आखिर दागदार होती जेडीए की छवि कैसे सुधरे? अधिकारी-कर्मचारियों की पहचान के लिए लागू की जाए व्यवस्था

जयपुरः एक ही जोन में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से छह कार्मिकों की गिरफ्तारी ने समूचे जेडीए की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है. एसीबी कार्रवाई के बाद जेडीए प्रशासन ने भी ताबड़तोड़ एक्शन लिए. लेकिन तेजी से पनप रही भ्रष्टाचार की "अमरबेल" के सफाए के लिए क्या यह सब काफी है? आखिर किस तरह जेडीए में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा सकती है. 

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भू रूपांतरण के लिए रिश्वत लेने के मामले में जेडीए के जोन 9 में एक साथ छह अधिकारी-कर्मचारियों पर धावा बोला था. एसीबी ने नायब तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता,पटवारी श्रीराम शर्मा,कनिष्ठ अभियंता खेमराम मीना,भू अभिलेख निरीक्षक रविकांत शर्मा,भू अभिलेख निरीक्षक रूकमणी कुमारी और पटवारी विमला मीना को गिरफ्तार किया था. जेडीए प्रशासन ने एसीबी की इस कार्रवाई के बाद ताबड़तोड़ एक्शन लेते हुए इन सभी छह कार्मिकों को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया. साथ ही जोन के उपायुक्त गुलाबचंद को भी निलंबित कर दिया. यहीं नहीं जेडीए प्रशासन ने 11 जोन उपायुक्तों के कार्यभार भी बदल दिए और सभी जोन में लगे कनिष्ठ अभियंता और लेखा कर्मियों को एक ही आदेश से हटा दिया. मामले के विशेषज्ञों का मानना है कि जेडीए ने भले ही बड़े एक्शन ले लिए हों. लेकिन सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की अमरबेल के सफाए के लिए ये काफी नहीं हैं. क्योंकि मामला ठंडा हाेते हुए सिस्टम वापस अपनी रंगत में लौट आएगा. आपको सबसे पहले बताते हैं कि जेडीए में प्रकरणों के निस्तारण के लिए आवेदक आखिर क्यों रिश्वत देने के लिए मजबूर होता है?

-फाइल अटकने के डर से आवेदक संबंधित कार्मिक को रिश्वत देने के लिए मजबूर होता है

-ई फाईलिंग के राजकाज पोर्टल के कारण अधिकारी-कर्मचारियों पर समय पर फाइल निकालने का दबाव रहता है

-विशेषज्ञों के अनुसार इस सॉफ्टवेयर के चलते तय अवधि में कार्मिक अपने पास से फाइल तो भेज देता है

-लेकिन इसके बावजूद भी जेडीए में फाइलें अटकाने के कई तरीके हैं

-फाइलों को अटकाने के लिए अधिकारी-कर्मचारी अनर्गल या बेवजह की टिप्पणी कर देते हैं

-फाइल में जानबूझकर अप्रासंगिक तथ्यों की कमी निकाली जाती है

- जिन फाइलों में पूरी तथ्यात्मक जानकारी और सभी दस्तावेज उपलब्ध होते हैं

-इसके बावजूद किसी दस्तावेज की कमी पूर्ति या तथ्य की जानकारी के लिए फाइल दूसरे कार्मिक को भेज दी जाती है

-किसी मामले में मौका मुआयना होने के बावजूद कुछ कमी निकालते हुए दुबारा मौका मुआयना की टिप्पणी कर दी जाती है

-ऐसी तमाम कारगुजारियों के डर के चलते आवेदक को संबंधित अधिकारी-कर्मचारी की मिजाजपुर्सी करनी पड़ती है

-आवेदक को डर रहता है कि कहीं उसकी फाइल कार्मिकों के बीच फुटबाल बनकर अटक नहीं जाए

सटीक और सही टिप्पणी के साथ फाइल का निस्तारण जल्द हो जाए, इसी उम्मीद में आवेदक को जेडीए में फाइल के साथ-साथ घूमना पड़ता है. जहां जिस टेबल पर जरूरत पड़ती तो संबंधित अधिकारी व कर्मचारी को "खुश" भी करना पड़ता है. फाइल बिगाड़ने के आवेदक के इस डर को खत्म को करने के लिए फर्स्ट इंडिया न्यूज ने विशेषज्ञों से चर्चा की. आपको बताते हैं विशेषज्ञों के साथ मंथन के बाद ऐसा क्या सुझाव सामने आए, जिन्हें लागू कर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है.

-फाइलों पर अनर्गल और बेवजह की टिप्पणी करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है

-अगर नजीर के तौर पर ऐसे कुछ अधिकारी-कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए तो

-जेडीए के दूसरे अधिकारी-कर्मचारियों में गलत टिप्पणी करने को लेकर खौफ रहेगा

-कार्रवाई के लिए ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों की नियमित पहचान करने की जरूरत है

-इन कार्मिकों की पहचान के लिए जोन में विभिन्न प्रकरणों की पेंडिंग चल रही फाइलों की रेंडमली चैकिंग की जानी चाहिए

-राजकाज पोर्टल पर इस तरह की रेंडमली चैकिंग किया जाना आसान है

-यह चैकिंग खुद जेडीए आयुक्त या जेडीए सचिव के स्तर पर की जा सकती है

-इसके लिए हफ्ते में दो बार विभिन्न जोन की पांच-पांच फाइलों को चिन्हित कर उनमें दर्ज टिप्पणियों की जांच की जानी चाहिए

-फाइलों पर दर्ज टिप्पणियों की रेंडमली चैकिंग से गलत टिप्पणी करने वाले कार्मिकों के नाम उजागर होंगे

-फाइलों को अटकाने के लिए बेवजह की टिप्पणी करने वाले कार्मिकों की पहचान की जाए

-फाइल में जानबूझकर कमी निकालकर होते हुए काम को अटकाना 

-फाईल में पूरे तथ्य होने के बावजूद किसी तथ्य की जानकारी के लिए जानबूझकर फाइल दूसरे कार्मिक को भेजना

-आखिर क्यों आवेदक को जेडीए में तैनात अधिकारियों की करनी पड़ती है मिजाजपुर्सी

-फाइल अटकाने वाले कार्मिकों की नहीं होती है पहचान और उनके खिलाफ नहीं की जाती है कार्यवाही

-कार्मिक राजकाज पोर्टल के कारण फाइल तो तुरंत निकाल देते हैं लेकिन उस पर अनर्गल टिप्पणी करते हुए अटका देते हैं

-ऐसे भी कार्मिक हैं तो अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए दूसरे कार्मिक को फाइल भेज देते हैं

-ऐसे मामलों की रेंडम चैकिंग की जानी चाहिए

-एक-एक जोन से पांच-पांच फाइल रेंडमली देखी जाए

लीज होल्ड से फ्री होल्ड पट्टा--- जेडीए का पट्टा पठनीय नहीं हैं. ऑनलाइन स्कैनिंग नहीं धुंधली आती है