जयपुर: राजस्थान में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. यहां सामूहिक खुदकुशी के मामलों में भी इजाफा हो रहा है. सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि सामूहिक सुसाइड के मामलों में प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर आ गया है.
आत्महत्या एक सामाजिक कलंक हैं. जब भी आत्महत्या का कोई मामला सामने आता है पूरे सामाजिक ताने बाने पर सवाल खड़े हो जाते हैं. बीते दिनों से प्रदेश में आत्महत्या के एक के बाद एक कई मामले सामने आ रहे हैं. हर रोज़ प्रदेश में किसी ना किसी इलाक़े से आत्महत्या की खबरें आती हैं. नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की ओर से बीतें दिनों जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले साल प्रदेश में सामूहिक आत्महत्या के 22 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें 67 लोगों ने अपनी जान गंवा दी गई थी. वहीं, तमिलनाडू में सामूहिक आत्महत्या के 33 के किए गए थे, जिससे यह राज्य देश में पहले नंबर पर है. इसके अलावा केरल तीसरे नंबर पर है, यहां सामूहिक सुसाइड के 12 केस सामने आए थे.
प्रदेश में आत्महत्या के अधिकतर मामले पहले ग्रामीण इलाक़ों से सामने आते हैं लेकिन अब शहरी इलाक़ों में भी आत्महत्या के काफ़ी मामले सामने आ रहे हैं. राजस्थान में बच्चों के साथ आत्महत्या करने की वजह से भी सामूहिक आत्महत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई हैं. अधिकतर प्रकरणों में यह भी सामने आया है क़ि सुसाइड होने के बाद पुलिस की ओर से कोई ख़ास जाँच इन मामलों में नहीं होती है. प्रदेश में आत्महत्या के ऐसे मामले भी सामने आए हैं जब सरकारी सिस्टम से दुखी हो कर लोगों ने आत्महत्या की हैं. इस तरह के मामलों में सरकार को आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है. आत्महत्या के आँकड़ों में सबसे चिंताजनक जो तथ्य है वह यह है क़ि बड़ी संख्या में अब युवा भी मौत को गले लगा रहे हैं. प्रदेश में आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
सबसे ज्यादा लोग पारिवारिक कलह, बीमारी और नशे के कारण अपनी जान दे रहे:
आत्महत्या के आंकड़ों का विश्लेषण करने से खुलासा हुआ है क़ि कुछ खास कारणों से ही लोग आत्महत्या कर रहे हैं. हालांकि सिंगल सुसाइड में राजस्थान बाक़ी प्रदेशों से काफ़ी पीछे हैं. लेकिन मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा लोग पारिवारिक कलह, बीमारी और नशे के कारण अपनी जान दे रहे हैं. वहीं, सबसे ज्यादा आत्महत्याएं पारिवारिक कलह के कारण हो रही हैं. प्रदेश में आत्महत्या करने वाले करीब 33 फीसदी लोगों ने पारिवारिक कलह के कारण खुदकुशी कर ली. 18 फीसदी लोगों ने बीमारी, 6.4 फीसदी ने नशे, 4.8 फीसदी ने वैवाहिक परेशानियों, 4.6 फीसदी ने प्रेम प्रसंग और 2 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी से परेशान होकर जान दी है.
अब आपको बताते हैं कुछ आंकड़े:-
- सिंगल सुसाइड केस के मामले में राजस्थान का देश में 27वें नंबर पर है
- हर साल यहां आत्महत्या के मामलों में इजाफा हो रहा है
- प्रदेश में 2021 में 5593 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी वहीं, इससे पहले 2020 में 5546, 2019 में 4531, 2018 में 4333, 2017 में 4188, 2016 में 3678, 2015 में 3457 आत्महत्याएं दर्ज की गईं थी
- एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2021 में प्रदेश में प्रति एक लाख लोगों में से 7 ने आत्महत्या करने जैसा घातक कदम उठाया था
- एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार देश में औसतन 450 लोग रोजाना सुसाइड कर रहे हैं
- साल में यह आंकड़ा 1.64 लाख के करीब पहुंच जाता है
- बीते साल 2020 की तुलना में 2021 में देश में आत्महत्या के सात फीसदी से ज्यादा केस बढ़े हैं.
- महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 22207, तमिलनाडु में 18925, मध्यप्रदेश में 14956, पश्चिम बंगाल में 13500 और कर्नाटक में 13056 आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए.
- देश भर में हुईं आत्महत्यों के 50 फीसदी से ज्यादा केस इन्हीं राज्यों के हैं.