जयपुर: यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा प्रदेश में चौथी बार गहलोत सरकार बनने के बाद कोटा की तर्ज पर संभागीय मुख्यालय वाले अन्य शहरों का भी विकास किया जाएगा. कोटा के चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और सिटी पार्क के उद्घाटन समारोह को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में धारीवाल ने यह बात कही.
राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि कोटा के चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट का उद्घाटन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 12 सितंबर को करेंगे. जबकि सिटी पार्क का लोकार्पण सीएम गहलोत 13 सितंबर को करेंगे. कैबिनेट की बैठक भी 13 सितंबर को ही होगी. मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह भीलवाड़ा मॉडल पूरे देश में मशहूर हुआ और जिस तरह वर्ष 2014 के चुनाव गुजरात मॉडल बेचा गया. उसी तरह अब कोटा मॉडल शहरी विकास के मामले में पूरे देश में मशहूर होगा.
जल्द कोटा देश में एक बड़े पर्यटक स्थल के तौर पर उभरेगा:
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि कोटा में 2 लाख से ज्यादा बच्चे कोचिंग लेते हैं. इनके माता पिता व अन्य परिजन साल में कम से कम दो बार कोटा आते हैं. ये लोग यहां चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और सिटी पार्क आदि स्थानों पर घूमेंगे. यहां के बारे में अन्य लोगों को बताएंगे तो जल्द कोटा देश में एक बड़े पर्यटक स्थल के तौर पर उभरेगा. यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा चंबल नदी की कभी भी किसी ने औपचारिक पूजा नहीं की. बारह सितंबर को लोकार्पण के समय शाम को 125 पंडित चंबल नदी की पूजा करेंगे. सीएम गहलोत नाव में बैठकर लोकार्पण के लिए बटन दबाएंगे. बटन दबाते ही चंबल माता की मूर्ति के घड़े से नदी में पानी प्रवाहित होगा. पानी के प्रवाह के साथ ही प्रोजेक्ट का विधवित लोकार्पण होगा. यह 225 फीट ऊंची मार्बल की चंबल माता की मूर्ति लगाई गई जो विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति है. इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होगा. रिवर फ्रंट में 22 घाट बनाए गए हैं.
करीब 14 सौ करोड़ रुपए खर्च हुए:
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट और सिटी पार्क के निर्माण पर करीब 14 सौ करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. यह सारी राशि कोटा नगर सुधार न्यास ने अपने बजट में से दी है. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार से एक रुपया नहीं लिया गया है. मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि वर्ष 2020 में इस प्रोजेक्ट का काम शुरू किया गया. उसके बाद कोराेना काल शुरू हो गया. उस दौरान यहां लगे 10 हजार मजदूरों को जाने नहीं दिया. उन्हें यहां रोक कर उनकी हर जरूरत का ध्यान रखा गया. यही कारण है कि यह प्रोजेक्ट तीन साल में पूरा हो पाया. यह भी अपने आप में मिसाल है कि इतने कम समय में यह प्रोजेक्ट पूरा हो पाया.
इस प्रोजेक्ट से फ्लड कन्ट्रोल भी किया गया:
चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए इस दौरान कंसलटैंट व मशहूर आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया ने बताया कि चंबल नदी में 27 नाले गिरते हैं. उन नालों के गंदे पानी को ट्रीट किया गया. इस प्रोजेक्ट से फ्लड कन्ट्रोल भी किया गया है. कोटा मॉडल पूरे देश के लिए एक नजीर बन कर उभरा है. कोटा का 360 डिग्री विकास किया गया. उन्होंने बताया कि रिवर प्रोजेक्ट के ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस का जिम्मा अमरीकी कंपनी को दिया है. यह देश में पहला इतना बड़ा प्रोजेक्ट है,जो इतने कम समय में पूरा हुआ है. प्रेस कांफ्रेंस के दौरान नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने चंबल रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट के शुभांकर को लांच किया. इस दौरान प्रोजेक्ट को लेकर डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई.