रायपुर : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी. एस. सिंह देव ने राज्य के पहले उपमुख्यमंत्री नियुक्त होने के बाद कहा कि उन्होंने कभी भी ढाई ढाई साल मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले की बात नहीं की थी और दावा किया कि यह मीडिया द्वारा बनाई गई चर्चा थी. दिल्ली से रायपुर हवाई अड्डा पहुंचने के बाद बृहस्पतिवार सुबह संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सिंह देव ने इस पद पर अपनी नियुक्ति के लिए पार्टी का आभार जताया और कहा, देर आए दुरुस्त आए.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने बुधवार देर रात एक बयान जारी कर कहा था कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने छत्तीसगढ़ में सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद सिंह देव राज्य के पहले नेता हैं जिन्हें उपमुख्यमंत्री पद दिया गया है.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही नियुक्ति का फैसला:
राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही उनकी नियुक्ति का फैसला किया गया है, इसे लेकर सिंह देव ने कहा कि एक दिन के लिए भी दी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है. सिंह देव के रायपुर पहुंचने के दौरान यहां के स्वामी विवेकानंद विमानतल पर उनके समर्थकों की भारी भीड़ थी. समर्थकों ने सिंहदेव का जोरदार स्वागत किया और ‘टीएस बाबा जिंदाबाद’ के नारे लगाए.
कांग्रेस की परंपरा एकजुट होकर चुनाव लड़ना:
उनके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बीच सत्ता के ढाई-ढाई वर्ष के बंटवारे के समझौते के बारे में पूछे जाने पर, सिंह देव ने कहा कि मैंने कभी भी ढाई साल के समझौते पर चर्चा नहीं की. यह मीडिया में चर्चा थी. हालांकि, मुझे हमेशा मीडिया का सकारात्मक सहयोग मिला. उन्होंने कहा कि आज हाईकमान ने फैसला ले लिया है. चाहे वे ढाई साल में फैसला लें या पहले ही दिन या भविष्य में, हमें अपनी जिम्मेदारी निभानी है. आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेहरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल मुख्यमंत्री हैं और आम तौर पर चुनाव लड़ते समय मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का चेहरा सामने रखा जाता है. कांग्रेस में यह परंपरा रही है कि हम एकजुट होकर चुनाव लड़ते हैं. पिछली बार भी हमने ऐसा ही किया था. एक व्यक्ति अकेले चुनाव नहीं लड़ सकता और जीत सुनिश्चित नहीं कर सकता.
आलाकमान के फैसले का पालन करते हैं:
सिंह देव ने कहा कि पिछली बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर बघेल जी का चेहरा सबसे आगे था. इस बार वह मुख्यमंत्री है. हम आलाकमान के फैसले का पालन करते हैं. राज्य में 2018 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ही सिंह देव और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सत्ता की लड़ाई में एक दूसरे के आमने सामने रहे हैं. छत्तीसगढ़ में सिंह देव को मुख्यमंत्री बघेल का विरोधी माना जाता है. सिंह देव के समर्थकों के मुताबिक, पार्टी आलाकमान ने वर्ष 2018 में राज्य में कांग्रेस की बड़ी जीत के बाद सिंह देव से ढाई वर्ष के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का वादा किया था.
कांग्रेस के घोषणापत्र का महत्वपूर्ण योगदान:
तीन बार के विधायक सिंह देव को 2013 में विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी ने कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना था. माना जाता है कि राज्य में 2018 में पार्टी को सत्ता में वापस लाने में कांग्रेस के घोषणापत्र का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसके पीछे सिंह देव ही थे. राज्य में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कड़ी चुनौती का सामना कर रहे बघेल ने सिंह देव की नियुक्ति की प्रशंसा करते हुए एकजुटता की अपील की.
सिंह देव और बघेल के बीच सत्ता संघर्ष ने पिछले साल तब नया मोड़ ले लिया जब सिंह देव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग छोड़ दिया और संकेत दिया कि उन्हें सरकार में दरकिनार कर दिया गया था, हालांकि उनके पास चार अन्य विभाग बने रहे. पूर्ववर्ती सरगुजा राजघराने के वंशज सिंह देव वर्तमान में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीस सूत्री कार्यान्वयन और वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग संभाल रहे हैं.
कांग्रेस की 75 से अधिक साट जीतने की उम्मीद:
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस को कितनी सीटें जीतने की उम्मीद है, उन्होंने कहा कि मेरे लिए लक्ष्य दो-तिहाई और 75 से अधिक के बीच है. दो-तिहाई लक्ष्य यानी 60 सीटें यथार्थवादी लक्ष्य लगता है. हमारे साथी 75 प्लस सीटों की बात कर रहे हैं. अब हम 71 पर हैं तो 75 प्लस ज्यादा दूर नहीं है. लेकिन हमें 60 सीटें मिलें तो भी हम संतुष्ट होंगे. अति आत्मविश्वास नहीं आत्मविश्वास होना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी के 15 साल लंबे शासन को समाप्त किया:
वर्ष 2018 में कांग्रेस ने राज्य की 90 में से 68 सीटें जीती थी तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 15 साल लंबे शासन को समाप्त कर दिया था. चुनाव में भाजपा को 15 सीटें मिली थी. वहीं चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) गठबंधन को कुल सात सीटें मिली थी. राज्य में सत्ताधारी दल कांग्रेस ने पांच उपचुनाव जीते हैं और उसकी संख्या 71 हो गई है. राज्य विधानसभा में भाजपा के 13 और जेसीसी (जे) की तीन तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायक हैं. हाल ही में एक भाजपा विधायक की मृत्यु हुई है.
राज्य कांग्रेस में सब एकजुट:
वर्ष 2018 में नई सरकार के गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री और सिंह देव के बीच खाई गहरी हो गई थी. विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस के इस कदम को अंदरूनी कलह कम करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. वहीं सोशल मीडिया में सिंह देव के साथ अपनी तस्वीर साझा कर बघेल ने यह बताने की कोशिश की है कि राज्य कांग्रेस में सब एकजुट हैं और सब ठीक है. सोर्स भाषा