बीकानेरः बीकानेर के रेतीले धोरों में भारत और अमेरिका के जांबाज सैनिकों के बीच सबसे बड़े सैन्य अभ्यास "युद्धाभ्यास 2024" का आगाज हुआ. यह अभ्यास महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित किया जा रहा है, जो दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं और कूटनीतिक संबंधों को एक नई ऊंचाई तक ले जाएगा.
भारत और अमेरिका के संयुक्त युद्धाभ्यास का आज आगाज हुआ . 22 सितंबर तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में भारत और अमेरिका के लगभग 1200 सैनिक भाग ले रहे हैं, जिसमें भारत की ओर से राजपूत रेजिमेंट की एक बटालियन और अमेरिका की तरफ़ से अलास्का स्थित 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की टुकड़ी शामिल हैं. इस युद्धाभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच सैन्य क्षमता में तालमेल बैठाना और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए सामरिक रणनीतियों का आदान-प्रदान करना है. अभ्यास में आतंकवादी कार्रवाई के लिए संयुक्त प्रतिक्रिया, संयुक्त योजना और फील्ड प्रशिक्षण का अभ्यास किया जा रहा है, जिससे दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक स्थिति में अपनी क्षमता को बेहतर तरीके से परख सकें. यह युद्धाभ्यास न केवल सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और शांति के लिए भी एक मजबूत संदेश है.
इस बार के युद्धाभ्यास का मुख्य आकर्षण अमेरिकी हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) है, जो विश्वभर में अपने प्रहार क्षमता के लिए प्रसिद्ध है. इसके साथ ही, एयरबोर्न और हेली बोर्न ऑपरेशंस जैसे उन्नत सैन्य ऑपरेशंस भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा हैं. ये ऑपरेशंस दोनों देशों की सेनाओं के बीच उन्नत तकनीकों के आदान-प्रदान और आधुनिक सैन्य कौशल को साझा करने का महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करते हैं. युद्धाभ्यास के दौरान भारतीय और अमेरिकी सैनिक न केवल अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी एक दूसरे से सीख रहे हैं. इस अभ्यास से दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी सहयोग और सामरिक तालमेल में और मजबूती आएगी. यह अभ्यास न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंध भी और प्रगाढ़ होंगे.
इस युद्धाभ्यास से न केवल सैन्य सहयोग में वृद्धि होगी, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है. इस तरह के युद्धाभ्यास से विश्व को यह संदेश जाता है कि भारत और अमेरिका जैसे बड़े राष्ट्र आतंकवाद और वैश्विक सुरक्षा के लिए एकजुट हैं. युद्धाभ्यास 2024 न केवल सैन्य दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि यह दो महान शक्तियों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों को भी प्रतिबिंबित करता है. इस अभ्यास से जहां दोनों सेनाएं एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं और तकनीकों का आदान-प्रदान करेंगी, वहीं यह अभ्यास दोनों देशों के रक्षा संबंधों को एक नई ऊंचाई पर ले जाने वाला साबित होगा.