नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मद्रास हाई कोर्ट का वह आदेश बरकरार रखा जिसमें ई. पलानीस्वामी को अन्नाद्रमुक का अंतरिम महासचिव बने रहने की अनुमति दी गयी थी. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय ने 12 जनवरी को मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था.
शीर्ष न्यायालय ने ओ. पनीरसेल्वम द्वारा दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया. यह फैसला अन्नाद्रमुक की 11 जनवरी 2022 को आम परिषद की बैठक के दौरान पार्टी के उपनियमों में किए गए संशोधन से जुड़ी याचिकाओं पर आया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब पार्टी की कमान पूरी तरह से पलानीस्वामी के हाथों में होगी.
इस तरह शुरू हुई पार्टी नेतृत्व की जंग:
जयललिता के निधन के बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर फिर से विवाद शुरू हो गया है. तब पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम के साथ-साथ जे जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला भी इस विवाद में शामिल थी. हालांकि बाद में वह अलग हो गई थी. उसके बाद पार्टी दो धड़ों में बंट गई. पार्टी का एक धड़ा दिग्गज नेता ई पलानीस्वामी यानी ईपीएस के साथ आ गया और दूसरा ओ पनीरसेल्वम यानी ओपीएस के साथ तब एक फार्मूला बना. इसके तहत पलानीस्वामी को जॉइंट को-ऑर्डिनेटर और पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई। पलानीस्वामी का गुट पार्टी पर पूर्ण अधिकार चाहता था.