VIDEO: अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सिरमौर बनता राजस्थान, अब सोलर पार्क सेक्टर में कदम रखेगा राजस्थान उत्पादन निगम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम अब अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा की दिशा में कदम बढ़ाने जा रहा है. उत्पादन निगम बीकानेर स्थित पूगल में 2000 मेगावाट का सोलर पार्क विकसित करने जा रहा है, जिसके तहत कल कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी व सीएम गहलोत की मौजूदगी में कोल इंडिया से बड़ा एमओयू साइन होगा. इस पार्क में 810 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना स्वयं उत्पादन निगम लगाएगा, जबकि 1190 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा स्थापित की जाएगी. आखिर इस सोलर पार्क से आमजन को क्या होगा फायदा और कोयला मंत्री के राजस्थान दौरे से क्या है उम्मीदें, 

दरअसल, गहलोत सरकार ने थर्मल पॉवर प्लांटों में कोयले की बचत एवं प्रदूषण में कमी व व सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी उपक्रम राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को 2000 मेगावाट सोलर पार्क को विकसित करने का जिम्मा दिया गया है. इसके लिए बीकानेर के पूगल में 4846 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जहां 810 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना स्वयं उत्पादन निगम द्वारा स्थापित की जाएगी एवं 1190 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा स्थापित की जाएगी. प्रमुख ऊर्जा सचिव भास्कर ए सावंत खुद इस प्रोजेक्ट की मॉनिटिरिंग कर रहे है. सावंत का कहना है कि अभी तक अक्षय ऊर्जा निगम को सोलर पार्क विकसित करने का जिम्मा दिया जाता रहा है. लेकिन जिस तरह से समय बदल रहा है और ऊर्जा के अन्य स्त्रोतों पर निर्भरता बढ़ रही है, उसको देखते हुए जरूरी हो गया है कि उत्पादन निगम कोयल बेस्ड प्रोजेक्टस के साथ साथ अक्षय ऊर्जा की दिशा में भी आगे बढ़े.

कोयला मंत्री से मरूधरा को बड़ी उम्मीद

कोल क्राइसिस के बीच कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी का जयपुर दौरा

सोलर पार्क को लेकर कोल इंडिया-RVUNL के बीच होना है एमओयू

निजी होटल में आयोजित कार्यक्रम में सीएम गहलोत भी होंगे शामिल

इस दौरान राजस्थान की कोयला किल्लत को लेकर महत्वपूर्ण चर्चा संभव

दरअसल, पीईकेबी कोल खदानों से खनन शुरू नहीं होने से है दिक्कतें

प्रदेश के बिजलीघरों को नहीं मिल रहा पर्याप्त जरूरत के हिसाब से कोयला

हालांकि,ब्रिज लिंकेज से कुछ कोयला उपलब्ध,लेकिन इसमें क्वालिटी की दिक्कत

ऐसे में एनसीएल,एसईसीएल एवं एमसीएल से ही आपूर्ति बढ़ाने पर रहेगा फोकस

राजस्थान में हाल-ए-पावर प्लांट !

प्रदेश में बढ़ती बिजली की डिमाण्ड के बीच कोल क्राइसिस का गणित

राजस्थान में बड़े बिजली घरों में सिर्फ एक से 4 दिन का कोयला शेष

कोटा थर्मल में 4 दिन, सूरतगढ़ थर्मल में 2 दिन का कोयले शेष

इसके अलावा छबड़ा में 3 दिन, छबड़ा सुपर क्रिटिकल में 3 दिन

कालीसिंध थर्मल पावर प्रोजेक्ट में 1 दिन का बचा कोयला

सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट में 8 दिन का कोयला शेष

असामान्य स्टॉक ने बढ़ाई ऊर्जा विभाग के अधिकारियों की चिंता

ऐसे हालात के बीच कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के दौरे से काफी उम्मीदें

राजधानी में कोल इंडिया-RVUNL के एमओयू कार्यक्रम में शामिल होंगे जोशी

इस दौरान राजस्थान के कोल क्राइसिस के मुद्दे पर भी हो सकता है मंथन

पार्क विकसित करने को लेकर राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम ने भी सभी तैयारियां पूरी कर ली है. निगम सीएमडी आर.के.शर्मा का कहना है कि निगम के थर्मल, हाइडल एवं गैस आधारित विद्युत गृहों द्वारा बिजली का उत्पादन किया जा रहा है जिसमें कोयले पर आधारित 23 थर्मल इकाइयों से 7580 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है. इन इकाइयों को कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया लिमिटेड की विभिन्न खदानों से पिछले 40 वर्षों से की जा रही है. वर्तमान में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम बीकानेर जिले के पूगल तहसील में 2000 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क विकसित कर रहा है जिसमें से 1190 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना को कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा स्थापित किया जायेगा

दो साल में पूरा होगा फेज, बिजली दर में आएगी कमी

अब सोलर पार्क सेक्टर में कदम रख रहा विद्युत उत्पादन निगम

प्रोजेक्ट पहला फेज जमीन मिलने के दो साल में पूरा होने की उम्मीद

इसके बाद सालाना करीब 137 करोड़ यूनिट सस्ती बिजली मिलने लगेगी

प्रोजेक्ट से 2.15 से 2.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिलने का अनुमान

जबकि थर्मल प्लांट से औसतन बिजली उत्पादन लागत 4.30 रुपए प्रति यूनिट

ऐसा होने पर थर्मल पॉवर प्लांट से इतनी ही बिजली कम खरीद होगी

इससे बिजली खरीद दर में जो अंतर आएगा, उसका असर विद्युत दर में पड़ेगा

ऊर्जा क्षेत्र के लिहाज से आगामी तीन दिन राजस्थान के लिए काफी अहम है. कोयला मंत्री प्रहलाद जहां कल जयपुर आएंगे, वहीं दूसरी ओर केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह देशभर के ऊर्जा मंत्रियों के सम्मेलन के सिलसिले में दो दिन उदयपुर रहेंगे ऐसे में उम्मीद है कि केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे से राजस्थान की ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी गंभीर दिक्कतों के समाधान की दिशा में भी कोई राह निकलेगी.