जयपुरः माइनिंग सेक्टर में वोल्यूमेट्रिक आकलन और खनिज प्रबंधन में ड्रोन तकनीकों के उपयोग पर राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में राज्य सरकार, तकनीकी विशेषज्ञों और माइनिंग लीजधारकों के प्रतिनिधियों के बीच सीधा संवाद कायम किया गया. प्रमुख सचिव माइन्स टी. रविकान्त ने कहा कि तकनीक और नई व्यवस्था को आत्मसात करने में शुरुआत में भ्रान्तियां और जिज्ञासाएं होती है और उसी को समझने और दूर करने के लिए सरकार द्वारा यह साझा मंच उपलब्ध कराया गया है.
उन्होंने कहा कि वोल्यूमेट्रिक एसेसमेंट और खनिज प्रबंधन में ड्रोन तकनीक का उपयोग सरकार और लीजधारक दोनों के लिए लाभकारी होने के साथ ही काम को आसान करने का माध्यम है. विचार विमर्श में आये सुझावों का गुणावगुण के आधार पर अध्ययन कर एसओपी जारी की जाएगी. टी. रविकान्त ने कहा कि शुरुआत में नई व्यवस्था में हमें खामियां या भ्रांतियां ही दिखाई देती है जिनका आपसी विचार मंथन से निराकरण और समाधान संभव है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के नेतृत्व में माइनिंग सेक्टर में व्यवस्था के सरलीकरण और प्रक्रियाओं को आसान करने का सिलसिला लगातार जारी है. देखा जाए तो यह एक तरह से नेशन बिल्डिंग प्रोसेस का हिस्सा है. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में माइनिंग सेक्टर में हमें और सुधार व सरलीकरण देखने को मिलेगा. रविकान्त ने बताया कि ड्रोन कंपनियों और विशेषज्ञों को बुलाने का कारण भी यही है कि वोल्यूमेट्रिक एसेसमेंट और ड्रोन के उपयोग के संबंध में समझा जा सके, शक शुबहे दूर कर सके और लीजधारक तकनीक के उपयोग से और अधिक आसानी से काम कर सकें. हमें समझना होगा कि तकनीक हमारे काम को आसान करने के लिए है और उसमें समयानुकूल बदलाव होता रहता है. एमडी आरएसएमएम भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि वोल्यूमेट्रिक एसेसमेंट और ड्रोन सर्वें से आने वाले समय में माइनिंग सेक्टर को लाभ मिलने वाला है. उन्होंने कहा कि अच्छे बदलाव के लिए हमें तैयार रहना चाहिए.
लीजधारकों को हो जाएगा सुविधाजनकः
निदेशक माइंस दीपक तंवर ने कहा कि खनिज लीज धारकों द्वारा वार्षिक रिटर्न के साथ प्रस्तुत करना होगा और एक बार शुरु करने के बाद आगे के लिए लीजधारकों को भी सुविधाजनक हो जाएगा. तंवर ने बताया कि विभाग द्वारा जारी होने वाली एसओपी स्पष्ट, पारदर्शी और सरलीकृत होगी. लीज धारकों से सीधे संवाद में राजस्थान अप्रधान खनिज रियायती नियमों में ड्रोन सर्वे प्रावधानों की जानकारी देने के साथ ही आइडिया फोर्ज द्वारा खनन में ड्रोन सर्वे का अनुप्रयोग, गरुड सर्वें द्वारा ड्रोन सर्वें के माध्यम से खनन में उत्खनन का वोल्यूमेट्रिक आकलन, एमपीआरएसएस माइनिंग सोल्यूशन द्वारा खदानों में ड्रोन का अनुप्रयोग, वीएस सेफ्टी द्वारा खदानों के लिए सेवा के रुप में ड्रोन और एपीएसएल साल्यूशन द्वारा उत्खनन में ड्रोन सर्वें तकनीक और स्फेयर द्वारा डीजीसीए द्वारा ड्रोन सर्वें लाइसेंस के दिशा-निर्देश और प्रक्रिया की पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी गई. खनन प्रतिनिधियों ने सरकार के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि जब कोई नई व्यवस्था आती है तो घबराहट और आशंकाएं भी उसके साथ आती है. सरकार ने उन्हें दूर करने की अच्छी व सकारात्मक पहल की है. लीजधारक प्रतिनिधियों ने लीज क्षेत्र और उसके पास के 100 मीटर क्षेत्र का ड्रोन/एरियल सर्वें, माइनिंग प्लान, सर्वे की एक्यूरेसी, पूर्व में अन्य आवंटित खननधारकों द्वारा खनन कार्य के अब आकलन होने से पड़ने वाले प्रभाव, खान में पानी भरा होने पर आकलन की समस्या व लीज की सीमा निर्धारण को लेकर चले आ रहे विवाद सहित आशंकाएं व्यक्त की. इसके साथ ही एक अप्रेल से नई व्यवस्था की समय सीमा बढ़ाने का भी आग्रह किया.