जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देशभर में चर्चाओं का विषय बनी ऑल्ड पेंशन स्कीम और राइट टू हेल्थ बिल को कामयाब करने का संकल्प दोहराया है. आरयूएचएस के दीक्षांत समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साफ कहा कि ये दोनों की घोषणाएं आमजन और कर्मचारियों की सबसे बड़ी जरूरत थी, जिसे सरकार ने समझा और लागू किया.राजनीतिक मतभेदों के चलते भले ही इन घोषणाओं पर सवाल उठाए जा रहे है, लेकिन हम OPS और RTH को कामयाब करके दिखाएंगे. जयपुर के बिडला सभागार में राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय का आठंवा दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सफल अभ्यर्थियों को मैडल और डिग्रियां वितरित की.इस दौरान सीएम ने 'OPS और RTH को लेकर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि RTH की गलतफहमी को दूर कर दिया गया है. चिकित्सक धबराए नहीं. चिकित्सकों को साथ लिए बगैर RTH की मंशा को पूरा नहीं किया जा सकता है.हालांकि, इस दौरान सीएम ने ये भी कहा कि बिना मतलब इतने दिन डॉक्टर्स की हड़ताल चल गई. जबकि सरकार ने सभी मांगों पर सहमति दे दी थी.ये दुख की बात है
NMC के नॉर्म्स पर सीएम ने उठाए सवाल:
-NMC मैम्बर डॉ जे एल मीणा ने मौजूदगी में सीएम ने उठाए सवाल,
-NMC के नियमों को लेकर सीएम ने कहा कि 'कुछ नॉर्म्स बड़े अजीब है
-जिन्हे पूरा करने के लिए चिकित्सकों को इधर-उधर भेजना पड़ता है
-जबकि सबको पता है कि मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी है
-हमें शर्म आती है सरकार खुद ऐसे काम करती, जो नियमों में नहीं है
-इन नियमों को मौजूदा संसाधनों के हिसाब से सुधारने की जरूरत है
अरविंद पनगडिया के लेख से सीएम निराश:
-सीएम गहलोत ने कहा कि हम जनता के लिए काम करते है
-पिछले शासन काल के दौरान निशुल्क दवा योजना-जांच योजना शुरु की
-तभी भी सवाल खड़े किए गए थे, लेकिन वो आज देशभर में चर्चित है
-अब चिरंजीवी बीमा योजना में हमने 25 लाख तक का प्रावधान किया है
-हाल ही में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगडिया का लेख पड़ा
-उसमें ओपीएस और आरटीएच के खिलाफ जिस तरह से लिखा गया है
-वो न सिर्फ हमें, बल्कि हर किसी को निराशा करता है
समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने प्राचीन चिकित्सा से जुडे ज्ञान की संहिताओं को आधुनिक संदर्भो में परखते हुए भविष्य की कार्ययोजना में शामिल करने का आह्वान किया. उन्होंने चिकित्सकों से मशीनों पर बढ़ती निर्भरता कम करने की दिशा में भी ध्यान देने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि मरीजों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ और मशीनों के रेडिएशन्स के विपरीत प्रभावों को देखते हुए वास्तव में जिस रोग की आशंका हो, उसी से सम्बंधित टेस्ट कराए जाने चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत विशेषज्ञ चिकित्सा क्षेत्रों की और तेजी से आगे बढ़ना अच्छी पहल है, लेकिन चिकित्सकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके उपचार से किसी दूसरे रोग के बढ़ने की आशंका अथवा दूसरे रोग से जुड़े प्रभाव की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में समुचित जानकारी चिकित्सकों द्वारा मरीजों को दी जानी चाहिए.
कार्यक्रम में चिकित्सा परसादी लाल मीणा ने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है जहां 25 लाख रुपए तक का निशुल्क हलाज हो रहा है, जिसका 2500 करोड़ रुपए का प्रीमियम राज्य सरकार भर रही है. उन्होंने कहा कि बुनियादी चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने और आम जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शेष रहे तीन जिलों प्रतापगढ़, जालौर और राजसमंद में भी मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाएंगे. इस तरह शीघ्र ही प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज की सुविधा हो जाएगी. आरयूएचएस के कुलपति डॉ. सुधीर भण्डारी ने प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि संघटक मेडिकल कॉलेज में इंटर्न हॉस्टल, बॉयज हॉस्टल, नई मॉर्चरी सहित विभिन्न भवन एवं सुविधाएं निर्माणाधीन हैं. शीघ्र ही विश्वविद्यालय के संघटक फार्मेसी कॉलेज एवं फिजियोथैरेपी कॉलेज खोले जाएंगे जिसका निर्णय प्रबन्ध मण्डल की बैठक में हो चुका है.
चार डॉक्टर्स को मानद उपाधि:
-डॉ.अशोक एन जोहर को डॉक्टर ऑफ फिलोसोफी मेडिसिन की मानद उपाधि
-डॉ.अनिल भंसाली को डॉक्टर ऑफ फिलोसोफी मेडिसिन की मानद उपाधि
-डॉ.बंशी साबू को डॉक्टर ऑफ साइंस मेडिसिन की मानद उपाधि
-डॉ.केआर बालाकृष्णन को डॉक्टर ऑफ साइंस मेडिसिन की मानद उपाधि
कार्यक्रम में राज्यपाल ने डीएम, एमसीएच, पीएचडी के विद्यार्थियों को उपाधियां एवं विभिन्न पाठ्यकमों में उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले छात्र- छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किये. साथ ही मेडिकल, पैरामेडिकल, नर्सिंग सहित विभिन्न संकायों के स्नातक, स्नातकोत्तर, पीजी डिप्लोमा, डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों एवं पीएचडी के स्टूडेंट्स को उपाधियां प्रदान किए जाने की घोषणा की. समारोह में विधायक डॉ. जितेन्द्र सिंह,मंजू देवी, प्रमुख चिकित्सा शिक्षा सचिव टी. रविकान्त, विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री ओंकार मल के अलावा विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मण्डल व विद्या- परिषद के सदस्यगण, डीन और अन्य चिकित्सक मौजूद रहे.