जयपुर: राजस्थान में ई-व्हीकल सब्सिडी तीन साल से अटकी हुई है , परिवहन विभाग के दावे के बाद भी ई वाहन खरीदने पर सब्सिडी नहीं मिल रही है इससे उपभोक्ता ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
राजस्थान में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती सरकार ने सितंबर 2022 में राजस्थान इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी (REVP-2022) लागू की थी. पॉलिसी की अवधि पांच वर्ष निर्धारित की गई थी, यानी यह 2027 तक लागू रहनी है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि 2025 आ चुका है और हजारों ई-व्हीकल मालिक अभी भी उस सब्सिडी के इंतज़ार में हैं, जिसका वादा नीति लागू होते ही कर दिया गया था. ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देने की महत्वाकांक्षी घोषणा अब उपभोक्ताओं की नाराज़गी का सबब बन गई है. 1 सितंबर 2022 से लागू REVP-2022 के तहत दोपहिया ई-स्कूटरों को बैटरी क्षमता के आधार पर 5 हजार से 10 हजार रुपये प्रति वाहन और तिपहिया ई-रिक्शा और अन्य वाहनों को 10 हजार से 20 हजार रुपये तक की एकमुश्त सब्सिडी देने का प्रावधान था. इसके अलावा खरीदारों को राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) का पुनर्भरण भी दिया जाना था. सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 40 करोड़ रुपये का बजट भी मंजूर किया था और दावा किया गया था कि यह नीति राज्य में प्रदूषण कम करने और ई-मोबिलिटी को मजबूत बनाने में मील का पत्थर साबित होगी. नीति के लागू होते ही इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी आई. लेकिन अब उपभोक्ताओं के सिर्फ निराशा हाथ लगी.
ई-व्हीकल खरीदने वालों का कहना है कि उन्होंने सरकार पर भरोसा कर वाहन खरीदे, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी 5 हजार से 20 हजार रुपये तक की सब्सिडी न मिलना “सरकारी उपेक्षा” जैसा लगने लगा है. डीलरों का कहना है कि सब्सिडी भुगतान न होने से बाजार पर सीधा असर पड़ा है. जो ग्राहक सब्सिडी के झांसे में आकर वाहन ले चुके थे, वे अब दूसरों को खरीदारी से रोक रहे हैं. इससे ई-व्हीकल की बिक्री में कमी आई है और राज्य का ग्रीन मोबिलिटी लक्ष्य कमजोर पड़ रहा है.सितंबर 2022 से दिसंबर 2025 तक तीन साल से अधिक का इंतज़ार पूरा हो चुका है. फंड उपलब्ध है, नीति लागू है, आवेदन जमा हैं- लेकिन भुगतान कब होगा? सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस तिथि घोषित नहीं की गई है. लाभार्थियों की नज़र अब इस बात पर टिकी है कि क्या सरकार जल्द सब्सिडी जारी कर ई-व्हीकल नीति पर भरोसा बहाल करेगी या यह प्रक्रिया भी अन्य अधूरी घोषणाओं की सूची में शामिल हो जाएगी.
क्यों हो रही है इतनी देरी?
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, सब्सिडी भुगतान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से होना था, लेकिन-
• पोर्टल और फाइनेंस विभाग के बीच तकनीकी इंटीग्रेशन
• DBT सिस्टम में खामियाँ
• कई जिलों में सत्यापन अधिकारियों के बार-बार बदलने
• दस्तावेज़ों की मैनुअल जांच में देरी
परिवहन विभाग के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया है कि तकनीकी प्रक्रियाओं के कारण भुगतान नहीं हो पाया, जबकि फंड कई बार जारी किया जा चुका है.
उपभोक्ताओं और डीलरों में नाराजगी
ई-व्हीकल खरीदने वालों का कहना है कि उन्होंने सरकार पर भरोसा कर वाहन खरीदे, लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी 5 हजार से 20 हजार रुपये तक की सब्सिडी न मिलना “सरकारी उपेक्षा” जैसा लगने लगा है. डीलरों का कहना है कि सब्सिडी भुगतान न होने से बाजार पर सीधा असर पड़ा है. जो ग्राहक सब्सिडी के झांसे में आकर वाहन ले चुके थे, वे अब दूसरों को खरीदारी से रोक रहे हैं. इससे ई-व्हीकल की बिक्री में कमी आई है और राज्य का ग्रीन मोबिलिटी लक्ष्य कमजोर पड़ रहा है.
अब सवाल-कब मिलेगा पैसा?
सितंबर 2022 से दिसंबर 2025 तक तीन साल से अधिक का इंतज़ार पूरा हो चुका है. फंड उपलब्ध है, नीति लागू है, आवेदन जमा हैं- लेकिन भुगतान कब होगा? सरकार की ओर से अभी तक कोई ठोस तिथि घोषित नहीं की गई है. लाभार्थियों की नज़र अब इस बात पर टिकी है कि क्या सरकार जल्द सब्सिडी जारी कर ई-व्हीकल नीति पर भरोसा बहाल करेगी या यह प्रक्रिया भी अन्य अधूरी घोषणाओं की सूची में शामिल हो जाएगी.