जयपुर: राजस्थान में और केन्द्र में कांग्रेस पार्टी लंबे समय तक सत्ता में रही लेकिन उसके बावजूद कांग्रेस के अधिकांश जिलों में खुद के दफ्तर नहीं है. ऐसे में जिला दफ्तर किराए के भवनों में चल रहे है. सिर्फ 7 जगह ही कांग्रेस के खुद के कार्यालय है. वहीं जयपुर में नए पीसीसी दफ्तर का शिलान्यास हो चुका है लेकिन भवन कब बनकर तैयार होगा इसका अभी कोई अता पता नहीं है.
दिल्ली से लेकर राजस्थान तक कांग्रेस पार्टी ने लंबे समय तक शासन किया. लेकिन विडंबना देखिए पार्टी अधिकांश जिलों में खुद के दफ्तर तक नहीं बना पाई. संगठन के हिसाब से कांग्रेस के 40 जिलाध्यक्ष दफ्तर है. लेकिन सिर्फ 7 जिले ही ऐसे है जहां पर पार्टी के खुद के कार्यालय है.
इन जिलों में कांग्रेस के खुद के जिला कार्यालय है.
सीकर, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा और नागौर
33 जिलों में किराए के भवन में चल रहे है दफ्तर
ताज्जुब की बात है कि जयपुर जिले में शहर और देहात के दोनों दफ्तर किराए पर चल रहे हैं. यहां तक कि भवनों का किराया तक कांग्रेस पार्टी जमा नहीं करवा पा रही है. जयपुर के दोनों दफ्तरों का करीब 7 लाख रुपए बकाया चल रहा है. हालांकि जब पवन बंसल कांग्रेस के राष्ट्रिय कोषाध्यक्ष थे तब जिलों में खुद की संपत्ति खरीदने की कवायद शुरु हुई थी. लेकिन उनके हटने के बाद सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. वहीं जयपुर में पीसीसी के नए दफ्तर के बनने का इंतजार भी लंबा हो गया है. शिलान्यास के दस माह के बाद भी भवन कब बनकर तैयार हो जाएगा इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है. दरअसल फंड के संकट के चलते भवन निर्माण शुरु नहीं हो पा रहा. अब क्राउड फंडिंग के जरिए इसका निर्माण शुरु होने की कवायद चल रही है.
उधर भाजपा ने सत्ता में आने के बाद कईं राज्यों औऱ जिलों में अपने शानदार और हाईटेक दफ्तर बना लिए है. लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं कर पाई खुद के जिला दफ्तर नहीं होने से पार्टी की बैठक होने औऱ रणनीति बनाने जैसी गतिविधियां प्रभावित हो रही है. कईं भवनों में तो कार्यकर्ताओं और नेताओं के बैठने के लिए मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है. दरअसल इसके लिए खुद पार्टी और उसके नेताओं की सोच सीधे रुप से जिम्मेदार है.