जयपुर: राजधानी में यातायात जाम का बड़ा कारण बने ई रिक्शाओं को नियंत्रित करने के लिए पहली बार गंभीरता से प्रयास हो रहे हैं. जिला कलेक्टर की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद जयपुर RTO प्रथम कार्यालय ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है.
राजधानी जयपुर में यातायात जाम का बड़ा कारण ई रिक्शाओं की बढ़ती संख्या हैं. शहर के हर इलाके में ई रिक्शाओं की बेतरतीब संख्या के कारण यातायात की हालत ख़राब होती जा रही है. चारदीवारी में तो ई रिक्शाओं की असीमित संख्या ने यातायात जाम को कई गुना बढ़ा दिया है. सालों से ई रिक्शाओं के संचालन को नियंत्रित करने के प्रयास नहीं होने से हालत बद से बदतर हो गए हैं. अब पहली बार इनको कंट्रोल करने के लिए गंभीर प्रयास नजर आ रहे हैं. हाल ही में जयपुर कलेक्टर की और से ई रिक्शाओं को जोन वार संचालित करने के लिए अधिसूचना निकाली गई है. इसकी पालना कराने के लिए जयपुर RTO प्रथम राजेंद्र सिंह शेखावत ने काम शुरू कर दिया है. जोनवार ई रिक्शाओं के संचालन से यातायात जाम को काफ़ी कम किया जा सकता है. कलेक्टर की ओर से ई रिक्शाओं की पार्किंग और चार्जिंग की जगह तय करने के लिए जो कमेटी बनाई है वह कमेटी 30 नवंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
जयपुर कलेक्टर की ओर से जारी अधिसूचना को लागू करने के लिए जयपुर RTO प्रथम राजेंद्र सिंह शेखावत ने बैठक ली जिसमें परिवहन, पुलिस, स्थानीय निकायों के प्रतिनिधियों के साथ ही ई रिक्शा एसोसिएशन के लोग भी हुए शामिल बैठक में ई रिक्शा पर लगने वाले क्यू आर कोड व ड्रेस कोड पर चर्चा हुई. बैठक में फैसला लिया गया है कि अब ई रिक्शा चलाने वाले चालक के पास ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य रूप से होना चाहिए. 1 जनवरी से ड्राइविंग लाइसेंस के बिना ई रिक्शा का संचालन नहीं हो सकेगा. इसके साथ ही ई रिक्शा की फिटनेस भी पूरी करनी होगी.
परिवहन विभाग की ओर से ई रिक्शा संचालकों को लर्निंग लाइसेंस बनाये जाने की प्रकिया सिखाई जाएगी इसके लिए जयपुर RTO प्रथम में कार्यशाला आयोजित की जाएगी. जयपुर RTO प्रथम राजेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि ई रिक्शा मालिकों और चालकों को डेढ़ महीने का समय ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए दिया जाएगा इसके बाद कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी. बैठक में ई रिक्शा चालकों को 10 दिन के लिए ट्रेनिंग देने पर भी चर्चा हुई.