G20 Summit 22: रूस-यूक्रेन का मुद्दा रहेगा अहम, कई विश्व नेताओं की बैठकों पर नज़रें

G20 Summit 22: रूस-यूक्रेन का मुद्दा रहेगा अहम, कई विश्व नेताओं की बैठकों पर नज़रें

बाली: इंडोनेशिया ने करीब एक साल पहले जी20 की अध्यक्षता संभालते हुए ‘‘एक साथ उभरें, मजबूती से उभरें’’ का नारा दिया था, जो कि उस समय कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप की मार झेल रही दुनिया के लिए एकदम उपयुक्त था.

आज हालांकि रिज़ॉर्ट द्वीप के नुसा दुआ क्षेत्र में जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले बसों और होर्डिंग पर छपा यह नारा थोड़ा कम प्रासंगिक प्रतीत हो रहा है. खासकर तब जब रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद विश्व आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है और खाद्य तथा ऊर्जा की कमी का संकट मंडरा रहा है. शिखर सम्मेलन 15-16 नवंबर को आयोजित किया जाएगा.

सोमवार को होने वाली एक बैठक पर भी सभी की नज़र:
रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसके वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव यहां चर्चा का विषय रहेगा. हालांकि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच सोमवार को होने वाली एक बैठक पर भी सभी की नज़र है. अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के अगस्त में ताइवान की यात्रा करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए थे. चीन ने इसे उकसाने वाला कदम करार दिया था और इसके जवाब में स्व-शासित द्वीप के आसपास कई सैन्य अभ्यास किए थे.

एक सामुदायिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे:
बाइडन रविवार देर रात बाली के लिए रवाना हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को यहां पहुंचेंगे. इस दौरान वह शिखर सम्मेलन के मुख्य सत्रों में हिस्सा लेंगे और कुछ द्विपक्षीय बैठके करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी कई विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और इंडोनेशिया में प्रवासी भारतीय के एक सामुदायिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. हालांकि मोदी चीन के राष्ट्रपति शी से मुलाकात करेंगे या नहीं अभी यह स्पष्ट नहीं है.

विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव देश का प्रतिनिधित्व करेंगे:
अगर दोनों के बीच मुलाकात होती है तो जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद यह पहली द्विपक्षीय मुलाकात होगी. दोनों नेताओं ने सितंबर में उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में शिरकत की थी, लेकिन तब दोनों के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई थी. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है. विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.

जी20 शिखर सम्मेलन इस बार हमेशा की तरह नहीं होगा:
पुतिन के इस फैसले का पश्चिमी देशों के नेताओं की मंशा पर कोई असर नहीं पड़ता दिख रहा, जो यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ रूस की खुलकर निंदा करने को तैयार हैं. रूस को शिखर सम्मेलन में ‘‘खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा’’ पर चर्चा के दौरान कड़ी निंदा का सामना करना पड़ सकता है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी लंदन से रवाना होने से पहले स्पष्ट कर दिया था कि जी20 शिखर सम्मेलन इस बार हमेशा की तरह नहीं होगा.

औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा:
इंडोनेशिया जी-20 का वर्तमान अध्यक्ष है. भारत एक दिसंबर से औपचारिक रूप से जी-20 की अध्यक्षता संभालेगा. जी-20 या 20 देशों का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है. इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं. सोर्स-भाषा