कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि केआईआईएफबी की ओर से नियमों के कथित उल्लंघनों की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा माकपा के वरिष्ठ नेता थॉमस आईज़ैक को बार-बार समन भेजने का कोई औचित्य नहीं है.
अदालत ने यह भी कहा कि ‘केरल अवसंरचना निवेश कोष बोर्ड’ (केआईआईएफबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और संयुक्त कोष प्रबंधक को बार-बार समन भेजने का कोई औचित्य नहीं है. अदालत ने मामले में ईडी की ओर से कोई भी समन जारी किए जाने पर दो महीने तक रोक लगा दी. और समन जारी करने पर रोक लगाते हुए न्यायमूर्ति वीजी अरूण ने यह भी कहा कि एजेंसी की जांच पर रोक नहीं है अदालत ने आईज़ैक की याचिकाओं पर यह निर्देश जारी किए हैं. माकपा नेता ने उन्हें और केआईआईएफबी के शीर्ष अधिकारियों को जारी समन को चुनौती दी थी तथा केआईआईएफबी के वित्तीय लेनदेन की जांच का विरोध किया था. उच्च न्यायालय ने इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक को भी पक्षकार बनाया और दोनों याचिकाओं को आगे की सुनवाई के लिए 15 नवंबर को सूचीबद्ध किया.
केआईआईएफबी ने अपनी याचिका में उसके सीईओ के. मैथ्यू अब्राहम और संयुक्त कोष प्रबंधक एनी जे थॉमस समेत उसके अधिकारियों को समन भेजे जाने को चुनौती दी थी तथा ईडी की जांच का यह कहते हुए विरोध किया था कि छानबीन राज्य में विकास परियोजनाओं के लिए कोष इकट्ठा करने के उसके काम में बाधा डाल रही है आईज़ैक ने अपनी याचिका में कहा था कि समन में यह जानकारी नहीं दी गई है कि नियम के उल्लंघन की प्रकृति क्या है और न ही यह बताया गया है कि किस बात की जांच की जा रही है जिसपर उनसे जवाब मांगा गया है. ईडी ने माकपा के वरिष्ठ नेता को नोटिस जारी कर 19 जुलाई को उन्हें पेश होने के लिए कहा था. वह केंद्रीय एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए थे.