Churu News: भेड़ के बच्चे की कीमत एक करोड़ रुपए, फिर भी मालिक बैचने को तैयार नहीं; जानिए वजह

चूरू: जिले के तारानगर विधानसभा क्षेत्र में एक नायाब भेड़ का बच्चा (मिंडा) इन दिनों चर्चाओं में है और इस मिंडे की चर्चा गांव ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों में भी  है जिसके चलते यह मिंडा (भेड़ का बच्चा) ग्रामीणों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. अमूमन 8 से 10 हजार रुपए में बिकने और मिलने वाले इस मिंडे की अब तक 1 करोड़ रुपए की बोली लग चुकी है और उससे भी दिलचस्प बात ये है कि इस मिंडे का मालिक चरवाहा फिर भी इसे बेचने को तैयार नही है. 

दरअसल, पिछले करीब 25 वर्षो से चरवाहे का काम कर रहे राजूसिंह को भी ये पता नहीं था कि अक्सर वह हर रोज जिन बकरी और भेड़ के रेवड को चराने जाते हैं एक दिन वही भेड़ और बकरी उसके लिए नायाब बन जायेंगे. चरवाहे राजूसिंह बताते हैं कि उनके यहां करीब एक साल पहले एक मादा भेड़ ने बच्चे को जन्म दिया था और आज उसी नर भेड़ के बच्चे की बोली लोगों ने 70 लाख से शुरू की और एक करोड़ रुपए तक लगा दी. बावजूद इसके चरवाहा राजूसिंह इसे बेचने को तैयार नहीं है.

मिंडे के पेट पर लिखा कुछ उर्दू में 786, मुस्लिम समाज की इन अंको की मान्यता:
चरवाहा राजूसिंह बताते हैं कि मिंडे के पेट पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है जिसे वह भी नहीं समझ पाए जिसके बाद उन्होंने गांव के कुछ मुस्लिम समाज के बड़े बुजुर्गों को दिखाया तो उन्होंने मिंडे के पेट पर 786 लिखा बताया जो मुस्लिम समाज के लिए अहम होना बताया, राजूसिंह ने बताया जिसके बाद से इस मिंडे की कोई 70 लाख देने को तो कोई एक करोड़ रुपए देने को तैयार है लेकिन जान से प्यारे इस मिंडे को देने को तैयार नहीं है. 

मिंडे की ये है डाइट:
जब से इस मिंडे कि कीमत लाखों,करोड़ो रुपए लगी हैं जिसके बाद से इसकी जिंदगी बदल गयी और समूह के रहने वाले अन्य मिंडो से इस मिंडे को अलग रखा जाने लगा और इसके खान-पान का ख्याल रखा जा रहा है और इसे अनार, पपीता, बिंदोला, बाजरा और हरी सब्जियां खिलाई जा रही है. करोड़ों में कीमत लगने के बाद इस मिंडे कि सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखा जाने लगा है. इसे राजूसिंह अपने परिवार के साथ घर के अंदर रखते हैं.