Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तरकाशी टनल में 400 घंटों बाद जीती जंग, सभी श्रम​वीरों को मिलेगा 1-1 लाख रुपए, बाबा बौखनाग का बनाया जाएगा मं​दिर

उत्तराखंड़ः उत्तराखंड उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग से सभी फंसे मजदूरों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है. 17 दिन चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में कई नाकामियों के बाद आखिर रैट माइनर्स के हाथों सफलता मिली और सभी कर्मचारियों को बाहर निकाला लिया गया. इन सभी को चिन्यासीसौंड अस्पताल ले जाया गया हैं. इस समय सभी मजदूर चिकित्सकों की निगरानी में हैं. इन्हें 48 घंटे तक चिकित्सकीय निगरानी में रखा जाएगा. अगर सभी स्वस्थ पाये जाते है तो  इसके बाद इन सभी की मुलाकात परिजनों से होगी.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस बचाव अभियान में लगी सभी एजेंसियों का धन्यवाद किया है. इसके साथ ही इस अभियान में शामिल अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स और क्रिस कूपर का भी आभार व्यक्त किया है. इस दौरान राहत राशि के सावल पर घामी ने सभी 41 श्रमवीरों को स्वस्थ होने पर एक-एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने को एलान किया है. इसके साथ ही अस्पताल में इलाज पूरा खर्च सरकार उठाएगी. सभी प्रदेशों तक घर जाने तक की पूरी व्यवस्था भी सरकार ही करेगी. इसके लिए निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वहीं धामी ने ये भी कहा कि हम इन मजदूरों के लिए कंपनी से बात करेंगे कि इन्हें कुछ दिनों की छुट्टी सवेतन दी जाये.
 
बाबा बौखनाग का बनाया जायेगा मंदिरः
मुख्यमंत्री धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होते ही कहा कि बाबा बौखनाग का सिलक्यारा में भव्य मंदिर बनाए जायेगा. इसके लिए हमने पहले ही बात कर ली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा बौखनाग के आशीर्वाद से सभी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकल आए हैं. ग्रामीणों ने बाबा बौखनाग के मंदिर बनाने की मांग उठाई है. इसे देखते हुए जरूरी निर्देश जारी कर दिए गए हैं. 

बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को दीपावली के दिन अचानक आए भूस्खलन ने देश और दुनिया को हिला कर रख दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकी उस वक्त एक ओर जहां देशभर में दीपावली की तैयारी जोरो-शोरों पर हो रही थी. वहीं 41 मजदूरों की जिंदगी सुरंग के अंदर कैद हो गई थी. और मानो उन सभी के परिवार में मायूसी का सन्नाटा छा गया हो. मामले की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकता में आया और राहत दल की मदद से बचाव  कार्य शुरू किया गया. हालांकि इस दौरान बीच में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. और 17 दिन की जदोजहद के बाद मजदूरों को बाहर निकालने में सफलता मिली.