जयपुर: राजस्थान विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, ईआरसीपी जनजागरण यात्रा व कांग्रेस गारंटी यात्रा से बड़ी उम्मीद थी, लेकिन तीनों ही यात्राएं कांग्रेस को जीत नहीं दिला सकी. चुनाव से पहले कांग्रेस यात्राओं से फायदे की बात कर रही थी, लेकिन परिणाम में तस्वीर बिलकुल उलट नजर आई.
पिछले साल जब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी, तो कांग्रेस को उम्मीद जगी थी कि यह यात्रा कांग्रेस की तकदीर बदल देगी. 5 से 20 दिसंबर तक यात्रा राजस्थान से भी गुजरी और यात्रा में भीड़ देखकर कांग्रेसियों की बांछे खिल गई थी. उनको लगा कि अब कांग्रेस को राजस्थान में सरकार वापसी से कोई नहीं रोक सकता, लेकिन परिणाम बिलकुल उलट आए. राजस्थान में यात्रा के रूट में कांग्रेस की सीटें पहले से कम हुई हैं. कुल 19 सीटों में से कांग्रेस को केवल 8 सीट मिली, जबकि 2018 में 13 सीट थी. ऐसे में कांग्रेस को 5 सीटों का नुकसान हुआ है. राहुल गांधी की यात्रा 5 से 20 दिसंबर 2022 तक प्रदेश के 7 जिलों की 19 विधानसभा सीटों से होते हुए गुजरी थी. यात्रा कोटा की 5, झालावाड़, टोंक-बूंदी की 1-1, दौसा की 4, सवाई माधोपुर की 3 और अलवर की 4 सीटों से होकर गुजरी थी. राहुल गांधी की यात्रा वाले 7 में से 5 जिलों में कांग्रेस को सीटों का नुकसान हुआ है, जबकि केवल दो जिलों में फायदा हुआ है. राहुल की यात्रा झालरापाटन से शुरू हुई थी जहां अलवर में खत्म हुई थी, तो दोनों ही जगह कांग्रेस हारी. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय इसके रूट वाली 13 सीटों पर कांग्रेस, जबकि 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा था. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कोटा उत्तर, केशोरायपाटन, देवली-उनियारा, बामनवास, दौसा, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, अलवर ग्रामीण और रामगढ़ सीटों पर जीत हासिल की है. इन 8 सीटों में से 7 सीटें कोटा उत्तर, देवली-उनियारा, बामनवास, दौसा, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, अलवर ग्रामीण और रामगढ़ पहले ही कांग्रेस के पास थी. कांग्रेस ने केशोरायपाटन सीट भाजपा से छीन ली. राहुल की यात्रा वाले जिलों में बीजेपी को 11 सीटें मिली हैं. इनमें झालरापाटन, रामगंजमंडी, सांगोद, लाडपुरा, कोटा दक्षिण, खंडार, सवाई माधोपुर, लालसोट, सिकराय, बांदीकुई और अलवर शहर शामिल है. इनमें से 5 सीटें झालरापाटन, रामगंजमंडी, लाडपुरा, कोटा दक्षिण और अलवर शहर सीट पहले भी भाजपा के पास थी यानी भाजपा ने 5 सीटें बरकरार रखी है. सांगोद, खंडार, सवाई माधोपुर, लालसोट, सिकराय और बांदीकुई सीटें कांग्रेस से छीन ली.
राहुल गांधी की यात्रा के बाद कांग्रेस ने पूर्वी राजस्थान में ईआरसीपी के मुद्दे पर जीत दर्ज करने का भी सपना देखा था, लेकिन यह यात्रा भी कांग्रेस के लिए फायदेमंद नहीं रही. 16 अक्टूबर को नवरात्रा स्थापना के साथ बारां जिले से इस यात्रा की शुरुआत हुई. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यात्रा की शुरुआत करने आए, लेकिन जिस मंत्री के कंधों पर शुरुआत की जिम्मेदारी थी, वहीं प्रमोद जैन भाया चुनाव हार गए. यात्रा का समापन 20 को दौसा के सिकराय में प्रियंका गांधी की सभा से हुआ, लेकिन परिणाम देखिए. दौसा की पांच में से चार सीट कांग्रेस हार गई. सिकराय में जहां प्रियंका गांधी आई थी, वहां मंत्री ममता भूपेश को हार का सामना करना पड़ा.
चुनाव प्रचार आगे बढ़ा और टिकट वितरण हुआ, तो कांग्रेस ने सात गारंटियों के साथ रथ पर सवार होकर एक और यात्रा की शुरुआत की. जयपुर के मोतीडूंगरी गणेश मंदिर से इस यात्रा की शुरुआत हुई. यह क्षेत्र मालवीय नगर विधानसभा में आता है. यहां से खुद सीएम गहलोत करीब 10 किलोमीटर पैदल चले. यात्रा एक दिन शुरु होने के बाद ब्रेक पर चली गई. लेकिन परिणाम जब आया तो पता चला कि मालवीय नगर सीट कांग्रेस बड़े अंतर से हार गई. इतना ही नहीं राजधानी जयपुर की 8 मे ंसे छह सीटें भाजपा ने जीती. यात्रा के लिए संभागवार जिम्मेदारी तय की गई थी, लेकिन खुद जिम्मेदार ही वहां नहीं पहुंचे. इसके चलते यह यात्रा भी ज्यादा ध्यान खींच सकी.