सभापति ‘अंपायर और रेफरी’ होते हैं, सत्तापक्ष के ‘चीयरलीडर’ नहीं हो सकते- Congress

नई दिल्ली: कांग्रेस ने राहुल गांधी की आलोचना किए जाने को लेकर बृहस्पतिवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यसभा के सभापति सभी के लिए ‘अंपायर और रेफरी’ होते हैं, लेकिन वह सत्तापक्ष के ‘चीयरलीडर’ नहीं हो सकते.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि धनखड़ की टिप्पणियां निराशाजनक हैं. उन्होंने कहा कि संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति को पूर्वाग्रह और किसी दल के प्रति झुकाव से मुक्त होना चाहिए. धनखड़ ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि विदेशी धरती से यह कहना मिथ्या प्रचार और देश का अपमान है कि भारतीय संसद में माइक बंद कर दिया जाता है.

पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे:
उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत के पास अभी ‘जी 20’ की अध्यक्षता करने का गौरवशाली क्षण है, तो ऐसे समय में एक सांसद द्वारा भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक इकाइयों की छवि धूमिल किए जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता. धनखड़ ने कहा कि वह इस संबंध में अपने संवैधानिक कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकते. उपराष्ट्रपति ने राहुल गांधी का नाम नहीं लिया. वह वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह की मुंडक उपनिषद पर आधारित एक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे.

सरकार का बचाव किया जो निराशाजनक है:
कांग्रेस नेता रमेश ने बृहस्पतिवार रात जारी एक बयान में कहा कि कुछ ऐसे पद होते हैं जहां हमें अपने पूर्वाग्रह, पार्टी के प्रति झुकाव से मुक्त होना पड़ता है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का पद भी इसमें शामिल है. रमेश के अनुसार, राहुल गांधी के बारे में उपराष्ट्रपति का बयान हैरान करने वाला है तथा उन्होंने सरकार का बचाव किया जो निराशाजनक है. कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश में ऐसा कुछ नहीं कहा है जो उन्होंने यहां कई बार नहीं कहा हो. वह उन दूसरे लोगों की तरह नहीं हैं जो जहां बैठते हैं, वहां के मुताबिक रुख बदल लेते हैं.

अपनी आवाज दबाए जाने का विरोध किया था:
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राहुल गांधी का बयान तथ्यात्मक और जमीनी वास्तविकता को दर्शाता है. रमेश ने कहा कि पिछले दो सप्ताह में संसद के 12 सदस्यों को विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया, क्योंकि उन्होंने संसद के भीतर अपनी आवाज दबाए जाने का विरोध किया था. रमेश ने दावा किया कि असहमति जताने वाले लोगों को दंडित किया जाता है. आपातकाल भले ही घोषित नहीं किया गया है, लेकिन सरकार के कदम वैसे नहीं हैं जैसा कि संविधान का सम्मान करने वाली सरकार के होते हैं. उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति की मौजूदा टिप्पणियों और अतीत की कुछ टिप्पणियों ने इस बात को साबित किया है.

किस गरिमा के साथ अपना कर्तव्य निभाया: 
रमेश ने धनखड़ पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्यसभा के सभापति सभी के लिए अंपायर, रेफरी, मित्र और मार्गदर्शक हैं. वह किसी सत्तापक्ष के ‘चीयरलीडर’ नहीं हो सकते. इतिहास इस आधार पर परख नहीं करता कि नेताओं ने किस पार्टी का बचाव किया, बल्कि इस आधार पर करता है कि उन्होंने लोगों की सेवा करते हुए किस गरिमा के साथ अपना कर्तव्य निभाया. सोर्स-भाषा