जयपुर: कांग्रेस ने इस बार जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में युवा चेहरों को अच्छा मौका दिया है. 45 नव नियुक्ति जिला अध्यक्षो में से 23 अध्यक्ष 50 साल या उससे कम उम्र के है. वहीं 22 अध्यक्ष पचास साल से ज्यादा की आय़ु के है. सबसे कम उम्र के जिला अध्यक्ष ब्यावर से किशोर चौधरी है. वहीं विधाधर चौधरी और राजकुमार जयपाल सबसे अधिक आयु 69 साल के जिला अध्यक्ष है.
कांग्रेस हाईकमान ने संगठन सृजन अभियान के तहत राजस्थान में 50 में से 45 जिला अध्यक्षों का एलान कर दिया है. जिला अध्यक्षों की आयु के फैक्टर का विश्लेषण करें तो यह सामने आया है कि उदयपुर चिंतन शिविर में पारित प्रस्तावों का नियुक्ति में पूरा ख्याल रखा है. प्रस्ताव के तहत बाकायदा पचास प्रतिशत युवाओं को जिलों के कप्तान की बागडोर सौंपी गई है. इसके अलावा एससी,एसटी,ओबीसी,अल्पसंख्यक वर्ग औऱ महिलाओं को भी प्रतिनिधित्व देने के प्रयास किए गए हैं. लेकिन युवा चेहरों की कह सकते है इस बार बंपर लॉटरी खुली है.
-कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में युवा चेहरों का बोलबाला
-45 में से 23 चेहरे है 50 साल या उससे कम आय़ु के
-ब्यावर के किशोर चौधरी है सबसे कम उम्र के जिला अध्यक्ष
-किशोर चौधरी महज 32 साल की आयु में बन गए जिले के कप्तान
-संजय जाटव 37 साल, विकास चौधरी औऱ हनुमान बांगड़ा है 38 साल के
-करीब 8 जिला अध्यक्ष बनाए गए है 30 से 40 साल तक की आय़ु के
-महिलाओं में सबसे कम आय़ु है प्रियंका औऱ रमीला मेघवाल की 37 साल
-महिलाओं में गीता बरवड़ की है सबसे ज्यादा 53 साल आय़ु
-वहीं दो जिला अध्यक्ष है सबसे अधिक आयु के
-राजकुमार जयपाल औऱ विद्याधर चौधरी है 69 साल के
-10 जिला अध्यक्षों की आयु है 60 साल से लेकर 69 साल तक
-11 जिला अध्यक्ष है 50 से 60 साल की आय़ु के
आपको बता दे कि इससे पहले जब जिला अध्यक्षों का मनोनयन होता था तब अधिकतर 45 साल या उससे ज्यादा आय़ु के नेता ही जिला अध्यक्ष बनते थे. लेकिन राहुल गांधी के संगठन सृजन अभियान मॉ़डल के तहत इस बार युवा चेहरों की किस्मत खुल गई. वहीं युवा नेताओंं को बागडोर देने में सर्वाधिक असर रहा उयपुर चिंतन शिविर के प्रस्तावों का ..जिसमें यह तय हुआ था कि पार्टी में 50 फीसदी प्रतिनिधित्व 50 साल से कम एज और 50 फीसदी मौका 50 साल से ज्यादा आय़ु के नेताओं को दिया जाएगा. हालांकि नियुक्ति में अनुभव औऱ वरिष्ठता का भी पूरा ख्याल रखा गया है. 22 जिला अध्यक्ष ऐसे बनाए गए है जो 50 साल से ज्यादा की आयु पार कर चुके हैं.
वहीं प्रदेश नेतृत्व की पैरवी के चलते भी कईं युवा चेहरे जिला अध्यक्ष बनने की रेस जीत गए. युवा चेहरों को ज्यादा मौका देने में भी डोटासरा गुट हावी रहा. अब देखते है कि जवानी के दौर में जो जिलों की कप्तानी पारी खेलने का मौका इन युवाओं को दिया गया है उसमें वो कितना कामयाब होते है यह तो वक्त बताएगा. लेकिन इस कदम से पार्टी से जुड़े अन्य नेताओं की भी उम्मीदें अब जग चुकी है. अब देखना है कि इसी तरह विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कितने यंग ब्लड को टिकट मिलता है.