नई दिल्ली Supreme Court- अनुच्छेद 226 के तहत बैंक को OTS का लाभ कर्जदार को देने को नहीं कहा जा सकता

Supreme Court- अनुच्छेद 226 के तहत बैंक को OTS का लाभ कर्जदार को देने को नहीं कहा जा सकता

Supreme Court- अनुच्छेद 226 के तहत बैंक को OTS  का लाभ कर्जदार को देने को नहीं कहा जा सकता

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि उच्च न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत किसी बैंक/वित्तीय संस्थान को किसी कर्जदार को सकारात्मक तरीके से एकबारगी निपटान (ओटीएस) का लाभ देने का निर्देश नहीं दे सकता. न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की पीठ ने कहा कि एक कर्जदार अधिकार के रूप में इस तरह के लाभ की मांग नहीं कर सकता. एकबारगी निपटान का लाभ हमेशा ओटीएस योजना के तहत पात्रता मानदंडों और समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों के तहत ही दिया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने यह निर्णय बिजनौर अर्बन को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, बिजनौर द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर दिया है. इसमें अनुच्छेद 226 के तहत अधिकारों का प्रयोग करते हुए बैंक को एकबारगी निपटान के लिए कर्जदार के आवेदन पर सकारात्मक तरीके से विचार करने का निर्देश दिया गया था. शीर्ष अदालत ने इस फैसले को रद्द करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से आगे जाकर यह आदेश दिया है. सोर्स-भाषा

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