नई दिल्ली: कांग्रेस के संकल्प सत्याग्रह में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने OBC का अपमान कैसे किया ? क्या जो लोग भाग गए वो OBC के हैं ? कांग्रेस ने OBC,SC,ST वर्ग का भाजपा से ज्यादा ख्याल रखा. मैं तो खुद OBC का हूं,मुझे तीन बार मुख्यमंत्री बनाया हैं. सैनी समाज का मैं एक अकेला विधायक हूं और मुख्यमंत्री बनता हूं. ये लोगों को भड़काने निकले हैं, ऐसे फासिस्ट लोग हैं, मुकाबला करना होगा. आज सबक सीखाने का मौका हैं,राहुल गांधी को संसद से निकालना किसी वर्ग ने पसंद नहीं किया.
मुख्यमंत्री गहलोत ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुूए कहा कि अंग्रेजों की मुखबिरी करने वाले आज सत्ता में आ गए हैं. इन्होंने आजादी के लिए एक अंगुली भी नहीं कटाई. वे क्या समझेंगे लोकतंत्र क्या होता है? आज लोकतंत्र की हत्या हो रही है. लेकिन ये लोकतंत्र की ताकत है जिसके कारण आप सत्ता में बैठे हो. देश किस दिशा में जा रहा है देशवासियों के सामने है, लेकिन आगे देश किस दिशा में जाएगा कोई नहीं जानता. गांधी-नेहरू परिवार का देश के लिए त्याग और बलिदान सबके सामने हैं.
गांधी परिवार की युवा पीढ़ी राहुल गांधी आज भी उसी रास्ते पर हैं. महंगाई, बेरोजगारी, प्रेम, सद्भाव को लेकर उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा निकाली. राहुल गांधी ने जनता की आवाज उठाई. राहुल गांधी की लोकप्रियता से बीजेपी डर गई है. जिसके बाद षड्यंत्र के तहत लगातार उन पर आरोप लगा रहे. पीएम मोदी चुनावी रणनीति के तहत राहुल पर आरोप लगा रहे. गुजरात चुनाव में भी आखिरी हथियार के रूप में मोदी ये कार्ड खेल चुके. जान-बूझकर OBC वर्ग को गुमराह करने की कोशिश हो रही. मैं खुद OBC वर्ग से हूं और तीन बार मुख्यमंत्री बना हूं. चुनावों में लोगों को मूल मुद्दों से भटकाने के लिए ऐसे षडयंत्र रचे जा रहे. देशवासियों के लिए ये सबक सिखाने का मौका, अभी नहीं तो कभी नहीं.
गौरतलब हैं कि कांग्रेस ने पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने के विरोध में रविवार को सभी राज्यों और जिला मुख्यालयों में महात्मा गांधी की प्रतिमाओं के सामने एकदिवसीय सत्याग्रह करने की घोषणा की थी.केरल की वायनाड सीट से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा 2019 के मानहानि के एक मामले में दो साल जेल की सजा सुनाये जाने के मद्देनजर शुक्रवार को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गया. लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि उनका अयोग्यता संबंधी आदेश 23 मार्च से प्रभावी होगा. उल्लेखनीय है कि सूरत की एक अदालत ने यह फैसला मोदी उपनाम संबंधी टिप्पणी को लेकर दिया था.