोजना पर खर्च करने की घोषणा की थी.
उल्लेखनीय है ERCP एक सियासी मुद्दे के अलावा 13 जिलों की जीवन रेखा से जुड़ा ज्वलंत मुद्दा है. करीब 3 करोड़ लोगों को योजना प्रभावित करेगी. परियोजना के तहत टोंक जिले के ईसरदा बांध और कोटा जिले के नौनेरा बांध पर कार्य शुरू हो गया है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट अपनी टीम के साथ बनेठा गांव के पास निर्माणाधीन ईसरदा बांध पर पहुंचे. जिसका काम 40 से 45% पूरा हो चुका है. इसमें से 3 खंभों का फाउंडेशन का काम चल रहा है, शेष 25 खंभों का काम धरातल से ऊपर आ चुका है. अप्रैल माह तक इसके पूर्ण होने की संभावना है. पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के सपने को साकार होते देखने का अपना आनंद है.
कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर 1595 करोड़ की लागत से नोनेरा बांध निर्माण के कार्य ने गति पकड़ रखी है. जिसमें कोटा, बूंदी व बारां जिले के कई गांवों के लोगों की प्यास बुझ सकेगी और सिंचाई का पानी उपलब्ध हो सकेगा.
---क्या है नौनेरा बांध परियोजना---
- करीब 1600 करोड़ की है योजना
- ई-आरसीपी (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना) के पहले चरण के तहत नौनेरा बैराज का निर्माण दीगोद तहसील के एबरा ग्राम में कालीसिंध नदी पर किया जा रहा है
- इस बैराज के निर्माण के लिए राजस्थान सरकार ने 1595.06 करोड़ रुपये की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की थी
- इस परियोजना का मुख्य उद्देध्य बाढ़ और सूखे को नियंत्रित करना है. इस योजना से बूंदी, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, धौलपुर तक के कई गांवों को लाभ होगा
टोंक जिले की ईसरदा बांध परियोजना का अपना महत्व है. इस परियोजना से राजधानी जयपुर की जनता की प्यास भी बुझेगी.
---क्या है ईसरदा बांध परियोजना---
पूर्वी राजस्थान के लिये राजस्थान की यह दूसरी बड़ी परियोजना राज्य के अलवर, जयपुर सहित दौसा एवं सवाई माधोपुर को लाभ पहुँचाएगी. परियोजना के सेकेंड पेज से कुल 2547 गाँव एवं 11 कस्बों को पेयजल उपलब्ध होगा. इसमें अलवर ज़िले के 1118 गाँव एवं 4 कस्बे सम्मिलित हैं तथा शेष 1429 गाँव एवं 60 कस्बे जयपुर ज़िले के शामिल हैं.
परियोजना के सेकेंड पेज में ज़िले के अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की उमरैण पंचायत समिति के 110 तथा मालाखेड़ा पंचायत समिति के 90 गांव सहित अलवर ज़िले के थाना गाजी के 163, राजगढ़ के 140, बानसूर के 147, रैणी के 110, लक्ष्मणगढ़ के 206 तथा कठूमर के 152 गाँव सहित कुल 1118 गाँव तथा 4 कस्बे अलवर, राजगढ़, खेड़ली एवं थाना गाजी को इस परियोजना में सम्मिलित किया गया है.
दक्षिणी राजस्थान में प्रदेश की सबसे बड़ी नदी चंबल बहती है, जिसमें भरपूर मात्रा में पानी आता रहता है. चंबल की सहायक नदियों कुन्नू, पार्वती और कालीसिंध में भी बारिश के मौसम में पानी की आवक ज्यादा होती है. चंबल में पानी के अत्यधिक भराव के कारण बांधों के गेट को खोलकर पानी छोड़ना पड़ता है. इस अतिरिक्त पानी को पूर्वी राजस्थान के उन अभावग्रस्त जिलों में ले जाने के लिए पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना बनाई गई. ताकि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने, ग्रामीण इलाकों में भूजल स्तर बढने और लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके. प्रोजेक्ट पर 40,000 करोड़ रुपए का खर्च होगा.
इस परियोजना के तहत प्रदेश के 13 जिले आते हैं जिनमें झालावाड़, कोटा, बूंदी, बारां, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, अलवर, दौसा, करोली, भरतपुर और धोलपुर शामिल है. इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय स्तर का दर्जाा दिए जाने की मांग इसलिए की जा रही है ताकि इस प्रोजेक्ट में लगने वाली कुल लागत की 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार से मिल सके. पीएम नरेंद्र मोदी के मानगढ़ दौरे से उम्मीद थी कि कोई बड़ा ERCP को लेकर होगा हालांकि ऐसा नहीं हुआ लेकिन चुनावी साल में ऐलान होने की प्रबल संभावना है . लेकिन केंद्र के ऐलान से पहले सीएम अशोक गहलोत ने ERCP को लेकर राजस्थान सरकार का मंतव्य साफ कर दिया है.