नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट की नई सनसनी सूर्यकुमार यादव को टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में विश्व का नंबर एक खिलाड़ी बनना अब भी सपने जैसा लगता है, लेकिन वह सीमित ओवरों के प्रारूप तक ही सीमित नहीं रहना चाहते हैं और उनकी टेस्ट क्रिकेट में भी अपना जलवा दिखाने दिली तमन्ना है.
सूर्यकुमार ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में टी20 रैंकिंग में शीर्ष पर काबिज होने, अगले साल होने वाले विश्वकप और टेस्ट क्रिकेट खेलने की अपनी तमन्ना को लेकर बात की.
सूर्यकुमार से साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं–
प्रश्न: अगर आज से एक साल पहले कहा जाता कि साल के आखिर में आप टी20 क्रिकेट में नंबर एक बल्लेबाज बने रहेंगे, तो क्या आप इस पर विश्वास करते?
उत्तर: यह अब भी सपने जैसा लगता है. अगर साल भर पहले किसी ने मुझे टी20 क्रिकेट का नंबर एक बल्लेबाज कहा होता तो मुझे नहीं पता कि मैं कैसे प्रतिक्रिया करता. जब मैंने इस प्रारूप में खेलना शुरू किया तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था और इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की थी.
प्रश्न: अब प्राथमिकता 2023 में होने वाला वनडे विश्व कप होगा, तो क्या आप 50 ओवरों के प्रारूप के लिए अपने खेल में बदलाव करेंगे?
उत्तर: जब मैं किसी प्रारूप में खेल रहा होता हूं तो उसके बारे में बहुत नहीं सोचता, क्योंकि मैं जब भी बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो उसका भरपूर आनंद लेता हूं. मैं यही सोचता हूं कि जब भी मैं क्रीज पर जाऊं तो मैच में पासा पलटने वाला प्रदर्शन करूं. मुझे बल्लेबाजी करना पसंद है फिर चाहे वह टी20, वनडे या रणजी ट्रॉफी कुछ भी हो.
प्रश्न: क्या आपको ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला के लिए भारतीय टीम में जगह बनाने की उम्मीद है?
उत्तर: मैंने लाल गेंद से आयु वर्ग के राष्ट्रीय स्तर पर खेलना शुरू किया, इसलिए इसका उत्तर इसी में निहित है. पांच दिवसीय मैचों में आपके सामने पेचीदा लेकिन रोमांचक परिस्थितियां होती हैं और आप चुनौती का सामना करना चाहते हैं. हां, यदि मुझे मौका मिलता है तो मैं तैयार हूं.’’
प्रश्न: कौशल सीखा जा सकता है लेकिन किसी खिलाड़ी को उच्च स्तर पर खेलने के लिए मानसिक रूप से कैसे तैयार करना चाहिए?
उत्तर: मैं यही कहूंगा कि यह कभी असंभव नहीं होता है लेकिन निश्चित तौर पर मुश्किल होता है. इसके लिए आपका रवैया अच्छा होना चाहिए. मैं अधिक अभ्यास करने के बजाय बेहतर अभ्यास करने पर ध्यान देता हूं. मैंने और मेरे परिवार ने काफी बलिदान दिए हैं. भारत की तरफ से पदार्पण करने से पहले मैं 10 साल तक प्रथम श्रेणी क्रिकेट में खेलता रहा हूं. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में आपको काफी चीजें सीखने को मिलती हैं और इसलिए जब आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं और भिन्न तरह के गेंदबाजों का सामना करते हैं तो फिर आपको केवल खुद को अभिव्यक्त करने की जरूरत होती है.
प्रश्न: पिछले कुछ वर्षों से घरेलू स्तर पर और आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद राष्ट्रीय टीम में चयन नहीं होने पर क्या आपको निराशा होती थी या गुस्सा आता था?
उत्तर: मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं खीझ जाता था लेकिन हमेशा मैं यह सोचता था कि अगले स्तर पर जाने के लिए अलग से क्या करना होगा. इसलिए मैंने कड़ी मेहनत करना जारी रखा और आपको इसके साथ ही अपने खेल का भी आनंद लेना होता है. आप इसीलिए क्रिकेट खेलना शुरू करते हैं. मैं जानता था कि अगर मैं परिणाम पर ध्यान न दूं और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करूं तो मैं किसी दिन राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने में सफल रहूंगा.
प्रश्न: क्या आप हमें अपनी 360 डिग्री तकनीक के बारे में कुछ बता सकते हैं?
उत्तर: यह दिलचस्प कहानी है. मेरे स्कूल और कॉलेज के दिनों में मैंने रबड़ की गेंद से काफी क्रिकेट खेली. सीमेंट की कड़ी पिचों पर और बारिश के दिनों में 15 गज की दूरी से की गई गेंद तेजी से आती थी तथा यदि लेग साइड की बाउंड्री 95 गज होती थी तो ऑफ साइड की 25 से 30 गज ही होती थी.
इसलिए ऑफ साइड की बाउंड्री बचाने के लिए अधिकतर गेंदबाज मेरे शरीर को निशाना बनाकर गेंदबाजी करते थे. ऐसे में मैंने कलाइयों का इस्तेमाल करना, पुल करना और अपर कट लगाना सीखा. मैंने नेट पर कभी इसका अभ्यास नहीं किया.
प्रश्न: विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ आपके संबंध कैसे हैं?
उत्तर: मैं वास्तव में बेहद भाग्यशाली हूं जो विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ खेल रहा हूं. वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दिग्गज सितारे हैं. उन्होंने जो कुछ हासिल किया है मैं नहीं जानता कि कभी मैं उसे हासिल कर पाऊंगा या नहीं. हाल में मैंने विराट भाई के साथ कुछ अच्छी साझेदारियां निभाई और मैंने उनके साथ बल्लेबाजी करने का आनंद लिया.
प्रश्न: क्या आप अपने करियर में मुंबई इंडियंस और आपकी पत्नी देवीशा के योगदान के बारे में बताएंगे?
उत्तर: मेरी जिंदगी और क्रिकेट यात्रा में दो स्तंभ हैं - मुंबई इंडियंस और मेरी पत्नी देवीशा. पहले मैं मुंबई इंडियंस के योगदान पर बात करूंगा. जब मैं 2018 में कोलकाता नाइट राइडर्स को छोड़कर यहां आया था तो मैं शीर्ष क्रम में बल्लेबाजी के मौके पर ध्यान दे रहा था और मेरे कहे बिना ही टीम प्रबंधन ने मुझ पर भरोसा दिखा कर मुझे यह जिम्मेदारी सौंप दी थी. मैंने 2016 में देवीशा से शादी की और जब मैं मुंबई इंडियन से जुड़ा तो हम दोनों ने अगले स्तर पर जाने के लिए क्या करना चाहिए इसके बारे में सोचना शुरू किया. मुझे जब भी उनकी जरूरत पड़ी तो वह मेरे साथ खड़ी रही. एक खिलाड़ी के तौर पर मैं जिस तरह का संतुलन चाहता था देवीशा ने मुझे वह मुहैया कराया. सोर्स-भाषा