सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अतिरिक्त धन के लिए उपचारात्मक याचिका को मुकदमे के तौर पर तय नहीं कर सकते

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि वह ‘शूरवीर’ की तरह काम नहीं कर सकता और 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को मुआवजा के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग वाली उपचारात्मक याचिका पर फैसला नहीं कर सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पहले ही अपने उपचारात्मक क्षेत्राधिकार की 'मर्यादा' (शुचिता) के बारे में कह चुकी है और कुछ छूट होने के बावजूद कानून के दायरे में विवश है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, "किसी और की जेब ढीली कराना और पैसा निकालना बहुत आसान होता है. अपनी खुद की जेब ढीली करें और पैसे दें तथा फिर विचार करें कि क्या आप उनकी (यूसीसी की) जेब ढीली करवा सकते हैं या नहीं. केंद्र 1989 में हुए समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 47 करोड़ अमेरिकी डॉलर (715 करोड़ रुपये) के अलावा अमेरिकी कंपनी यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये चाहता है. उपचारात्मक याचिका दाखिल करने को लेकर केंद्र से सवाल करते हुए कहा, "मैंने अधिकार क्षेत्र की 'मर्यादा' कहकर सुनवाई की शुरुआत की. देखिए, हम शूरवीर नहीं बन सकते. यह संभव नहीं है. हम विवश हैं. कानून के दायरे में, हालांकि हमारे पास कुछ छूट हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हम एक मूल मुकदमे के क्षेत्राधिकार के आधार पर एक उपचारात्मक याचिका का फैसला करेंगे. संविधान पीठ में न्यायमूर्ति कौल के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी शामिल हैं.

पीठ ने कल से लेकर आज तक वेंकटरमणी के माध्यम से केंद्र की दलीलें कम से कम सात घंटे तक सुनी. संविधान पीठ ने कहा, "जहां तक ​​देयता और मुआवजे का संबंध है, पक्षों के लिए यह हमेशा खुला होता है कि वह कहे कि मैं समझौता करना चाहता हूं और किसी भी तरह के मुकदमेबाजी से छुटकारा पाना चाहता हूं. अब, आप (केंद्र) समझौते को संशोधित करना चाहते हैं. क्या आप इसे एकतरफा कर सकते हैं? यह एक डिक्री नहीं बल्कि एक समझौता है. केंद्र इस बात पर जोर देता रहा है कि 1989 में बंदोबस्त के समय मानव जीवन और पर्यावरण को हुई वास्तविक क्षति की विशालता का ठीक से आकलन नहीं किया जा सका था. सुनवाई बेनतीजा रही और बृहस्पतिवार को भी जारी रहेगी. सोर्स- भाषा