VIDEO: कांग्रेस हाईकमान का एक्शन प्लान, एसी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वर्ग को एकजुट करने की प्लानिंग, देखिए ये खास रिपोर्ट

जयपुर: कांग्रेस हाईकमान और थिंक टैंक ने पार्टी को फिर से जिंदा करने के लिए आरक्षित वर्ग को एकजुट करते हुए अपने पाले में लाने का एक्शन प्लान बनाया है. तेलंगाना में ओबीसी वर्ग का आरक्षण 43 फीसदी करते हुए इस दिशा में एक बड़ा सियासी कदम उठाया गया है. दरअसल राहुल गांधी का इसके पीछे मकसद यह है कि हिंदुत्व की काट के लिए एससी, एसटी, ओबीसी और मुस्लिम वर्ग को लामबंद किया जाए.

संविधान बदलने और जातिगत जनगणना के नैरेटिव से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों का आंकड़ा 100 पहुंच गया था औऱ बीजेपी की बहुमत से पहले गाड़ी रुक गई थी. लेकिन कांग्रेस का यह जोश हरियाणा,महाराष्ट्र और दिल्ली में करारी हार के बाद ठंडा पड़ गया. क्योंकि कांग्रेस अडानी जैसे अन्य सियासी मुद्दों पर राजनीति करने लग गई थी. पर जनता के ये मुद्दे रास नहीं आए. लिहाजा कांग्रेस हाईकमान  ने एक बार फिर से एससी,एसटी और ओबीसी वर्ग पर फोकस करना शुरु कर दिया है.

-हिंदुत्व VS जाति की सियासत-
कांग्रेस का हिंदुत्व के मुद्दे का काउंटर प्लान
हाईकमान ने आरक्षित वर्गों को लामबंद करने की बनाई योजना
SC,ST,OBC और मुस्लिम वर्ग को एकजुट करने की रणनीति
देश में है आरक्षित वर्ग और मुस्लमानों की आबादी है करीब 85 फीसदी
तेलंगाना में ओबीसी वर्ग का आरक्षण कर दिया 43 फीसदी
बिहार में इसी रणनीति के तहत चुनाव से पहले दलित को बनाया पीसीसी चीफ
कांग्रेस की यह रणनीति है मंडल-कंमडल जैसी

राहुल गांधी लंबे समय से देश में जातिगत जनगणना कराने की डिमांड हुक्मरानों से कर चुके है. दरअसल इसके पीछे उनका बड़ा सियासी प्लान है. राहुल गांधी चाहते है कि अगर दलित,एसटी,आदिवासी,ओबीसी और मुस्लिम अगर कांग्रेस के साथ लामबंद हो गए तो पार्टी के फिर से सुनहरे दिन वापस लौट सकते है. तेलंगाना में ओबीसी का आरक्षण 23 फीसदी से बढाकर 43 प्रतिशत करके कांग्रेस ने सियासी संदेश भी दे दिया है. अब देशभर की अन्य ओबीसी जातियां तेलंगाना के फैसले को लेकर कैसा महसूस करती है यह तो वक्त बताएगा. लेकिन तेलंगाना के फैसले को लेकर ओबीसी वर्ग में हलचल औऱ चर्चाएं जरुर देखी जा रही है.

आपको बता दे कि देशभर में ओबीसी जातियों का एक बड़ा वोट बैंक है. अभी राज्यों में अधिकतर ओबीसी जातियों का झुकाव बीजेपी की तरफ ही ज्यादा है.
इस मुल्क में 90 के दशक में मंडल-कमंडल की राजनीति को आखिर कौन भूल सकता है. कैसे वीपी सिंह की मंडल की राजनीति का आडवानी ने रथ यात्रा के जरिए मतलब कमंडल से काउंटर किया था. अब राहुल गांधी की हिन्दुत्व के काउंटर में जातियों की पॉलिटक्स का कार्ड कितना सियासी तौर पर कारगर साबित होगा, यह तो वक्त बताएगा. लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर फार्मूला कामयाब हो गया तो फिर कांग्रेस की पुरानी बादशाहत वापस लौट सकती है.

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