जयपुर: राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम पर अब पायलट कैंप से जुड़े सूत्रों ने फर्स्ट इंडिया की खबर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने फर्स्ट इंडिया की खबर को लेकर कहा कि ये खबर है भ्रामक एवं सत्य से परे है. आलाकमान से टकराव के अच्छे परिणाम नहीं निकलेंगे. राजनीति में विधायकों की निष्ठा भी बदलती रहती है. बाकी विधायकों में से 40 विधायक आलाकमान तक अपनी प्रतिक्रिया पहुंचा चुके हैं.
उन्होंने आलाकमान के फैसले के साथ खड़े रहने का वादा किया है. वहीं आलाकमान ने भी सचिन पायलट को बागी विधायकों के निरंतर संपर्क में रहने और गहलोत कैंप पर किसी भी प्रकार के नेगेटिव रिमार्क्स नहीं देने की सलाह दी है. पायलट समर्थकों को आज भी 18 अक्टूबर से 18 नवंबर के बीच उनके पक्ष में फैसला होने की उम्मीद है. इधर गहलोत समर्थक विधायकों का किसी भी दूसरे व्यक्ति को मुख्यमंत्री ना बनाए जाने का अब एक ही स्टैंड है.
आपको बता दें कि फर्स्ट इंडिया न्यूज पर राजस्थान कांग्रेस सरकार (rajasthan congress government) को संकट में पड़ने को लेकर खबर प्रसारित हुई थी! इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि बागी कांग्रेसी विधायकों का नया स्टैंड सामने आया है. इन विधायकों को पहले सचिन पायलट (Sachin Pilot) के अलावा 102 विधायकों में से किसी को भी मुख्यमंत्री बनाए जाने का स्टैंड था लेकिन अब बागी विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन का प्रस्ताव सिरे से खारिज किया है.
गहलोत के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति स्वीकार नहीं होगा:
मिली जानकारी के अनुसार किसी भी सूरत में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति स्वीकार नहीं होगा. बागी विधायकों के नए स्टैंड से आलाकमान और राजस्थान कांग्रेस के बीच और टकराव बढ़ सकता है. बागी विधायक आलाकमना द्वारा उनके मन की बात पूछे जाने का इंतजार कर रहे हैं. बागी विधायक अब आलाकमान से एक ही सवाल पूछ रहे हैं ? आखिर कहां आवश्यकता है नेतृत्व परिवर्तन की ?
सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों के इस स्टैंड से आलाकमान हतप्रभ !
एक व्यक्ति-एक पद सिद्धांत के आधार पर अब गहलोत के पास केवल एक ही पद है तो फिर 102 विधायकों के समर्थन के बावजूद उन्हें क्यों हटाया और अपमानित किया जा रहा है? सूत्रों के अनुसार बागी विधायकों के इस स्टैंड से आलाकमान हतप्रभ है ! इसी बीच अगले 2-3 दिनों में खड़गे-दिग्विजय-माकन जयपुर आ रहे हैं. ये खड़गे के पक्ष में वोट डालने के लिए कांग्रेसी विधायकों से अनुरोध करेंगे. लेकिन इन तनावपूर्ण हालातों में ये तीनों नेता एक बार फिर विधायकों के मन की बात टटोल सकते हैं।