उदयपुर: राजस्थानी युवा समिति प्रदेश भर में संभाग स्तर पर इन दिनों राजस्थानी भाषा की जागरूकता को लेकर कार्यक्रम का आयोजन कर रही है. राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर लंबे अरसे से संसद से विधानसभा, सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक मांग उठ रही है. अब युवाओं को राजस्थानी भाषा के प्रति जागरूक करने की #राजस्थानीबणेराजभासा के नाम से सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है.
साथ ही जयपुर के बाद के बाद रविवार को उदयपुर में "हेलो मायड़ भाषा रो" कार्यक्रम का आयोजन किया गया. राजस्थानी को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में जनजागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा के कवि-साहित्यकार, लेखक और भाषा प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया और राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की शपथ ली.
उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी के खुले मंच पर युवाओं में जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राजस्थानी युवा समिति के राष्ट्रीय सलाहकार एवं इतिहास के अध्यापक राजवीर सिंह चलकोई ने संबोधित करते हुए कहा कि "विश्व की सबसे समृद्ध भाषाओं में से एक भाषा हमारी राजस्थानी भाषा है लेकिन दुर्भाग्य यह कि जिस भाषा में यहाँ का छात्र B.A M.A और Ph.D कर लेता है उसी भाषा को संवैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है.
कार्यक्रम का संचालन अलग-अलग प्रदेश की बोलियों में हुआ:
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. आई वी त्रिवेदी जी ने कहा कि इस कार्यक्रम का संचालन अलग-अलग प्रदेश की बोलियों में हुआ, इससे यह साबित होता है कि सभी जगह अलग अलग बोलियां बोली जाती है परंतु भाषा एक ही है राजस्थानी. भाषा आंदोलन के रणनीतिकार महावीर सिंह ने राजस्थानी भाषा के संवैधानिक महत्व के बारे में युवाओं को अवगत करवाया. कार्यक्रम का संचालन कवि छैलूदान चारण एवं दिलीप चारण ने राजस्थान की अलग-अलग बोलियों में किया.