Churu News: परिवार की मर्जी से शादी करने के बाद भी पंचायत ने सुना दिया तुगलकी फरमान, दूल्हे का घर जलाया, समाज से निकाला; शादी के 6 महीने बाद भी छिपकर रह रहे दूल्हा-दुल्हन

Churu News: परिवार की मर्जी से शादी करने के बाद भी पंचायत ने सुना दिया तुगलकी फरमान, दूल्हे का घर जलाया, समाज से निकाला; शादी के 6 महीने बाद भी छिपकर रह रहे दूल्हा-दुल्हन

सादुलपुर(चूरू): भले ही देश संविधान के अनुसार चलता हो, लेकिन इक्कीसवीं सदी आज भी ऐसा समाज भी है, जहां पंच अपना तुगलकी फरमान सुनाते हैं, जिसे पूरे गांव को मानना होता है और फरमान मानने में जरा सी भी चूक की तो दंड भी भरना पड़ता है. सादुलपुर के गागड़वास गांव से  ऐसे ही फरमान की खबर मिली है. यहां खाप पंचायत ने सादुलपुर उपखंड के गागड़वास गांव  में एक शख्स के खिलाफ तुगलकी आदेश जारी कर दिया. 

दरअसल, ईश्वर सिंग पुत्र लिछमण सिंग जाट कस्वा गोत्र के है गांव गागड़वास का स्थायी निवासी हैं. जिसने अपने बेटे की शादी गांव से करीब 15 किलोमीटर दूर कालरी गांव की अनामिका से कर दी. जो पुनिया गोत्र की लड़की है. इसी बात से गांव गागड़वास के पुनिया गोत्र के लोग नाराज हो गए क्योंकि उनकी संख्या गांव में ज्यादा है. बात को लेकर समाज के पंचों ने खाप पंचायत बुलाकर सरेआम ऐसा फरमान सुना दिया, जिसकी कल्पना भी पीड़ित परिवार ने नहीं की थी. बात को लेकर समाज के पंचों ने खाप पंचायत बुलाकर सरेआम ऐसा फरमान सुना दिया, जिसकी कल्पना भी पीड़ित परिवार ने नहीं की थी.  

पीड़ित परिवार से संबंध रखने पर 5100 रुपये जुर्माने का ऐलान:
पंचायत ने ईश्वर सिंग को जाति समाज से बहिष्कृत करते हुए परिवार का हुक्का पानी बंद कर दिया है. इतना ही नहीं, यह भी कह दिया कि समाज का कोई भी व्यक्ति इस परिवार से संबंध नहीं रखेगा. ईश्वर जाट के परिवार पर रिश्तेदारी और समाज में आने जाने पर पूरी पाबंदी रहेगी. परिवार गांव के पनघट से पीने का पानी भी नहीं भर सकेगा. गांव में नाइ की दुकान पर बाल नही कटवा सकेगा. दुदिया इनके घर ना तो दूद दे सकता ना ही ले सकता. गांव की किसी दुकान से समान नही ले सकता और समाज का कोई भी व्यक्ति इस्वर  सिंग से बातचीत करेगा या उससे संबंध रखेगा उसे भी समाज से बाहर कर 5100 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा. वीडियो में भले दोनों सामान्य दिख रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं. 6 महीने से दूल्हा-दुल्हन और दोनों के घरवालों के चेहरों पर खौफ और आंखों में आंसू हैं.

आंसुओं और डर की वजह है गांव के पंचों की दादागिरी, जिन्होंने फरमान सुना दिया कि दुल्हन गांव में कदम नहीं रख सकती. इस फरमान की वजह है दुल्हन का पूनियां गोत्र से होना. चूंकि दूल्हे का गांव पूनियां बाहुल्य है, ऐसे में पंचों ने फैसला सुना दिया कि पूनियां गोत्र की कोई लड़की इस गांव में बहू बनकर नहीं आ सकती. पंचायत बुलाकर समाज ने फैसला सुना दिया कि यह रिश्ता हमें मंजूर नहीं है. रिश्ता छोड़ों या गांव. पंचों की मनमानी के आगे परिवार के लोग नहीं झुके तो दूल्हे का घर जला दिया. समाज से बाहर कर दिया. पंचों का इतना खौफ है कि शादी के 6 महीने बाद भी दुल्हन अपने ससुराल नहीं आई है.

पंचायत का खाप जैसा फैसला कैसे दो परिवारों की जिंदगी बर्बाद कर रहा है...ये उदाहरण साफ देखने को मिल रहा है. पीड़ित ने मारपीट व घर जलाने का मुकदमा करवाया मगर उसमे अभी तक कुछ नही हुआ. यहाँ तक की पीड़ित SP से तीन बार जांच बदलवाने की गुहार लगा चुके मगर अब तक जांच चेंज नही हुई. जाती बहार करने को लेकर पीड़ित ने डीएसपी को परिवाद दिया मगर अभी तक मुकदमा तक दर्ज नही हुआ है. दूल्हे के पिता ने बताया कि मेरा नाम ईश्वर सिंह कस्वां है. चूरू जिले के राजगढ़ से 15 किलोमीटर दूर हमारा गांव है- गागड़वास. ये गांव पूनियां बाहुल्य है. यहां नियम है कि कोई भी पूनियां गोत्र की लड़की ब्याह कर गांव में नहीं लाएगा. फिर भले ही लड़का किसी भी गोत्र का हो. यह नियम कब, क्यों और किसने बनाया यह तो कोई नहीं बताता, लेकिन यदि कोई ऐसा कर लेता है तो फिर पूनियां समाज की पंचायत बैठती है और शुरू होता है एक ऐसा खेल जिससे परिवार बर्बाद हो जाते हैं.

ऐसा ही जुल्म अब पंचायत हमारे साथ कर रही है. जनवरी में मैंने अपने बेटे अनिल की शादी राजगढ़ से 12 किलोमीटर दूर कालरी गांव के जयवीर सिंह पूनियां की बेटी अनामिका से तय कर दी. हमारा गौत्र अलग है और उनका गौत्र अलग. यह रिश्ता दोनों परिवारों की सहमति से हुआ था.

सगाई के 2 दिन बाद रिश्ता तोड़ने का लिखित आश्वासन:
15 जनवरी 2022 को गागड़वास में सगाई समारोह हुआ. दोनों परिवार इससे बेहद खुश थे. घर में खुशियों का माहौल था. सगाई के अगले ही दिन गांव के चौक में पूनियां पंचायत हुई. जिसमें हमें भी बुलाया गया और कहा गया कि आप पूनियां गोत्र की बेटी इस गांव में नहीं ला सकते. आपको यह रिश्ता तोड़ना होगा.

हमारे तो पैरों तले से जमीन खिसक गई. गांव अलग, गौत्र अलग और दोनों के परिवारों को कोई दिक्कत नहीं तो फिर दूसरों को क्या दिक्कत हो सकती है, लेकिन उन्होंने गांव में हमारे सामाजिक बहिष्कार की घोषणा कर दी. हम कुछ सोच पाते, उससे पहले ही दूसरे ही दिन यानी 17 जनवरी को चौक में वापस पंचायत हुई और उसमें हमसे लिखित में रिश्ता तोड़ने का आश्वासन लिया गया. हमें मजबूरी में ऐसा करना पड़ा हम डरे हुए तो थे, लेकिन यह शादी भी करना चाहते थे. ऐसे में हमने 19 जनवरी को रोहतक के आर्य समाज में जाकर सादगी से शादी करवा दी. बस, इसके बाद तो हमारे साथ ऐसा व्यवहार होने लगा कि जैसे हमने कोई बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो. हमें गांव छोड़ने तक के लिए मजबूर किया गया. बार-बार पंचायत बैठती और हमारे खिलाफ फैसला लेती. हमने सोचा कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा.

शादी को तीन महीने बीत चुके थे. चूंकि पहले सादगी से शादी हुई थी तो अब हम सभी को बुलाकर अपनी खुशियों में शामिल करना चाहते थे. हमने 10 मई को अनिल और अनामिका का रिसेप्शन रखा. रिसेप्शन से 1 दिन पहले 9 मई की रात कुछ लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया और ट्रैक्टर में रखा सामान भी ले गए. इसका मैंने 10 मई को मामला भी दर्ज करवाया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. अगले दिन राजगढ़ में रिसेप्शन था, लेकिन उसमें मेरे ही दो भाई शामिल नहीं हो सके. दोनों उस दिन गांव में अपना घर छोड़कर खेतों में चले गए. यह सब उन पंचों के दबाव में हुआ.

रिसेप्शन के अगले ही दिन 11 मई को गागड़वास में मेरे घर में आग लगा दी गई. उस वक्त हम सभी राजगढ़ में थे. गांव से ही किसी का फोन आया तो हमने पुलिस को सूचना दी. जिसके बाद पुलिस ने फायर ब्रिगेड बुलवाकर आग पर काबू पाया. पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद ही हम लोग घर पहुंचे. वहां जाकर देखा तो घर का पूरा सामान जला हुआ था. बेटे बहू की शादी का सारा सामान जल चुका था. घर के पास ही हमारे पशु बंधे थे, किसी तरह वे बच गए. इसकी मैंने राजगढ़ थाने में रिपोर्ट भी दी, लेकिन इस बार भी कुछ नहीं हुआ. बेटे की शादी ही तो की है, कोई गुनाह तो नहीं. 11 मई को जिस दिन हमारे घर में आग लगाई, तब से पूरा परिवार सदमे में है. स्थिति ये है कि गांव में हम अपने पशुओं का दूध बेचते हैं तो कोई खरीदता नहीं. किसी दुकान से राशन या दूसरा सामान खरीदने जाओ तो वह नहीं देता . सबको डराया धमकाया जाता है. कोई भी व्यक्ति हमसे संबंध रखता है तो उस पर 5100 रुपए का जुर्माना लगा दिया जाता है.

आग की घटना के बाद पुलिस की समझाइश पर कुछ दिन तक तो शांति रही. इसके बाद 5 जुलाई को मैं गांव में अपने पशुओं को पानी पिलाने गया. जब वापस लौट रहा था तो रास्ते में संजय सिंह पुत्र मेघ सिंह ने मारपीट की. संजयसिंह ने कहा कि गांव से अपनी जमीन बेचकर चले जाओ. उसके साथ राजरूप पूनियां था. थाने तथा घटना की शिकायत की तो पैर तोड़ देने की धमकी दी. मेरे तीन बच्चे हैं. बड़ा बेटा अनिल है. बाकी दो बेटियां हैं, जो पढ़ाई कर रहीं हैं. अनिल ने बीएससी और बीएड कर रखी है. अब एमएससी के साथ कंपीटिशन एग्जाम की तैयारी कर रहा है. वहीं उसकी पत्नी अनामिका से जीएनएम कर रही है. समझ नहीं आता पंचों की इस मनमानी का सामना कैसे करें. अब तो लगता है कि सुसाइड के अलावा शायद दूसरा कोई उपाय नहीं बचा, क्योंकि गांव के दबंग बार-बार टॉर्चर कर रहे हैं. जाति समाज से बाहर कर हुक्का पानी बंद कर दिया है. पनी पीड़ा बताते-बताते ईश्वरसिंह भावुक हो गए और उनके आंसू बहने लगे. वहीं मामले को लेकर बात करनी चाई तो पुलिस अधिकारी भी बचते नजर आए.