उदयपुर (रवि कुमार शर्मा): धार्मिक चमत्कार भारतीय सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. देशभर में ऐसे कई धार्मिक महत्व के स्थान हैं, जहां भगवान श्री हरि के विग्रह अपने अनूठे और अद्भुत चमत्कारों से अपने साधकों को अनुपम अहसास कराते हैं.वीर भूमि मेवाड में भी उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर मेवाड-मारवाड की सीमा पर स्थित पलासमा गांव का भगवान पद्मनाभ स्वामी का मंदिर अपने अनूठे चमत्कारों से श्रद्धालुओं की प्रगाठ का आस्था का केन्द्र बना हुआ हैं.तो आइये आपको भी रुबरु कराते हैं जलझूलनी एकादशी पर इस मंदिर में होने वाले इन चमत्कार से.
भगवान पद्मनाभ स्वामी का मंदिर प्रमुख आस्था धाम:
उदयपुर से करीब 80 किलोमीटर दूर उदयपुर-रणकपुर मार्ग पर स्थित पलासमा गांव का भगवान पद्मनाभ स्वामी का मंदिर इस इलाके का प्रमुख आस्था धाम हैं.13 वी सदी में मेवाड के महाराणा समर सिंह के काल में इस ऐतिहासिक मंदिर की नींव रखी गई.दंत कथाओं की मानें तो एक बंजारे इस इलाके के रहने वाले ठिकानेदार नें भगवान की मूर्ति को सोने के मोल लेकर स्थापित कराया.कहते है कि मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक हर बर्ष आने वाले जलझूलनी एकादशी पर गोमती नदी इस मंदिर के गर्भगृह में अपने भाई पद्मनाभ से मिलने आती हैं.
सनातन संस्कृति की गजब गाथा:
दरअसल इस इलाके में मान्यता है कि गोमती के 5 भाई भगवान जगदीश, जगन्नाथ, द्धारिकाधीश,चारभुजानाथ और पद्मनाभ हैं.इन 5 भाईयों में से 4 भाई खुद गोमती से मिलने जाते हैं लेकिन पद्मनाभ से मिलते गोमती जलझूलनी एकादशी पर खुद आती हैं.यही नही इस दिन रात करीब साढे 11 बजे से मंदिर के गर्भगृह की सभी दीवारें पानी लगातार गिरती बूंदो से भर जाती हैं.गोमती का आगमन करीब 1 बजे तक रहता हैं और इसके बाद पूरे वर्ष मंदिर के गर्भगृह की सभी दीवारें पूरी तरह सूखी रहती हैं.फर्स्ट इंडिया न्यूज की टीम जब इस अदभृत मिलन को देखने गर्भगृह में पहुंची तो यह नजारा सनातन संस्कृति की गजब गाथा को प्रमाणित कर रहा था.
मंदिर के गर्भगृह में पानी का आना आज भी एक अबूझ पहेली:
यही नहीं गोमती नदी का मंदिर के गर्भगृह में आगमन आगामी वर्षों में बारिश की स्थिति का भी सटीक आंकलन करता हैं.यदी गोमती नदी का पानी मंदिर की चारों दीवारों पर बराबर रहता हैं तो इसका मतलब पूरे देश में चारों दिशाओं में अच्छी बारिश रहेगी और यदि गोमती नदी का पानी एक या दो दीवारों पर ही आता हैं तो उन दीवारों वाली दिशाओं में अच्छी बारिश का अनुमान निकाला जाता हैं.यही वजह है कि भगवान पद्मनाभ स्वामी के इन अद्भृत चमत्कारों की एक इलक पाने के लिए जलझूलनी एकादशी पर बडी संख्या में देशभर के श्रद्धालु यहां पहुचते हैं. यही नहीं मंदिर के इन गूढ रहस्यों को समझने के लिए विज्ञानीयों ने भी कई बार अपनी ऊर्जा इस दिशा में लगाई है लेकिन पूरे वर्षभर में महज एक ही दिन मंदिर के गर्भगृह में पानी का आना आज भी एक अबूझ पहेली ही बना हुआ हैं.