हैदराबाद: न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले शुभमन गिल का मानना है कि दूसरे छोर से विकेट गिरते रहने के बावजूद लगातार ढीली गेंदों को नसीहत देने की उनकी रणनीति से ऐसी पारी खेलने में मदद मिली.
गिल ने 50वें ओवर तक डटे रहकर शानदार दोहरा शतक जमाया. उन्हें दूसरे छोर से सहयोग नहीं मिला लेकिन उन्होंने बीच के ओवरों में चौके छक्के लगाकर रनगति बनाये रखी. उन्होंने अपनी पारी की आखिरी दस गेंदों में छह छक्के लगाये. जीत के बाद उन्होंने कहा कि यह पारी मेरे लिये काफी मायने रखती है. मैं श्रीलंका के खिलाफ पहले और तीसरे मैच में बड़ी पारी नहीं खेल सका. यहां बड़ा स्कोर बनाना चाहता था.
गिल ने कहा कि सर्कल के भीतर बीच के ओवरों में अतिरिक्त फील्डर होने से बीच के ओवरों में दूसरी टीमें भी तेजी से रन बनाने का प्रयास करती है. दूसरे छोर से विकेटों के गिरने के बावजूद मैं गेंदबाजों को अपने इरादे जताना चाहता था क्योंकि ऐसा नहीं करने पर उनके लिये डॉट गेंद डालना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि इसलिये जब विकेट गिर रहे थे तब भी मेरा इरादा यही था कि ढीली गेंदों को मैं छोड़ूंगा नहीं.
युवी पाजी मेरे मेंटोर रहे:
लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे गिल ने इस पर खुशी जताते हुए कहा कि निरंतरता मेरे लिये काफी महत्वपूर्ण है. यह सफलता की कुंजी है. एक बल्लेबाज के तौर पर हर प्रारूप में मेरी यही कोशिश रहती है. जब आपकी मेहनत रंग लाती है तो अच्छा लगता है. दोहरे शतक के बाद उन्होंने अपने पिता और मेंटोर युवराज सिंह के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि युवी पाजी मेरे मेंटोर रहे हैं, बड़े भाई की तरह. मैं अपनी बल्लेबाजी के बारे में उनसे बात करता रहता हूं. मेरे पिता मेरे शुरूआती कोच रहे हैं और मुझे खुशी है कि उन्हें गौरवान्वित कर सका. सोर्स- भाषा