VIDEO: भजनलाल सरकार के दो साल बेमिसाल, सरकार ने गरीब को 'गणेश' मानते हुए किए सभी काम, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार के दो साल के कार्यकाल में जहां एक तरफ शहरों में रहने वाले लोगों को राहत देने और उसके जीवन स्तर में सुधार को लेकर कई नए काम किए गए, वहीं सुनियोजित शहरी विकास और शहरी निकायों के सशक्तिकरण के लिए नीतिगत बदलाव किए गए. शहरी क्षेत्र में सुधार के लिहाज से भजनलाल सरकार को दो वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा, 

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में गरीब को गणेश मानते हुए काम किया गया. गरीब व जरूरतमंद लोगों को गुणवत्तापूर्ण सस्ता भोजन देने अच्छी सड़कें उपलब्ध कराने,आमजन से जुड़े प्रकरणों का निकायों में शीघ्र निस्तारण करने,उन्हें उनके भूखंड का मालिकाना हक देने को लेकर नई योजनाएं शुरू की गई. वहीं सफाई श्रमिकों को सफाई के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें सम्मानित करने और नियोजित विकास के लिए अपनी भूमि देने वाले खातेदारों को राहत देने का काम भजनलाल सरकार के इन दो साल के कार्यकाल में किया गया. 

--- अन्नपूर्णा रसोई योजना ---
-मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सत्ता संभालते ही अन्नपूर्णा रसोई योजना का एलान किया
-गरीब व जरूरतमंद लोगों को दोनों समय का गुणवत्तापूर्ण व सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए इस योजना की शुरूआत की गई
-कांग्रेस सरकार के समय चल रही इंदिरा रसोई योजना में सुधार कर यह नई योजना शुरू की ग
-अब इस योजना की रसोई में भोजन करने वाले व्यक्ति को पहले से अधिक भोजन दिया जा रहा है
 -थाली में परोसे जाने वाले भोजन का वजन अब 450 ग्राम से बढ़ाकर 600 ग्राम किया गया
-पहले थाली में ढाई सौ ग्राम चपाती,सौ ग्राम दाल और सौ ग्राम सब्जी व अचार मिलते थे
-अब थाली में तीन सौ ग्राम चपाती,सौ ग्राम दाल,सौ ग्राम सब्जी के साथ सौ ग्राम चावल/मोटा अनाज भी दिया जा रहा है
-साथ ही पहले की तरह अचार भी दिया जा रहा है
-भोजन का वजन बढ़ाने से प्रति थाली कीमत 25 रुपए से बढ़ कर 30 रुपए हो गई है
-लेकिन लाभार्थी से पहले की तरह ही प्रति थाली आठ रुपए ही लिए जा रहे हैं
-राज्य सरकार अब 17 रुपए के बजाए 22 रुपए प्रति थाली अनुदान दे रही है

--- सड़कों का सुधार ---
-प्रदेश भर के सभी विकास प्राधिकरणों व नगर सुधार न्यासों में डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड के समान मापदंड लागू किए गए
-डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड का मतलब सड़क निर्माण के बाद वह समय है
-जिस समय में सड़क के रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी सड़क निर्माण करने वाली संबंधित फर्म की होती है
-सड़क क्षतिग्रस्त होने पर उसको दुरूस्त करने की जिम्मेदारी इसी फर्म की होती है
-डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड को लेकर विभिन्न निकायों में अलग-अलग प्रावधान थे
-जिसके चलते इसके प्रावधानों की पालना में नहीं थी एकरूपता
-नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी कर सभी निकायों में एक जैसे मापदंड लागू किए

--- पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों राहत ---
प्रदेश की भजनलाल सरकार शहरों में पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे लोगों को राहत दी
इन लोगों को उनके भूखंड का मिल सके मालिकाना ह
इसके लिए सरकार ने प्रक्रिया को किया आसान
पहले शहरी सेवा शिविर और अब चलाए जाने वाले शहरी समस्या समाधान शिविर के लिए प्रक्रिया को किया आसान
300 वर्ग मीटर तक के भूखंडों का लेकर प्रक्रिया की आसान
अब इन भूखंडों का पट्टा लेने के लिए नहीं होगा जरूरी
लोगों को भूखंड के स्वामित्व के दस्तावेज देना नहीं होगा जरूरी
भूखंड का पट्टा लेने के लिए अब लोगों को करने होंगे प्रस्तुत
सामान्य वर्ग के लोगों को 1 जनवरी 1990 से पहले के और
एससी-एसटी वर्ग के लोगों को निकाय में करने होंगे प्रस्तुत
1 जनवरी 1996 से पहले के भूखंड पर कब्जे के देने होंगे दस्तावेज
पहले अभियान में ऐसे मामलों में पट्टा लेने के लिए था जरूरी
भूखंड के स्वामित्व के दस्तावेज प्रस्तुत करना था जरूरी
पुरानी आबादी क्षेत्र में बसे अधिकतर लोगों के पास नहीं हैं दस्तावेज
अधिकतर लोगों के पास नहीं हैं स्वामित्व के दस्तावेज
इन दस्तावेजों के अभाव में लोगों को नहीं मिल पा रहा था पट्टा
लेकिन अब कब्जे के दस्तावेजों के आधार पर मिल सकेगा पट्टा
निर्धारित तिथि से पहले के ये दस्तावेज करने होंगे प्रस्तुत
बिजली-पानी के बिल,वोटर आईडी,राशन कार्ड,
निष्पादित बेचान पत्र,पारिवारिक बंटवारानामा,
आवेदन के साथ इनमें से उपलब्ध दस्तावेज निकाय में देने होंगे
इन दस्तावेजों के आधार पर भूखंड का मिल सकेगा पट्टा

--- शहरी सेवा शिविर ---
-निकायों से जुड़ी सेवाएं सुगमता से उपलब्ध कराने व शहरी समस्याओं के तत्काल समाधान के लिए शहरी सेवा शिविर शुरू किए गए
-17 सितंबर से 17 अक्टूबर तक प्रदेश भर के निकायों में शहरी सेवा शिविर लगाए गए
-इसके बाद 3 नवंबर से 7 नवंबर तक इसके फॉलोअप शिविर भी लगाए गए
-इन शिविरों में पट्टों से संबंधित प्रकरणों में 39 हजार 800 प्रकरणों का निस्तारण किया गया था
-इसी के साथ ही अन्य भूमि से संबंधित प्रकरणों में 20 हजार 888 प्रकरणों का निस्तारण भी किया गया
-जिनमें नाम हस्तान्तरण के 10 हजार 30 प्रकरण, यू.डी. टैक्स के 3 हजार 987 प्रकरण,
-भवन मानचित्र के 3 हजार 554 प्रकरण, भूखण्डों के उप विभाजन/पुर्नगठन के 1 हजार 753 प्रकरण,
-निर्माण अवधि विस्तार के 776 प्रकरण, नगरीय विकास/आवासन मण्डल द्वारा ब्याज छूट देकर की गई वसूली के 365 प्रकरण और
-भू-उपयोग परिवर्तन के 423 प्रकरणों को स्वीकृत किया गया  
-और घर-घर कचरा संग्रहण के 43 हजार 269 प्रकरणों का भी निस्तारण एवं
-व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के 4 हजार 977 आवेदनो का अनुमोदन कर प्रथम किश्त जारी करने के प्रकरण शामिल है

--- गरीबों को उनका आशियाना देने कवायद ---
-मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत विभिन्न योजनाओं में गरीबों के लिए बनाए जा रहे 19 हजार से अधिक मकानों का निर्माण अधूरा था
-इन अधूरे पड़े मकानों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए स्वायत्त शासन विभाग ने 200 करोड़ के कॉरपस फंड की मंजूरी दी
-गरीब आवंटियों से समय पर राशि नहीं मिलने के कारण इन मकानों का अधूरा था
-इस कॉरपस फंड से बालोतरा में 480,ब्यावर में 794,भीलवाड़ा में 560,बूंदी में 716,फालना में 504,हिंडौनसिटी में 659,
-झालावाड़ में 914,जोधपुर में 9552,केकड़ी में 656,केशोरायपाटन में 743,खेतड़ी में 544,निम्बाहेड़ा में 491,पाली में 912,
-पुष्कर में 535,राजसमंद में 302, रावतभाआ में 1168 और सिरोही में 400 मकानों का काम पूरा हो सकेगा
-इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) 2.0 में राजस्थान ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है
-इस योजना के तहत राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार 12 हजार से अधिक आवासों की मंजूरी दे चुकी है
-पहली किश्त के तौर पर केन्द्र सरकार के 74 करोड़ रुपए की स्वीकृति दे चुकी है
-लाभार्थी परिवारों को चार किश्तों में मिलेंगे ढाई लाख रुपए
-आवास निर्माण के लिए चार किश्तों में दी जाएगी यह राशि
-पहली किश्त के तौर पर दिए जाएंगे पचास हजार
-प्लिंथ लेवल तक निर्माण होने पर दी जाएगी दूसरी किश्त
-दूसरी किश्त होगी पचास हजार रुपए की
-लिंटल लेवल तक निर्माण होने पर दिए जाएंगे एक लाख रुपए
-ताकि लाभार्थी अपने आवास की डाल सके छत
-आवास का निर्माण पूरा होने जारी की जाएगी चौथी किश्त
-इस किश्त में दिए जाएंगे शेष पचास हजार रुपए
राज्य सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में शहरों के योजनाबद्ध विकास के लिए नई नीति और नए नियम लागू किए गए. निकायों की तकनीकी दक्षता बढ़ाने के लिए नए पदों का सृजन किया गया. सरकारी योजनाओं के लिए भूमि देने वाले खातेदार को आसानी से भूमि मिले,मुआवजे की भूमि की प्रक्रिया भ्रष्टाचार रहित व पारदर्शी हो,इसके लिए नई नीति लागू लागू की गई. इसके साथ ही राजधानी की सार्वजनिक शहरी भवन में सुधार के लिए जयपुर मेट्रो के दूसरे चरण पर काम शुरू किया गया.

--- नई टाउनशिप नीति ---
-प्रदेश में इस वर्ष 17  जुलाई को नई टाउनशिप नीति लागू की गई
-इस नीति के प्रदेश में पहली बार नए प्रावधान लागू किए गए-नई नीति में विभिन्न जल स्त्रोत नदी,नाला,तालाब,नहर,बरसाती नाला,झील के संरक्षण के लिए इनके दोनों तरफ न्यूनतम बफर जोन का प्रावधान किया गया है
-सभी योजनाओं में रैन वाटर हार्वेस्टिंग और वेस्ट वाटर रिसाइकल के प्रावधान किए गए हैं
-पार्क अथवा खुले स्थानों में सामुदायिक रैन वाटर हार्वेस्टिंग और वेस्ट वाटर रिसाइकल निर्मित किए जा सकेंगे
-फेज्ड डवलपमेंट का प्रावधान नई नीति में किया गया है, इसके लिए अलग से नीति बनाई जाएगी
-जेडीए की सेक्टर कमर्शियल पॉलिसी की तर्ज पर इस नीति के तहत अन्य शहरों में भी सेक्टर सड़कों का निर्माण किया जा सकेगा
-सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए राजस्व रिकॉर्ड में पहुंच मार्ग दर्ज होने और
-पहुंच मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई की बाध्यता लागू नहीं होगी
-औद्योगिक योजनाओं में श्रमिकों के निवास के लिए योजना का 5 प्रतिशत क्षेत्रफल आरक्षित रहेगा
-इस पांच प्रतिशत हिस्से में भूतल और ऊपरी दो मंजिला इमारत में ईडब्लूएस व एलआईजी वर्ग के लिए आवासों का निर्माण किया जाएगा
-इस प्रावधान से श्रमिकों को औद्योगिक इकाई के नजदीक ही आवास उपलब्ध हो सकेंगे
-पुरानी टाउनशिप नीति के कई प्रावधानों से अधिक प्रभावी प्रावधान इस नई टाउनशिप नीति में लागू किए गए
-पहले लागू टाउनशिप नीति में पार्क,खेल का मैदान व जन सुविधाओं के लिए पर्याप्त व कारगर प्रावधान नहीं थे
-इसी तरह योजना के समग्र आंतरिक विकास को लेकर भी संबंधित विकासकर्ता बाध्य नहीं थे
-पुरानी नीति की इन तमाम कमियों को देखते हुए भूखंडधारियों को विभिन्न आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से नई टाउनशिप नीति में कई प्रभावी प्रावधान किए गए हैं

--- मॉडल भवन विनियम किए लागू ---
प्रदेश भर के शहरों में लागू किए गए नए भवन विनियम
नगरीय विकास विभाग ने 12 मई का लागू किए नए भवन विनियम
नए भवन विनियमों में किए गए हैं महत्वपूर्ण प्रावधान
कम चौड़ी सड़कों व छोटे भूखंडों पर विभिन्न गतिविधियां कम करने
और भूमि के अधिकतम उपयोग के लिए किए गए हैं प्रावधान
बहु निवास इकाईयों में अधिकतम बन सकेंगी 8 इकाईयां
18 के बजाए15 मीटर से ऊंची इमारतें कहलांएगी बहुमंजिला इमारतें
बहुमंजिला वाणिज्यक इमारतों के निर्माण के लिए होगी जरूरी
60 फीट के बजाए न्यूनतम 80 फीट चौड़ी सड़क होगी जरूरी
बहु मंजिला इमारत में रहेगा अधिकतम सेटबैक 16 मीटर
रूफटॉप रेस्टोरेंट्स,विवाह स्थल और हॉस्टल के लिए कड़े प्रावधान
चिकित्सा संस्थानों व वाणिज्यक इमारतों में होगा जरूरी
न्यूनतम पार्किंग का 50% विजिटर पार्किंग रखना होगा जरूरी
ग्रीन बिल्डिंग्स को बढ़ावा देने के लिए किए गए हैं प्रावधान

--- निकायों का ऐतिहासिक सशक्तिकरण ---
भजनलाल सरकार ने ऐतिहासिक फैसला करते हुए निकायों के अधिकारों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी की
इस वर्ष 28 मार्च को नगरीय विकास विभाग ने अधिसूचना व आदेश किए थे जारी
पट्टा जारी करने के निकायों के अधिकारों में दो से ढाई गुना की बढ़ोतरी की गई
पुर्नगठन/उप विभाजन में निकायों के अधिकारों में दो से बीस गुना की बढ़ोतरी की गई
प्राधिकरण व उनके मुख्यालयों के निकाय अब दे रहे हैं स्वीकृति
40 के बजाए 60 मीटर तक की ऊंचाई की इमारतों के निर्माण की दे रहे हैं स्वीकृति
यूआईटी व उनके मुख्यालयों के निकाय अब दे रहे हैं स्वीकृति
30 के बजाए 40 मीटर तक की ऊंचाई की इमारतों के निर्माण की दे रहे हैं स्वीकृति
निकायों के इस ऐतिहासिक सशक्तिकरण से आमजन व निवेशकों को मिल रही है राहत
मामले राज्य सरकार को भेजने व उन पर मंजूरी में लगने वाले समय में हो रही है बचत
पहले से काफी कम समय में प्रकरण निकाय स्तर पर हो रहे हैं निस्तारित

--- नई भूमि आवंटन नीति की लागू ---
राज्य सरकार ने 2 सितंबर को अधिसूचना जारी कर नई आवंटन नीति लागू की
नई आवंटन नीति के तहत जब भी किसी निकाय को मिलेगा आवंटन का आवेदन
तो उस भूमि आवंटन के आवेदन पर मांगी जाएंगी आपत्ति
इसके लिए निकाय अपनी वेबसाइट पर डालेंगे आवेदन
न्यूनतम 15 दिन के लिए वेबसाइट पर डालेंगे आवेदन
सक्षम स्तर पर भूमि आवंटन का फैसला होने पर किया जाएगा जारी
निकाय को 15 दिन में आवंटन एवं मांग पत्र किया जाएगा जारी
निजी संस्थानों को निवेश की गारंटी पर भूमि की जाएगी आवंटित
गारंटी के तौर पर संस्थान के बैंक खाते में होनी चाहिए अतिरिक्त राशि
न्यूनतम 50 करोड़ के निवेश पर की जा सकेगी भूमि आवंटित
होटल के लिए 3000 वर्ग मीटर भूमि की जा सकेगी आवंटित
बड़े अस्पताल व मेडिकल कॉलेज के लिए भी दी जा सकेगी भूमि
न्यूनतम 300 बेड्स के लिए दी जा सकेगी भूमि
न्यूनतम 500 करोड़ के निवेश पर दी जा सकेगी भूमि
विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय विस्तार के लिए मिल सकेगी भूमि
न्यूनतम 300 करोड़ के निवेश पर मिल सकेगी भूमि
संभागीय मुख्यालय में अधिकतम 20 एकड़ और
अन्य शहरों में 20 एकड़ तक आवंटित की जा सकेगी भूमि

--- जयपुर मेट्रो परियोजना का दूसरा चरण ---
राज्य सरकार ने जयपुर मेट्रो परियोजना के दूसरे चरण पर काम शुरू कर दिया है
दूसरे चरण की डीपीआर स्वीकृति के लिए केन्द्र सरकार को भेजी गई है
जल्द ही इस डीपीआर पर केन्द्र सरकार की ओर से मंजूरी दे दी जाएगी
दूसरे चरण में प्रहलादपुरा रिंग रोड से लेकर विद्याधर नगर टोड़ी मोड़ तक मेट्रो चलेगी
42.80 किलोमीटर लंबे इस दूसरे चरण की लागत है 12 हजार 260 करोड़ रुपए
इसी वर्ष मौके पर काम शुरू करने के लक्ष्य के साथ राजस्थान मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन तैयारी कर रहा है
दूसरे चरण को सात पैकेजों में बांट दिया गया है
पहले पैकेज में मेट्रो चलाने के लिए निविदा भी जारी कर दी गई है
पहले पैकेज में प्रहलादपुरा से पिंजरापोल गौशाला तक मेट्रो चलाई जाएगी
इस पैकेज के लिए 12 दिसंबर को निविदा खोली जाएगी