जयपुर: प्रदेश में रबी की बुवाई के बाद फसलों को पहला पानी दिया जा रहा है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि इस बार रबी फसलों की बुवाई का आंकड़ा पिछले साल से काफी पीछे रह गया. माना जा रहा है कि प्रदेश का किसान विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहा, जिसके चलते बुवाई पर असर दिखाई दिया है. अब मावठ ने किसानों के चेहरों पर खुशी ला दी है तो उम्मीद है कि बुवाई का आंकड़ा तेजी से बढ़ेगा.
प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई के लक्ष्य हर साल तय किए जाते हैं और उसी के आधार पर बुवाई और सिंचाई के पानी का इंतजाम भी रहता है. नवंबर के पहले पखवाड़े में जल संसाधन विभाग ने प्रदेशभर में ढाई हजार से ज्यादा गांवों और कस्बों में सिंचाई के पानी की शुरूआत कर दी थी ताकि किसानों को रबी फसलों के लिए पहला पानी मिल सके. लेकिन कृषि विभाग ने प्रदेश में अब तक हुई बुवाई का आंकड़ा पेश किया तो खुलासा हुआ कि हम पिछले साल के लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं. हालाकि प्रदेश में अब तक सरसों की बुवाई सबसे ज्यादा हुई है और लक्ष्य का 84 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. दूसरे नंबर पर चने की फसल रही है. गेहूं की बुवाई की बात करें तो अब तक मात्र 52.76 प्रतिशत ही पूरा हो सका है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से आगे निकल गया था. कमोबेश रबी की हर फसल में हम पिछले साल से पीछे चल रहे हैं.
फसल-------------------अब तक बुवाई (प्रतिशत में)
गेहूं-----------------------52.76
जौ------------------------71.90
चना----------------------80.60
दलहनी फसलें----------87.34
सरसों-------------------84.30
तारामीरा----------------40.44
कृषि विभाग ने इस रबी के दौरान एक करोड़ 17 लाख 15 हजार हैक्टेयर बुवाई का लक्ष्य तय किया है और अब तक 84 लाख 56 हजार 336 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 95 लाख 10 हजार 480 हैक्टेयर को पार कर गया था. बड़ी बात यह है कि इस साल रबी के दौरान वैसे ही सरसों का रकबा 4 लाख हैक्टेयर घटाया गया है. इसमें भी जयपुर और सीकर संभाग में सबसे ज्यादा कमी की गई है. सीकर संभाग में एक लाख 15 हजार ौर जयपुर संभाग में एक लाख 10 हजार हैक्टेयर रकबा घटाया गया है. दूसरी तरफ गंगानगर और उदयपुर संभाग में गेहूं का रकबा घटा दिया. वहीं, बीकानेर संभाग में जौ का रकबा घटाया है. उधर, अन्नदाता विधानसभा चुनाव में व्यस्त रहा, जिसके चलते इस बार कमी के बावजूद बुवाई का आंकड़ा पिछले साल से पीछे रह गया. देखने वाली बात यह है कि अब मावठ हुई और दिसंबर के पहले सप्ताह में भी मावठ की संभावना है, तो माना जा सकता है कि 15 दिसंबर तक बुवाई का आंकड़ा पिछले साल से आगे होगा.