VIDEO: मनमानी दवाईयां लिखने वाले चिकित्सकों की अब नहीं खैर! निशुल्क-निरोगी योजना के क्रियान्वयन को लेकर SMS अस्पताल प्रशासन की सख्ती

जयपुर: राजस्थान के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में कमीशन के चक्कर में मरीजों को मनमानी दवाईयां लिखने वाले चिकित्सकों की अब खैर नही होगी.ऐसे डॉक्टरों पर लगाम कसने के लिए अस्पताल प्रशासन ने सख्त निर्देश दिए है कि वे सरकार की ओर से बनाई असेंशियल ड्रग लिस्ट यानी ईडीएल में से ही मरीजों को दवाईयां लिखे.अगर इस सूची से बाहर की दवाईयां कोई बार-बार मरीजों को लिखता है तो प्रशासन दवा की खरीद-प्रक्रिया में संबंधित डॉक्टर को शामिल करेगा.ताकि उसकी जिम्मेदारी तय हो सके.

दरअसल, CM अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में प्रदेश के हर वर्ग को फ्री दवाईयां, जांच की सुविधा देने के लिए मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना की शुरूआत की थी. जब इसकी शुरूआत हुई थी तब ईडीएल की सूची सीनियर डॉक्टर्स की सिफारिश पर तैयार करवाई थी. इस लिस्ट में 711 दवाईयां ही शामिल थी, जिसे हाल ही में निशुल्क ओपीडी आईपीडी योजना की शुरुआत के साथ ही और बढ़ाया गया है.हाल ही में सभी प्रमुख HOD की सिफारिश पर 898 दवाएं निरोगी राजस्थान के तहत योजना में जोड़ी गई है.

इस कवायद के बाद सूची में शामिल दवाओं की संख्या बढ़कर 1600 के आसपास हो गयी है.बावजूद इसके अब भी कई डॉक्टर किसी न किसी बहाने और तर्क बताकर इस सूची से बाहर की दवाईयां मरीजों को लिख रहे है. ऐसी दवाईयों को एसएमएस प्रशासन अपने स्तर से खरीद करके मरीजों को उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया में फाइनेंशियल और एडमिनिस्ट्रेटिव दिक्कते आ रही है. 

इस कारण न केवल मरीजों को परेशानी हो रही है, बल्कि इन दवाईयों के लिए बाहर मेडिकल स्टोर पर जाना पड़ रहा है. ऐसे में अब अस्पताल प्रशासन ने सभी विभागों के एचओडी को सख्त निर्देश दिए है कि वे सरकार की तरफ से एडीएल लिस्ट में से ही मरीजों को दवाईयां लिखे. अगर किसी डॉक्टर को इस लिस्ट से बाहर की कोई दूसरी दवाई लिखनी जरूरी है तो उन्हें एक-दो मामले में शिथिलता दी जाएगी, लेकिन सतत प्रक्रिया के तहत दवाई लिखी जाती है तो डॉक्टर की ये जिम्मेदारी होगी कि वह इस मामले पर प्रशासन से चर्चा कर उस दवाई को एसेंशियल ड्रग लिस्ट में शामिल करवाएगा. 

सूत्रों की माने तो कैंसर, स्कीन, सुपर स्पेशलिटी समेत कई विभागों से इस तरह की ज्यादा शिकायतें आ रही है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने ये भी तय किया है कि जो चिकित्सक सूची से बाहर की दवाईयां लिखेंगे तो उन दवाओ की लोकल परचेसिंग की प्रक्रिया में संबंधित चिकित्सक को भी शामिल किया जाएगा. भले ही प्रशासन मनमानी दवाइयां लिखने वाले डॉक्टर पर लगाम लगाने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन यह तभी संभव होगा जब खुद चिकित्सक अपनी जिम्मेदारी समझे और मरीज भी जागरूकता दिखाएं. प्रशासन भी ऐसे चिकित्सकों को चिन्हित कर कार्रवाई का डंडा चलाएं.ताकि सरकार की मंशा के अनुरूप हर मरीज को फ्री ट्रीटमेंट मिल सके.