जोधपुर: राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर में भी शिवरात्रि का महापर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. लेकिन उस वक्त जोधपुर का महत्व पूरी दुनिया में और बढ़ता हुआ नजर आता है जब उसी भगवान शिव के मंदिर में आमजन पूजा अर्चना करके खुद को खुशनसीब मानते हैं जहां कभी भगवान श्रीराम ने पूजा अर्चना की थी.
शिवरात्रि के अवसर पर सूर्य नगरी जोधपुर के प्रमुख शिवालयों में, जोधपुर के चोखा गांव के सदियों पुराने शिव पार्वती मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने और यहां अपने पिता के निधन के बाद बाल भद्र करवाने के लिए खुद भगवान राम आए थे, उसकी किवंदिती के बाद इस मंदिर की गरिमा, गौरव और ख्याति आज तक कायम है.
शिवरात्रि पर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. राजस्थान की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर के मंडोर में रावण के ससुराल का होना और भगवान श्री राम का इसी आसपास के क्षेत्र में 14 साल के वनवास के दौरान विचरण करना और उसी वक्त उनके पिता दशरथ का देहावसान हो जाना, यह सब कड़ी और पहलू आपस में जुड़ने की दास्तान कई पुस्तकों में सामने आ चुकी है.
आज तक इस पौराणिक मंदिर में लोगों की आस्था और श्रद्धा गहराई से जुड़ी हुई:
भगवान श्री राम का वनवास के दौरान पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इसी क्षेत्र में होना और अपने पिता के निधन के समाचार मिलने के बाद बाल भद्र करवाने के लिए इसी मंदिर परिसर में आना और उसके बाद भगवान शिव की पूजा आराधना करने की पौराणिक कथाओं के बाद से आज तक इस पौराणिक मंदिर में लोगों की आस्था और श्रद्धा गहराई से जुड़ी हुई है. चौखा गांव के सरपंच चुन्नीलाल और उपसरपंच मदनलाल बताते हैं कि इस मंदिर का अपना गौरव है और जहां भगवान श्री राम पूजा कर चुके और वहीं पर पूजा करने से लोगों को सुकून का एहसास होता है.