बोनट पर चढे़ यातायात पुलिसकर्मी को लेकर चार किलोमीटर तक कार दौड़ाता रहा हथियारबंद चालक, गिरफ्तार

बोनट पर चढे़ यातायात पुलिसकर्मी को लेकर चार किलोमीटर तक कार दौड़ाता रहा हथियारबंद चालक, गिरफ्तार

इंदौर: इंदौर में 50 वर्षीय यातायात पुलिसकर्मी को डरा कर उन्हें उनके कर्तव्य से डिगाने के लिए चोट पहुंचाने के आरोप में एक हथियारबंद कार चालक को सोमवार को गिरफ्तार किया गया. पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि कार चलाते वक्त मोबाइल फोन पर बात करने के लिए जुर्माना भरने को कहे जाने से आरोपी इस कदर नाराज हुआ कि उसने कार के बोनट पर यातायात पुलिसकर्मी के चढ़ने के बावजूद करीब चार किलोमीटर तक गाड़ी नहीं रोकी. 

पुलिस ने तेज रफ्तार गाड़ी को घेराबंदी कर रुकवाया और चालक को गिरफ्तार किया. लसूड़िया पुलिस थाने के उप निरीक्षक आरएस दंडोतिया ने बताया कि सोमवार को हुयी घटना के सिलसिले में कार चालक केशव उपाध्याय (39) को भारतीय दंड विधान की धारा 279 (सार्वजनिक रास्ते पर उतावलेपन से गाड़ी चलाना), धारा 332 (सरकारी कर्मचारी को डरा कर उन्हें उनके कर्तव्य से डिगाने के लिए चोट पहुंचाना) और अन्य प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि ग्वालियर के रहने वाले उपाध्याय के कब्जे से एक पिस्तौल और एक रिवॉल्वर भी बरामद हुई है. उप निरीक्षक ने बताया,"आरोपी का दावा है कि ये हथियार लाइसेंसी हैं और हम इसकी जांच कर रहे हैं. मामले के शिकायतकर्ता और यातायात पुलिस के प्रधान आरक्षक शिव सिंह चौहान (50) ने बताया, ‘‘सत्यसाईं चौराहे पर ड्यूटी के दौरान मैंने उपाध्याय की कार रुकवाई, क्योंकि वह गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात कर रहा था. जब मैंने उसे कहा कि नियमों के उल्लंघन पर उसे जुर्माना अदा करना होगा, तो उसने इनकार करते हुए मुझे धमकी दी कि अगर मैं उसके सामने से नहीं हटा, तो वह गाड़ी चढ़ाकर मुझे कुचल देगा.’’

चौहान ने बताया कि आरोपी के तेजी से कार आगे बढ़ाने पर वह इसके बोनट पर चढ़कर लेट गए, लेकिन उसने करीब चार किलोमीटर तक गाड़ी नहीं रोकी, जब तक उनके अफसरों ने लसूड़िया पुलिस थाने के पास घेराबंदी कर उसे गाड़ी रोकने पर मजबूर नहीं कर दिया. प्रधान आरक्षक ने कहा किआरोपी मुझे नीचे गिराने के लिए कभी सरपट रफ्तार से कार दौड़ा रहा था, तो कभी अचानक ब्रेक मार रहा था. उसने सड़क पर चल रही अन्य गाड़ियों के एकदम पास से लहराते हुए कार भी निकाली, लेकिन मैं अपने दोनों हाथों से बोनट को कसकर पकड़कर बैठ गया और सोचने लगा कि आज भगवान ही मेरी जान का मालिक है. सोर्स- भाषा