मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि रेपो दर को नहीं बढ़ाने का फैसला सिर्फ एक ठहराव है और भविष्य में नीतिगत कार्रवाई पूरी तरह उस समय के आंकड़ों पर निर्भर करेगी. साथ ही केंद्रीय बैंक ने जोड़ा कि मुद्रास्फीति में स्थायी कमी के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है. इससे पहले दिन में आरबीआई गवर्नर की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखा था. एमपीसी ने यह भी कहा कि वह नीतिगत उपायों को वापस लेने की दिशा में काम करना जारी कखेगी.
गवर्नर शक्तिदास कांत ने कहा कि हालांकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मार्च और अप्रैल में कम हो गई है, लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति अब भी चार प्रतिशत के अनिवार्य लक्ष्य से ऊपर है और चालू वित्त वर्ष के बाकी समय में भी ऐसा रहने का अनुमान है.दास ने मौद्रिक नीति घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा कि मुद्रास्फीति पर लगातार नजदीकी और सतर्क नजरिया बनाए रखना जरूरी है. क्योंकि मानसून और अल नीनो का प्रभाव अनिश्चित बना हुआ है. हमारा लक्ष्य टिकाऊ तरीके से मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत से नीचे बनाए रखना है.
उन्होंने कहा कि नीतिगत कार्रवाई लगातार बदलते हालात पर निर्भर होगी. हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि मुद्रास्फीति में गिरावट टिकाऊ रहे. केंद्रीय बैंक में डिप्टी गवर्नर और मौद्रिक नीति विभाग के प्रमुख माइकल पात्रा ने कहा कि वर्ष के लिए नीतिगत रुख और मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान इस पूर्वधारणा पर आधारित है कि मूल्य सूचकांक इस साल 5.1 प्रतिशत के करीब रहेगा. इस अनुमान में धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी और अल नीनो प्रभाव को समायोजित किया गया है. सोर्स भाषा