Delhi AQI: राष्ट्रीय राजधानी में मौसम की बेहतर परिस्थिती,वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार

नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता में मौसम की अपेक्षाकृत बेहतर परिस्थितियों के कारण बुधवार सुबह मामूली सुधार हुआ और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) के चौथे चरण के तहत प्रतिबंध लागू करने की तत्काल आवश्यकता नहीं है.

मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि वायु गुणवत्ता में बृहस्पतिवार से तेज हवाएं चलने के कारण सुधार होने की उम्मीद है. राष्ट्रीय राजधानी में न्यूनतम तापमान 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो इस मौसम के औसत तापमान से एक डिग्री अधिक है और बुधवार सुबह करीब आठ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलीं. हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार के कारण सुबह नौ बजे पालम और सफदरजंग हवाई अड्डों पर बेहतर दृश्यता स्तर (1500 मीटर) रहा.

वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई:
शहर में सुबह नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 376 रहा. दिल्ली में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार अपराह्न चार बजे 424 दर्ज किया गया, जो पिछले साल 26 दिसंबर (459) के बाद से सबसे खराब है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, दो जनवरी (एक्यूआई 404) के बाद इस साल दिल्ली में यह दूसरा दिन था, जब वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई.

बीमार व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है:
बवाना (402), वजीरपुर (414), विवेक विहार (403), पटपड़गंज (410), जहांगीरपुरी (409), सोनिया विहार (426) और अशोक विहार (402) निगरानी स्टेशन में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई. सीपीसीबी के मुताबिक, बुधवार सुबह गाजियाबाद में 336, नोएडा में 347, ग्रेटर नोएडा में 345, फरीदाबाद में 373, गुरुग्राम में 319, भिवानी में 332, बहादुरगढ़ में 353, बुलंदशहर में 242, हापुड़ में 208, मेरठ में 174 और सोनीपत में 298 एक्यूआई दर्ज किया गया. एक्यूआई यदि 400 से अधिक हो, तो उसे ‘‘गंभीर’’ माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है और पहले से बीमार व्यक्तियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.

अन्य प्रतिबंधों को लागू करने का निर्देश दिया था:
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) द्वारा जून में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एक्यूएलआई) के अनुसार, खराब वायु गुणवत्ता के कारण दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा 10 साल कम होने की आशंका है. प्रदूषण के स्तर के बिगड़ने के साथ, केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने शनिवार को प्राधिकारियों को आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर, दिल्ली-एनसीआर में निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने और जीआरएपी के चरण तीन के तहत अन्य प्रतिबंधों को लागू करने का निर्देश दिया था.

तीन दिन पहले से लागू किए जा रहे:
पहली बार 2017 में लागू किया गया ‘जीआरएपी’ स्थिति की गंभीरता के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण रोधी उपायों की एक प्रणाली है. इसके तहत दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता को चार विभिन्न चरणों में वर्गीकृत किया गया है- पहला चरण - 'खराब' (एक्यूआई 201-300); दूसरा चरण - 'बहुत खराब' (एक्यूआई 301-400); तीसरा चरण - 'गंभीर' (एक्यूआई 401-450); और चौथा चरण - 'अति गंभीर' (एक्यूआई 450 से अधिक प्रदूषण को काबू करने संबंधी कदम इस साल पूर्वानुमान के आधार पर तीन दिन पहले से लागू किए जा रहे हैं.

संख्या के आधार पर वाहनों का संचालन शामिल:
जीआरएपी के चौथे चरण के तहत लागू किए जाने वाले कदमों में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध, सरकारी एवं निजी कार्यालयों में 50 प्रतिशत कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति देना, शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करना और सम-विषम पंजीकरण संख्या के आधार पर वाहनों का संचालन शामिल हैं. बहरहाल, सीएक्यूएएम के एक अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि चौथे चरण के तहत प्रतिबंधों को तत्काल लागू करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आने वाले दिनों में हवा की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है. सोर्स-भाषा