जयपुर: विधानसभा सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के साथ ही लोकतंत्र सेनानियों का उनके पेंशन को कानूनी दर्जा दिलाने का बिल भी अटक गया. इसका कारण हालांकि ड्राफ्टिंग में कमी बताया गया है लेकिन इसके पीछे लोकतंत्र सेनानियों को स्वतंत्रता सेनानियों वाली या उनके तर्ज पर सुविधाएं देने को लेकर कानूनी आधार पर परीक्षण इसकी खास वजह मानी जा रही है.
हर बार जब भी भाजपा सरकार सत्ता में आती है तो डीआईआर और मीसा बंदियों की पेंशन और अन्य सुविधाएं बहाल होती हैं और कांग्रेस सरकार के सत्तारुढ़ होने पर ये सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं. इस पीड़ा को समझते हुए भजनलाल सरकार अब लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन और अन्य सुविधाओं के लिए संवैधानिक प्रावधान करने जा रही थी लेकिन इस मकनसूबे पर पानी फिर गया.
क्या रहे कारण ?
- इसके नियम प्रावधान निश्चित करने की ड्राफ्टिंग में कमी मानी जा रही है.
- हालांकि बार बार बताई गई कमी की विभाग की ओर से पूर्ति कर दी गई थी.
- साथ ही विधि विभाग ने भी इसका कई बार परीक्षण करके भेजा था.
- इस बिल के तहत लोकतंत्र सेनानियों को पेंशन के रूप में 20 हजार रुपये प्रति माह और चिकित्सा सहायता के रूप में 4000 रुपये तक की राशि होगी देय.
- इस बिल में लोकतंत्र सेनानी के साथ उनकी पत्नी को रोडवेज यात्रा की सुविधा होगी देय.
- पहले इन सुविधाओं को कैबिनेट के जरिये नियम संशोधन का अनुमोदन करके रोका जाता रहा है लेकिन इस बिल के आने और पास होने के बाद बिल लाकर ही इन सुविधाओं को रोका जा सकता है.
- 25 जून 2024 को जो सम्मानित हुए लोकतंत्र सेनानियों के आंकड़े को माना जाए तो यह कुल संख्या 1118 है.
- इसमें सीआरपीसी की अलग-अलग धाराओं में निरुद्ध लोगों की संख्या 38 है.
- ऐसे में मीसा,डीआईआर बंदियों और सीआरपीसी निरुद्ध बंदियों की कुल संख्या 1200 के आसपास है.
- इस संख्या में वह आंकड़ा भी शामिल है जो मीसा,डीआईआर और सीआरपीसी की अलग अलग धाराओं में 30 दिन से भी कम समय तक जेल में बंद या निरुद्ध रहे.
अब तक क्या हुआ ?
- राजे सरकार में इन्हें लोकतंत्र सेनानी कहा जाने लगा तो इनकी पेंशन का नाम लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि रखा गया.
- पहले इन लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन 12500 थी जो अब बढ़कर 20 हजार हो गई थी.
- पहले चिकित्सा भत्ता 1250 मिलता था जिसे बढ़ाकर 4000 कर दिया था.
- रोडवेज की बसों में नि:शुल्क यात्रा का भी प्रावधान किया गया था.
- नियम बदलने के बाद आपातकाल में CRPC में 25 जून 1977 से मार्च 1977 तक जो रहे निरुद्ध या बन्द उन लोकतंत्र सेनानियों को भी पेंशन का प्रावधान बीजेपी सरकार में किया गया था.
- CRPC की 107,116,151 धारा में रहे बन्द या कम से कम 1 माह तक निरुद्ध रहे उन्हें पेंशन व मेडिकल सुविधा दी गई थी.
-इसके लिए लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि नियम 2008 में हुआ संशोधन.
-संशोधन अनुसार मौजूदा या पूर्व विधानसभा सदस्य या लोकसभा सदस्य से सत्यापन अनिवार्य किया गया. साथ ही गलत शपथ पत्र दिया तो पेंशन निरस्त होगी. ऐसा करने पर सारी राशि वसूल होगी. यह प्रावधान बीजेपी सरकार में किया गया था.
- करीब डेढ़ दशक से ज्यादा समय से एक सरकार से दूसरे सरकार में पेंशन और अन्य सुविधा बहाली और बन्द करने की परंपरा बदस्तूर कायम है.
- भाजपा सरकार में यह संशोधन भी मंजूर हुआ था कि राजस्थान का मूल निवासी पेंशनधारी हो और राज्य के बाहर की जेल में हो तो पेंशन लाभ मिलेगा.
अनुमानित खर्चा
- सीआरपीसी के निरुद्ध व्यक्तियों को शामिल करने पर पेंशन व चिकित्सा भत्ते का खर्चा 30 करोड़ है.
- वहीं इसमें सरकार का 18 करोड़ का पहले का बजट था.
- इन्हें रोडवेज सुविधा देने का खर्चा 50 लाख माना गया है.
- करीब 50 करोड तक का खर्चा आ सकता है सरकार पर लोकतंत्र सेनानियों की यह है मांग
- स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर लोकतंत्र सेनानियों को मिले सुविधा.
- स्वतंत्रता सेनानियों को प्लॉट की सुविधा,परिवहन और यात्रा की सुविधा, राजकीय समारोहों में आमंत्रित करने की सुविधा के साथ अन्य सुविधाएं हैं.
- राजकीय सम्मान से अंत्येष्टि की मांग.
- यूपी की तर्ज पर राजकीय सम्मान से हो अंत्येष्टि.
- माना जा रहा है कि स्वतंत्रता सेनानियों की तर्ज पर सुविधा देने को लेकर प्रावधान संबंधी तकनीकी पेचीदगी और विसंगति बढ़ने की आशंका के चलते फिलहाल यह बिल टाल दिया गया.
माना जा रहा है कि लोकतंत्र सेनानियों में पुराने राजनेता होने के चलते उन्हें स्वतंत्रता सेनानी जैसा दर्जा देने की मांग जोर पकड़ने लगी थी इसलिए इस बिल को लेकर सरकार पसोपेश में आ गई.